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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. चूँकि AI में परिवर्तन की अपार संभावनाएँ हैं, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसकी पर्यावरणीय चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और इसके प्रभाव को कम करने के उपाय सुझाइये। (150 शब्द)

    26 Feb, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संक्षेप में AI की परिवर्तनकारी भूमिका और इसकी पर्यावरणीय लागत का परिचय दीजिये।
    • ऊर्जा खपत, कार्बन उत्सर्जन और ई-अपशिष्ट सहित विभिन्न चरणों में AI के पर्यावरणीय प्रभाव पर चर्चा कीजिये।
    • AI के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिये स्थायी समाधान सुझाइये। 
    • AI-संचालित नवाचार को पारिस्थितिक उत्तरदायित्व के साथ संतुलित करते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उद्योगों और अर्थव्यवस्थाओं में क्रांति ला रहा है, लेकिन इसका बढ़ता पर्यावरणीय प्रभाव एक गंभीर चिंता का विषय है। डेटा सेंटर में उच्च ऊर्जा खपत से लेकर AI हार्डवेयर से उत्सर्जित होने वाले ई-अपशिष्ट तक, अनियंत्रित AI विस्तार पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण में योगदान दे सकता है। AI की दीर्घकालिक व्यवहार्यता के लिये तकनीकी प्रगति को धारणीयता के साथ संतुलित करना आवश्यक है।

    मुख्य भाग:

    AI की पर्यावरणीय चुनौतियाँ:

    • उच्च ऊर्जा खपत: AI डेटा केंद्रों को भारी मात्रा में बिजली की आवश्यकता होती है, जिससे पावर ग्रिड पर दबाव बढ़ता है तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ता है। 
      • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, वर्ष 2026 तक डेटा सेंटरों से ऊर्जा की मांग दोगुनी होने की उम्मीद है।
    • मॉडल प्रशिक्षण से कार्बन उत्सर्जन: उन्नत AI मॉडलों के प्रशिक्षण के लिये गहन कम्प्यूटेशनल शक्ति की आवश्यकता होती है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च CO₂ उत्सर्जन होता है। 
      • उदाहरण के लिये, GPT-3 की ट्रेनिंग से 552 टन CO₂ उत्सर्जित होता है, जो दर्जनों कारों के वार्षिक उत्सर्जन के समतुल्य है।
    • बढ़ता ई-अपशिष्ट: AI की कम्प्यूटेशनल मांगों से प्रेरित लगातार हार्डवेयर अपग्रेड, इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट में योगदान करते हैं। 
      • AI अवसंरचना के तीव्र विस्तार से अप्रचलित कंप्यूटिंग उपकरणों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे वैश्विक ई-अपशिष्ट संकट और भी गंभीर हो रहा है।
    • शीतलन के लिये जल की खपत: AI डेटा केंद्रों को उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग प्रणालियों को ठंडा रखने के लिये बहुत बड़ी मात्रा में जल संसाधनों की आवश्यकता होती है। 
      • गूगल के डेटा सेंटर जैसे प्रमुख AI हब, शीतलन कार्यों के लिये प्रतिवर्ष लाखों लीटर जल की खपत करते हैं।
    • हार्डवेयर के लिये सामग्री निष्कर्षण: AI चिप निर्माण दुर्लभ मृदा धातुओं पर निर्भर करता है, जिससे खनन परिणामस्वरूप पर्यावरणीय क्षरण होता है। 
      • GPU और अर्द्धचालकों के लिये लिथियम व कोबाल्ट जैसे खनिजों के निष्कर्षण से पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचता है तथा प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास होता है।
    • मॉडल प्रशिक्षण में अकुशलता: बड़े, सामान्य AI मॉडल छोटे, विशिष्ट मॉडलों की तुलना में अत्यधिक कम्प्यूटेशनल संसाधनों का उपयोग करते हैं। 
      • ChatGPT जैसे जनरेटिव AI मॉडल को पूर्ववर्ती AI संस्करणों की तुलना में 10-100 गुना अधिक कंप्यूटिंग शक्ति की आवश्यकता होती है, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव और भी बढ़ जाता है।
    • पर्यावरणीय विनियमनों का अभाव: अधिकांश AI गवर्नेंस फ्रेमवर्क नैतिकता और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन संधारणीयता को नजरअंदाज़ करते हैं। 

    निष्कर्ष:

    AI नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, लेकिन इसके पर्यावरणीय प्रभाव को नियंत्रित किया जाना चाहिये। संधारणीय AI के लिये स्वच्छ ऊर्जा, अनुकूलित मॉडल और जिम्मेदार ई-अपशिष्ट प्रबंधन की आवश्यकता होती है। AI प्रगति को पारिस्थितिक संरक्षण के साथ जोड़ना एक नैतिक अनिवार्यता है।

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