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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. नैतिक नेतृत्व में करुणा और व्यावहारिकता दोनों आवश्यक हैं। एक नेता किस प्रकार नैतिक मूल्यों से समझौता किये बिना इन परस्पर विरोधी आवश्यकताओं के बीच संतुलन स्थापित कर सकता है? (150 शब्द)

    27 Feb, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • नैतिक नेतृत्व की विशेषताओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
    • करुणा और व्यावहारिकता के बीच संघर्ष।
    • करुणा और व्यावहारिकता के बीच संतुलन बनाने की रणनीतियों पर प्रकाश डालिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय: 

    नैतिक नेतृत्व की विशेषता ईमानदारी, निष्पक्षता और जवाबदेही है। नैतिक नेताओं के लिये प्रमुख चुनौती करुणा (सहानुभूति, दयालुता और जनहितकारी निर्णय) और व्यावहारिकता (यथार्थवाद, दक्षता और परिणाम-केंद्रित शासन) के बीच संतुलन बनाए रखना है।

    मुख्य भाग:

    करुणा और व्यावहारिकता के बीच संघर्ष:

    • करुणा नैतिक विचारों, मानवीय मूल्यों और व्यक्तिगत कल्याण पर ज़ोर देती है।
      • व्यावहारिकता परिणाम, दक्षता और व्यापक भलाई को प्राथमिकता देती है, जिसके लिये कभी-कभी कठिन निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।
    • एक नेता को ऐसी दुविधाओं का सामना करना पड़ता है जहाँ एक को दूसरे के ऊपर चुनना अपरिहार्य लग सकता है।
      • उदाहरण: महात्मा गांधी ने अहिंसा (करुणा) को बढ़ावा दिया, फिर भी उन्होंने भारत के स्वशासन के लिये ब्रिटिश विश्वास प्राप्त करने हेतु प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों की भर्ती का समर्थन करने जैसे व्यावहारिक निर्णय लिये।

    करुणा और व्यावहारिकता में संतुलन की रणनीतियाँ

    • नैतिक निर्णय लेने का ढाँचा
      • काण्टीय नैतिकता (कर्त्तव्य-आधारित) और उपयोगितावाद (अधिकतम लोगों के  अधिकतलियेम भलाई) जैसे दार्शनिक सिद्धांतों का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिये किया जाता है कि निर्णय नैतिक रूप से सही होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी हों।
      • उदाहरण: रंगभेद के बाद प्रतिशोध के स्थान पर मेल-मिलाप का प्रयास करने का नेल्सन मंडेला का निर्णय - न्याय (व्यावहारिकता) और क्षमा (करुणा) के बीच संतुलन स्थापित करना।
    • संदर्भ-संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना
      • नेताओं को मूल नैतिक मूल्यों को बनाए रखते हुए परिस्थितिजन्य मांगों के आधार पर रणनीति अपनानी चाहिये।
      • उदाहरण: अब्राहम लिंकन ने दासता को समाप्त कर दिया (करुणा), लेकिन संघ एकता को बचाए रखने के लिये शुरुआत में पूर्ण मुक्ति में देरी की (व्यावहारिकता)।
    • जन-केंद्रित शासन
      • नीतियों में तात्कालिक राहत (करुणा) और दीर्घकालिक स्थिरता (व्यावहारिकता) के बीच संतुलन होना चाहिये।
      • उदाहरण: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (कोविड-19 के दौरान खाद्य सुरक्षा) ने तत्काल संकट को संबोधित किया, जबकि आत्मनिर्भर भारत ने आर्थिक पुनरुद्धार पर ध्यान केंद्रित किया।
    • नैतिक संचार और पारदर्शिता
      • एक नेता को अपने निर्णयों को ईमानदारी से व्यक्त करना चाहिये तथा कठिन निर्णय लेने पर भी जनता का विश्वास प्राप्त करना चाहिये।
      • उदाहरण: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया तथा आकांक्षापूर्ण नेतृत्व (करुणा) और तकनीकी उन्नति (व्यावहारिकता) दोनों को सुनिश्चित किया।
    • नैतिक नेतृत्व को संस्थागत बनाना
      • नैतिक संहिता, जवाबदेही तंत्र और समावेशी निर्णय-निर्माण जैसे नियंत्रण एवं संतुलन स्थापित करने से नैतिक मूल्यों तथा दक्षता दोनों को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
      • उदाहरण: लोक सेवा आचार संहिता परिणामोन्मुखी प्रशासन को सक्षम करते हुए निष्पक्षता और अखंडता को बढ़ावा देती है।

    निष्कर्ष: 

    नैतिक नेतृत्व के लिये जटिल शासन चुनौतियों से निपटने के लिये बुद्धिमता, अनुकूलनशीलता और नैतिक दिशा-निर्देश की आवश्यकता होती है। नैतिक तर्क, पारदर्शिता और दीर्घकालिक दृष्टि द्वारा निर्देशित संतुलित दृष्टिकोण को अपनाकर, एक नेता नैतिक मूल्यों से समझौता किये बिना करुणा एवं व्यावहारिकता दोनों को बनाए रख सकता है।

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