एक महानगर में पुलिस उपायुक्त (DCP) के रूप में, आप अपराधियों पर नज़र रखने और अपराधों को रोकने के लिये तैयार किये गए AI-आधारित फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS) के कार्यान्वयन की देखरेख करते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित यह सिस्टम चोरी को कम करने, संदिग्धों की पहचान करने और लंबित मामलों को सुलझाने में सहायक रहा है। हालाँकि, AI के एल्गोरिदम में गलत सकारात्मकता, गोपनीयता के उल्लंघन और संभावित पूर्वाग्रहों के संदर्भ में चिंताएँ सामने आई हैं।
हाल ही में, सिस्टम ने 22 वर्षीय कॉलेज छात्र रवि को कथित तौर पर हिंसक हो चुके एक विरोध प्रदर्शन में मौजूद होने के लिये चिह्नित किया। AI द्वारा उत्पन्न रिपोर्ट के आधार पर, रवि को पूछताछ के लिये कुछ समय के लिये हिरासत में लिया गया, जबकि उसने बल देते हुए कहा था कि वह इसमें शामिल नहीं था। उसके परिवार और नागरिक समाज समूहों का तर्क है कि AI सिस्टम में तकनीकी त्रुटि के कारण उसकी गलत पहचान की गई थी। जाँच से पता चलता है कि सीमांत पृष्ठभूमि के कई व्यक्तियों को असंगत रूप से चिह्नित किया गया है, जिससे AI-संचालित पुलिसिंग में पूर्वाग्रह के बारे में चिंताएँ बढ़ रही हैं।
शहर का प्रशासन अब विभाजित है। कुछ अधिकारी गोपनीयता संबंधी चिंताओं और अनुचित गिरफ्तारियों का हवाला देते हुए स्वतंत्र समीक्षा के लिये AI परियोजना को रोकने का समर्थन करते हैं। अन्य लोग तर्क देते हैं कि लाभ जोखिमों से अधिक हैं और AI त्रुटियों को समय के साथ सुधारा जा सकता है। इस बीच, रवि के मामले पर जनता का आक्रोश बढ़ रहा है और पुलिस विभाग की विश्वसनीयता दाँव पर है।
1. कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ AI-संचालित फेशियल रिकॉग्निशन के लाभों को झूठी सकारात्मकता, गोपनीयता के उल्लंघन और एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह की चिंताओं के साथ किस प्रकार संतुलित कर सकती हैं?
2. AI उपकरणों को तैनात करने में कानून प्रवर्तन को किन नैतिक सिद्धांतों का मार्गदर्शन करना चाहिये, विशेष रूप से गैर-भेदभाव सुनिश्चित करने और सीमांत समुदायों की सुरक्षा करने में?
3. यह सुनिश्चित करने के लिये कि AI-संचालित पुलिसिंग पारदर्शी, निष्पक्ष और जवाबदेह बनी रहे, कौन-से कानूनी, प्रक्रियात्मक और तकनीकी सुरक्षा उपाय लागू किये जाने चाहिये?
21 Feb, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़कानून प्रवर्तन में AI-संचालित फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS) का उपयोग अपराध की रोकथाम में दक्षता प्रदान करता है, लेकिन साथ ही झूठी सकारात्मकता, गोपनीयता के उल्लंघन और पूर्वाग्रह के बारे में चिंताएँ भी बढ़ाता है। रवि की गलत पहचान प्रवर्तन में AI के नैतिक जोखिमों तथा जवाबदेही, निष्पक्षता एवं पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करती है। कानून प्रवर्तन को यह सुनिश्चित करते हुए मानव अधिकारों के साथ सार्वजनिक सुरक्षा को संतुलित करना चाहिये कि AI बिना किसी भेदभाव के न्याय प्रदान करे।
1. कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ AI-संचालित फेशियल रिकॉग्निशन के लाभों को झूठी सकारात्मकता, गोपनीयता के उल्लंघन और एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह की चिंताओं के साथ किस प्रकार संतुलित कर सकती हैं?
2. AI उपकरणों को तैनात करने में कानून प्रवर्तन को किन नैतिक सिद्धांतों का मार्गदर्शन करना चाहिये, विशेष रूप से गैर-भेदभाव सुनिश्चित करने और सीमांत समुदायों की सुरक्षा करने में?
3. यह सुनिश्चित करने के लिये कि AI-संचालित पुलिसिंग पारदर्शी, निष्पक्ष और जवाबदेह बनी रहे, कौन-से कानूनी, प्रक्रियात्मक और तकनीकी सुरक्षा उपाय लागू किये जाने चाहिये?
AI-संचालित प्रवर्तन को न्याय, निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिये, जबकि सार्वजनिक सुरक्षा को व्यक्तिगत अधिकारों के साथ संतुलित करना चाहिये। सिस्टम को कानून प्रवर्तन में मदद करनी चाहिये, लेकिन नैतिक निर्णय लेने की जगह कभी नहीं लेनी चाहिये। कानूनी सुरक्षा, पारदर्शिता उपायों और पूर्वाग्रह नियंत्रण तंत्रों को लागू करके, AI उत्पीड़न के बजाय न्याय के लिये एक उपकरण के रूप में काम कर सकता है। एक अच्छी तरह से विनियमित AI प्रणाली सार्वजनिक विश्वास को बढ़ाती है, जबकि यह सुनिश्चित करती है कि कानून प्रवर्तन नैतिक, निष्पक्ष और जिम्मेदार बना रहे।