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प्रश्न :
प्रश्न. डॉ. अंजलि, एक प्रतिबद्ध और ईमानदार आईएएस अधिकारी, हाल ही में राज्य स्वास्थ्य विभाग की निदेशक के रूप में नियुक्त हुई हैं। कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, उन्हें सरकारी अस्पतालों के लिये जीवन रक्षक चिकित्सा उपकरणों की खरीद में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ पता चलती हैं।
वेंटिलेटर के लिये एक विशेष अनुबंध एक निजी कंपनी को दिया गया था जो सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रही। हाल ही में एक स्वास्थ्य संकट के दौरान तकनीकी खराबी के कारण कई मरीज़ों की जान चली गई। जाँच के दौरान, अंजलि ने पाया कि निविदा प्रक्रिया में हेरफेर कर कंपनी को अनुचित लाभ पहुँचाया गया था। खरीद से संबंधित फाइल उनके पूर्ववर्ती द्वारा संदेहास्पद परिस्थितियों में मंज़ूर की गई थी, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। विभाग के कई कनिष्ठ अधिकारी इन अनियमितताओं से अवगत हैं, लेकिन पेशेवर जोखिम के भय से खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।
इस बीच, एक वरिष्ठ पत्रकार अंजलि के पास खरीद सौदे में भ्रष्टाचार साबित करने वाले लीक हुए दस्तावेज़ों के साथ पहुँचता है। एक पत्रकार इस खुलासे को प्रकाशित करने के लिये तैयार है, लेकिन वह आगाह करता है कि प्रभावशाली व्यावसायिक और प्रशासनिक हित इसे दबाने का प्रयास कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, एक कार्यकर्त्त्ता समूह तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए एक औपचारिक शिकायत दर्ज करता है।
अंजलि जब विचार-विमर्श करती हैं, तो उन्हें वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से राजनीतिक प्रभाव के तहत स्थानांतरण के जोखिम के कारण पिछले निर्णयों पर पुनर्विचार करने से बचने और भविष्य के शासन पर ध्यान केंद्रित करने के लिये सूक्ष्म दबाव मिलता है। कुछ सहकर्मी उन्हें चेतावनी देते हैं कि इस मुद्दे को आक्रामक रूप से उठाने से अचानक तबादला हो सकता है या प्रशासनिक स्तर पर उन्हें हाशिये पर डाला जा सकता है।
1. इस मामले में नैतिक मुद्दे क्या हैं?
28 Feb, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
2. एक कर्त्त्तव्यनिष्ठ सिविल सेवक के रूप में अंजलि के लिये उपलब्ध विकल्पों का मूल्यांकन कीजिये?
3. सार्वजनिक खरीद में भ्रष्टाचार को रोकने, प्रशासनिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और सरकारी संस्थाओं में मुखबिरों की सुरक्षा के लिये कौन-से प्रणालीगत सुधारों की आवश्यकता है?उत्तर :
परिचय:
राज्य स्वास्थ्य विभाग की नवनियुक्त निदेशक डॉ. अंजलि ने जीवन रक्षक चिकित्सा उपकरणों की खरीद में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है, जिसके कारण मरीज़ों की मौत हो रही है। उनके पूर्ववर्ती के कार्यकाल में निविदा प्रक्रिया में हेराफेरी की गई थी, लेकिन कनिष्ठ अधिकारी यह बोलने से डरते हैं और प्रभावशाली लोग इस मुद्दे को दबाना चाहते हैं।
- साक्ष्य के साथ एक पत्रकार मीडिया में अपनी बात रखता है, जबकि एक कार्यकर्त्ता समूह कानूनी कार्रवाई की मांग करता है, जिससे जनता का दबाव बढ़ जाता है।
मुख्य भाग:
1. मामले में शामिल नैतिक मुद्दे:
- सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा से समझौता: निम्नस्तरीय वेंटिलेटरों की खरीद से सीधे तौर पर मरीज़ों की मौत हुई है, जिससे स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये सार्वजनिक संस्थानों के मौलिक कर्त्तव्य का उल्लंघन हुआ है।
- गुणवत्ता नियंत्रण में लापरवाही कर्त्तव्य की विफलता को दर्शाती है, जिसके परिणामस्वरूप कई निर्दोष लोगों की जान चली गई।
- भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग: किसी निजी कंपनी को लाभ पहुँचाने के लिये निविदा प्रक्रिया में हेरफेर करना गहरी जड़ें जमाए बैठे भ्रष्टाचार का संकेत है।
- इससे लोक प्रशासन में पारदर्शिता, निष्पक्षता और निष्ठा कमज़ोर होती है।
- वरिष्ठ प्रशासन एवं व्यापारिक हित उत्तरदायित्व को दबाने का प्रयास करते हुए अनैतिक शासन को और अधिक बढ़ावा देते हैं।
- मुखबिरों के संरक्षण का अभाव और भय: कनिष्ठ अधिकारियों द्वारा आगे आने में अनिच्छा, प्रतिशोध के भय को उजागर करती है, जो मुखबिरों की सुरक्षा के लिये संस्थागत तंत्र की विफलता को दर्शाती है।
- एक नैतिक प्रशासन को ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिये जहाँ सत्य और जवाबदेही को प्रोत्साहित किया जाए।
- सत्य और प्रेस की स्वतंत्रता: पत्रकारों का नैतिक दायित्व है कि वे भ्रष्टाचार को उजागर करें और जनता को सूचित करें।
- हालाँकि शक्तिशाली संस्थाएँ सच्चाई को दबाने का प्रयास कर सकती हैं, जिससे मीडिया की स्वतंत्रता, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों को कायम रखने में प्रेस की भूमिका पर चिंताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- न्याय और जवाबदेही: यह सुनिश्चित करना कि भ्रष्ट व्यक्तियों को कानूनी परिणामों का सामना करना पड़े, शासन में न्याय और जवाबदेही बनाए रखने के लिये मौलिक है।
- हालाँकि प्रशासनिक बाधाएँ और संस्थागत प्रतिरोध कानूनी कार्रवाई में बाधा डाल सकते हैं, जिससे कानून के शासन के प्रवर्तन के लिये चुनौती उत्पन्न हो सकती है।
2. एक कर्त्तव्यनिष्ठ सिविल सेवक के रूप में अंजलि के लिये उपलब्ध विकल्प:
विकल्प- 1. आंतरिक जाँच शुरू कर खरीद प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करना
- लाभ: उचित प्रक्रिया सुनिश्चित कर भविष्य में अनियमितताओं को रोकता है और शक्तिशाली हितों के साथ तत्काल टकराव से बचाता है। खरीद नीतियों को मज़बूत करने से दीर्घकालिक प्रणालीगत सुधार हो सकते हैं।
- मुद्दे: पीड़ितों को न्याय मिलने में विलंब हो सकता है, गलत काम करने वालों को तुरंत सज़ा नहीं मिलती तथा इसे प्रशासनिक निष्क्रियता के रूप में देखा जा सकता है। वरिष्ठ अधिकारी जाँच को कमज़ोर करने की कोशिश कर सकते हैं।
विकल्प- 2. मामले को भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों (CBI/सतर्कता/राज्य लोकायुक्त) को भेजना
- लाभ: कानूनी जवाबदेही लाता है, भविष्य में भ्रष्टाचार को रोकता है और संस्थागत अखंडता को बनाए रखता है। स्वतंत्र जाँच अंजलि पर सीधे राजनीतिक दबाव को रोकती है।
- मुद्दे: प्रभावशाली प्रशासन और व्यापारिक हित जाँच को प्रभावित करने या रोकने का प्रयास कर सकते हैं। इससे राजनीतिक प्रतिक्रिया और अंजलि का स्थानांतरण भी हो सकता है।
विकल्प- 3. नियंत्रित सार्वजनिक प्रकटीकरण के लिये पत्रकार के साथ सहयोग करना
- लाभ: मीडिया में आने से जनता पर दबाव बनता है, जिससे राजनीतिक और प्रशासनिक ताकतों के लिये मामले को दबाना मुश्किल हो जाता है। इससे लोकतंत्र और पारदर्शिता मज़बूत होती है।
- मुद्दे: इससे सनसनी फैल सकती है, जिससे विभाग की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है। इसके अलावा अंजलि के खिलाफ राजनीतिक प्रतिक्रिया या दबाव की रणनीति भी अपनाई जा सकती है।
विकल्प- 4. कार्यकर्त्ता समूह की कानूनी कार्रवाई की मांग का समर्थन करना
- लाभ: नागरिक समाज का दबाव अधिकारियों को कार्रवाई करने के लिये मजबूर कर सकता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि मामला जनता की नज़र में रहे। सहभागितापूर्ण शासन और जवाबदेही दृढ़ता होती है।
- मुद्दे: वास्तविक सुधारों से ध्यान भटकाने के लिये राजनीतिक विवाद का रूप ले सकते हैं। शक्तिशाली निहित स्वार्थी तत्त्व कानूनी और प्रशासनिक तरीकों से सक्रियता का मुकाबला कर सकते हैं।
विकल्प- 5. सतर्क दृष्टिकोण अपनाकर भविष्य के शासन पर ध्यान केंद्रित करना
- लाभ: इससे सीधे टकराव से बचा जा सकता है, नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित होती है तथा अंजलि को सिस्टम के भीतर क्रमिक सुधार करने का मौका मिलता है। राजनीतिक उत्पीड़न से बचा जा सकता है।
- मुद्दे: पिछले भ्रष्टाचार को नज़रअंदाज़ किया जा सकता है, पीड़ित न्याय से वंचित हो सकते हैं और अनैतिक प्रथाओं को जारी रखने का अवसर मिल सकता है। शासन में जनता का भरोसा और कम हो सकता है।
सबसे उपयुक्त और व्यावहारिक दृष्टिकोण:
अंजलि को एक संतुलित रणनीति अपनानी चाहिये जिसमें विकल्प 1 (आंतरिक जाँच) और विकल्प 2 (भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों को शामिल करना) के तत्त्वों का संयोजन हो तथा साथ ही एक रणनीतिक उपागम के रूप में नियंत्रित मीडिया एक्सपोज़र (विकल्प 3) का उपयोग किया जाना चाहिये।
- तत्काल कदम: दस्तावेज़ी साक्ष्य स्थापित करने के लिये आंतरिक जाँच शुरू की जानी चाहिये तथा भविष्य में भ्रष्टाचार को रोकने के लिये खरीद प्रक्रियाओं में सुधार किया जाना चाहिये।
- जवाबदेही तंत्र: कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिये मामले को सतर्कता आयोग या लोकायुक्त के पास भेजना तथा स्वयं को प्रत्यक्ष राजनीतिक प्रभाव से बचाए जाने की आवश्यकता है।
- रणनीतिक सार्वजनिक सहभागिता: पत्रकारों के साथ मिलकर सनसनीखेज़ रिपोर्टिंग के बजाय ज़िम्मेदार और तथ्य-आधारित रिपोर्टिंग सुनिश्चित जाने की आवश्यकता है, प्रक्रियागत अखंडता से समझौता किये बिना सार्वजनिक जागरूकता को मज़बूत किया जाना चाहिये।
3. सार्वजनिक खरीद में भ्रष्टाचार को रोकने, प्रशासनिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और मुखबिरों की सुरक्षा के लिये प्रणालीगत सुधार:
- सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता और जवाबदेही को मज़बूत करना
- मानवीय विवेक को न्यूनतम करने के लिये रियल टाइम ट्रैकिंग, स्वचालित ऑडिट और ब्लॉकचेन-आधारित रिकॉर्ड-कीपिंग के साथ ई-खरीद प्रणाली को लागू किया जाना चाहिये।
- प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करने और पक्षपात को रोकने के लिये उच्च मूल्य वाले अनुबंधों के लिये रिवर्स बिडिंग एवं वैश्विक निविदाओं को अनिवार्य बनाया जाना चाहिये।
- स्वतंत्र खरीद ऑडिट को सुदृढ़ किया जाना चाहिये तथा सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत अनुबंध विवरण को सार्वजनिक रूप से सुलभ बनाया जाना चाहिये।
- स्वतंत्र भ्रष्टाचार विरोधी निरीक्षण तंत्र की स्थापना
- लोकपाल, CVC (केंद्रीय सतर्कता आयोग) और राज्य लोकायुक्तों जैसी संस्थाओं को स्वायत्त अभियोजन शक्तियाँ प्रदान करके उन्हें मज़बूत बनाया जाना चाहिये।
- CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) द्वारा सार्वजनिक खरीद की ऑडिट को और अधिक कठोर बनाया जाना चाहिये ताकि लाल फीताशाही पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
- प्रशासनिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और लोक सेवकों को राजनीतिक दबाव से बचाना
- प्रमुख प्रशासनिक पदों (जैसे- स्वास्थ्य, वित्त, बुनियादी अवसंरचना) के लिये निश्चित कार्यकाल लागू किया जाना चाहिये, ताकि मनमाने स्थानांतरण को रोका जा सके, जो भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों को हतोत्साहित करते हैं।
- नैतिक निर्णय लेने के कारण संदिग्ध परिस्थितियों में स्थानांतरित अधिकारियों के लिये एक संरचित अपील तंत्र शुरू किया जाना चाहिये।
- व्हिसलब्लोअर संरक्षण और आंतरिक शिकायत तंत्र को सुदृढ़ बनाना
- गुमनामी, प्रतिशोध से प्रतिरक्षा और स्वतंत्र जाँच तंत्र सुनिश्चित करके व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 को पूरी भावना से लागू किया जाना चाहिये।
- लोकपाल से जुड़ा एक सुरक्षित डिजिटल व्हिसलब्लोइंग प्लेटफॉर्म बनाए जाने चाहिये, जिससे भ्रष्टाचार के खुलासे के डर के बिना सुरक्षित रिपोर्टिंग की जा सके।
- सभी सरकारी विभागों में स्वतंत्र निरीक्षण और शिकायतों की समय-समय पर रिपोर्टिंग के साथ आंतरिक आचार समितियों का गठन किया जाना चाहिये।
- लोक अधिकारियों के नैतिक शासन और प्रशिक्षण को संस्थागत बनाना
- LBSNAA, राज्य ATI (प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान) और सरकारी सेवा में प्रशासनिक शिक्षा का नैतिकता एवं सत्यनिष्ठा प्रशिक्षण अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिये।
- स्वतंत्र लेखापरीक्षा, सार्वजनिक प्रतिक्रिया और भ्रष्टाचार मामलों के रुझान के आधार पर सरकारी विभागों के लिये सत्यनिष्ठा स्कोरकार्ड स्थापित किया जाना चाहिये।
- लोक प्रशासन में पारदर्शिता और निष्ठा बनाए रखने वाले अधिकारियों के लिये कार्य-निष्पादन-आधारित पदोन्नति एवं प्रोत्साहन लागू किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
डॉ. अंजलि को प्रणालीगत सुधारों को मज़बूत करते हुए कानूनी कार्रवाई के माध्यम से जवाबदेही सुनिश्चित करके व्यावहारिक निर्णय लेने के साथ नैतिक अखंडता को संतुलित करना चाहिये। पारदर्शी जाँच, संस्थागत सुरक्षा उपाय और रणनीतिक सार्वजनिक भागीदारी शासन स्थिरता से समझौता किये बिना न्याय को बनाए रखेंगे। उनके कार्यों को नैतिक नेतृत्व के लिये एक मिसाल कायम करनी चाहिये जिससे प्रशासन में जनता का विश्वास दृढ़ हो।
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