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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    1. पृथ्वी हमें अपने पूर्वजों से विरासत में नहीं मिली है; बल्कि ये हमारी आने वाली पीढ़ी की धरोहर है

    2. प्रगति की माप गति से नहीं, बल्कि सही दिशा से होती है।

    01 Mar, 2025 निबंध लेखन निबंध

    उत्तर :

    1. पृथ्वी हमें अपने पूर्वजों से विरासत में नहीं मिली है; बल्कि ये हमारी आने वाली पीढ़ी की धरोहर है।

    अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:

    • चीफ सिएटल: "हमें पृथ्वी अपने पूर्वजों से विरासत में नहीं मिलती है; हम इसे अपने बच्चों से उधार लेते हैं।"
    • महात्मा गांधी: "पृथ्वी प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराती है, परंतु प्रत्येक व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिये नहीं।"

    सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:

    • अंतर-पीढ़ीगत जिम्मेदारी और संवहनीयता:
      • अंतर-पीढ़ीगत न्याय की अवधारणा इस बात पर बल देती है कि वर्तमान पीढ़ी का नैतिक दायित्व है कि वह भावी पीढ़ियों के लिये प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करे।
      • भावी पीढ़ियों के अधिकार सिद्धांत (जॉन रॉल्स) का तर्क है कि अल्पकालिक आर्थिक लाभों की तुलना में सतत् विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
    • पर्यावरणीय नैतिकता और मानवीय उत्तरदायित्व:
      • डीप इकोलॉजी (अर्ने नेस): मानव-केंद्रित सोच से पारिस्थितिकी-केंद्रित सोच (प्रकृति-केंद्रित) की ओर बदलाव पर बल देता है।
      • एल्डो लियोपोल्ड की भूमि नीति: पर्यावरण को दोहन किये जाने वाले संसाधन के रूप में देखने के बजाय, उसे एक समुदाय, जिसके हम सदस्य हैं, के रूप में देखने को प्रोत्साहित करती है।

    नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:

    • पर्यावरणीय उपेक्षा के कारण विफलताएँ:
      • अमेज़न में वनों की कटाई: लकड़ी काटने और कृषि से होने वाले अल्पकालिक आर्थिक लाभों के जैव-विविधता और जलवायु पर दीर्घकालिक परिणाम होते हैं।
      • औद्योगिक क्रांति और प्रदूषण: पर्यावरण सुरक्षा उपायों के बिना तेजी से औद्योगिकीकरण के कारण लंदन में ग्रेट स्मोग (वर्ष 1952) जैसी समस्याएँ उत्पन्न हुईं।
      • अराल सागर संकट: कृषि के लिये जल के अत्यधिक दोहन के कारण एक समय में समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र लगभग लुप्त हो गया।
    • विकास के संधारणीय मॉडल:
      • चिपको आंदोलन (भारत): स्थानीय भागीदारी के माध्यम से पारिस्थितिक संरक्षण पर बल देने वाला एक ज़मीनी आंदोलन।
      • स्कैंडिनेवियाई अक्षय ऊर्जा मॉडल: स्वीडन और डेनमार्क जैसे देशों ने आर्थिक समृद्धि को बनाए रखते हुए सफलतापूर्वक हरित ऊर्जा का अंगीकरण किया है।

    समकालीन उदाहरण:

    • स्थिरता में कॉर्पोरेट और तकनीकी नवाचार:
      • टेस्ला और इलेक्ट्रिक वाहन: परिवहन में जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण का नेतृत्व करना।
      • परिपत्र अर्थव्यवस्था पहल: यूनिलीवर और IKEA जैसी कंपनियाँ संवहनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को लागू करके अपशिष्ट को कम कर रही हैं।
    • वैश्विक पर्यावरण प्रयास:
      • पेरिस समझौता (वर्ष 2015): जलवायु परिवर्तन को सीमित करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये एक वैश्विक कार्यढाँचा।
      • भारत का नवीकरणीय ऊर्जा प्रयास : वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा प्राप्त करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य।
      • वनरोपण और संरक्षण परियोजनाएँ: बॉन चैलेंज जैसी पहल का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर असंतुलित हो चुके पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुत्थान करना है।

    2. प्रगति की माप गति से नहीं, बल्कि सही दिशा से होती है।

    अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:

    • महात्मा गांधी : "जीवन की गति बढ़ाने की अपेक्षा भी जीवन में बहुत कुछ है।"  
    • पीटर ड्रकर: "कार्यकुशलता का अर्थ है काम सही करना; प्रभावशीलता का अर्थ है सही काम करना।"

    सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:

    • विकास में गुणवत्ता बनाम गति:
      • अमर्त्य सेन का क्षमता दृष्टिकोण: प्रगति का मूल्यांकन मानव कल्याण में सुधार के आधार पर किया जाना चाहिये, न कि केवल आर्थिक संकेतकों के आधार पर।
      • अरस्तू का स्वर्णिम मध्यमार्ग: यह प्रगति के लिये एक संतुलित दृष्टिकोण पर बल देता है, जल्दबाज़ी या ठहराव के अतिरेक से बचता है।
      • बौद्ध दर्शन (मध्यम मार्ग): यह लापरवाह गति के बजाय स्थिर, सचेत विकास पर बल देता है।
    • आकलन की गई प्रगति के नैतिक आयाम:
      • उपयोगितावाद (जॉन स्टुअर्ट मिल): निर्णयों का ध्यान अल्पकालिक लाभ के बजाय समग्र कल्याण को अधिकतम करने पर होना चाहिये।
      • विकास का गांधीवादी मॉडल: केवल औद्योगीकरण के बजाय आत्मनिर्भरता, संवहनीयता और समान विकास पर बल देता है।

    नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:

    • तीव्र किंतु गुमराह विकास के कारण विफलताएँ:
      • सोवियत संघ के औद्योगिकीकरण अभियान के कारण पर्यावरणीय क्षति और अस्थाई आर्थिक नीतियाँ उत्पन्न हुईं।
      • वर्ष 2008 का वित्तीय संकट: उचित विनियमन के बिना वित्तीय क्षेत्र के तेज़ी से विस्तार के परिणामस्वरूप वैश्विक आर्थिक पतन हुआ।
    • स्थिर एवं उद्देश्यपूर्ण प्रगति की सफलता की कहानियाँ:
      • भारत की हरित क्रांति: अल्पकालिक आर्थिक विकास की तुलना में दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता को प्राथमिकता दी गई।
      • जर्मनी का एनर्जीवेंडे (ऊर्जा संक्रमण): अर्थव्यवस्था को अस्थिर किये बिना नवीकरणीय ऊर्जा की ओर क्रमिक, सुनियोजित संक्रमण।
      • भूटान का सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (GNH) सूचकांक : यह केवल सकल घरेलू उत्पाद के बजाय समग्र कल्याण के माध्यम से प्रगति का आकलन करता है।

    समकालीन उदाहरण:

    • प्रौद्योगिकी और व्यापार रणनीतियाँ:
      • इंफोसिस की धीमी और स्थिर वृद्धि: तीव्र मूल्यांकन की तलाश में लगी प्रौद्योगिकी कंपनियों के विपरीत, इंफोसिस ने स्थायी व्यापार विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया।
      • टेस्ला का दीर्घकालिक दृष्टिकोण: प्रारंभिक घाटे के बावजूद, संधारणीय परिवहन पर इसके रणनीतिक फोकस ने दीर्घकालिक उद्योग परिवर्तन को जन्म दिया है।
    • शासन और वैश्विक विकास रुझान:
      • भारत की आत्मनिर्भर भारत पहल: आयात निर्भरता के बजाय दीर्घकालिक घरेलू औद्योगिक विकास पर बल देता है।
      • सार्वभौमिक बुनियादी आय प्रयोग (फिनलैंड): अल्पकालिक रोज़गार सृजन के बजाय दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है।

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