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प्रश्न :
प्रश्न ‘बुद्ध का मध्यम मार्ग’ निर्णय लेने और शासन में लोक सेवकों के लिये नैतिक कार्यढाँचे के रूप में किस प्रकार काम कर सकता है? (150 शब्द)
20 Feb, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- दार्शनिक और नैतिक कार्यढाँचे के रूप में बुद्ध के मध्यम मार्ग का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- ‘बुद्ध का मध्यम मार्ग’ लोक सेवाओं और शासन में नैतिक निर्णय लेने के साथ किस प्रकार संरेखित है। चर्चा कीजिये।
- उदाहरणों, नैतिक सिद्धांतों और शासन सिद्धांतों द्वारा समर्थित व्यावहारिक अनुप्रयोग की विवेचना कीजिये।
- समकालीन प्रशासन में इसकी प्रासंगिकता के साथ उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
‘बुद्ध का मध्यम मार्ग’ या मध्यमक, अत्यधिक भोगवाद और अत्यधिक कठोरतावाद से बचते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण पर बल देता है। लोक सेवाओं में यह वस्तुनिष्ठता, न्याय और निष्पक्ष शासन सुनिश्चित करने वाला एक व्यावहारिक नैतिक कार्यढाँचा प्रदान करता है, जो समानता और दीर्घकालिक लोक विश्वास को बढ़ावा देता है।
मुख्य भाग:
शासन में मध्य मार्ग और नैतिक निर्णय-प्रक्रिया
- मध्य मार्ग संयम, व्यावहारिकता और तर्कसंगत सोच का प्रतीक है, जो लोक सेवकों को संतुलित, नैतिक एवं निष्पक्ष निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
- यह कर्त्तव्य-आधारित दृष्टिकोण और सदाचार नैतिकता के साथ संरेखित होता है, तथा शासन में धार्मिक आचरण (धम्म) को बढ़ावा देता है।
- यह संवैधानिक नैतिकता को दर्शाता है तथा किसी भी विचारधारा, वर्ग या समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह के बिना निष्पक्ष और समावेशी शासन सुनिश्चित करता है।
लोक सेवाओं में मध्यम मार्ग का अनुप्रयोग:
- संतुलित नीति निर्माण
- लोक सेवकों को आर्थिक विकास को सामाजिक समानता के साथ संतुलित करना चाहिये तथा यह सुनिश्चित करना चाहिये कि विकास सतत् और समावेशी हो।
- उदाहरण: राष्ट्रीय सौर मिशन, ग्रीन GDP और पंचामृत लक्ष्य जैसी नीतियों के माध्यम से पर्यावरणीय संवहनीयता के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करना।
- निर्णय लेने में निष्पक्षता
- राजनीतिक दबाव या प्रशासनिक जड़ता से बचते हुए, अधिकारियों को वस्तुनिष्ठता, पारदर्शिता और निष्पक्षता का पालन करना चाहिये।
- उदाहरण: टी.एन. शेषन के चुनावी सुधारों ने संवैधानिक प्रावधानों और प्रशासनिक दक्षता को संतुलित किया तथा लोकतांत्रिक अखंडता को कायम रखा।
- संघर्ष समाधान और आम सहमति निर्माण
- मध्यम मार्ग टकराव के स्थान पर संवाद को बढ़ावा देता है, जो विवादों को सुलझाने और सहकारी शासन सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- उदाहरण: NITI आयोग का सहकारी संघवाद दृष्टिकोण राज्य की स्वायत्तता और केंद्रीय निगरानी के बीच संतुलन स्थापित करता है, जिससे सामंजस्यपूर्ण नीति कार्यान्वयन सुनिश्चित होता है।
- भ्रष्टाचार मुक्त एवं नैतिक प्रशासन
- अत्यधिक शक्ति अधिनायकवाद की ओर ले जाती है, जबकि अत्यधिक उदारता अकुशलता की ओर ले जाती है। अतएव एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है।
- उदाहरण: DBT (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) जैसी ई-गवर्नेंस पहल, प्रशासनिक विवेकाधिकार के बिना कल्याणकारी वितरण सुनिश्चित करते हुए लीकेज को कम करती है।
- सहानुभूति के साथ सार्वजनिक शिकायतों का निपटारा करना
- लोक सेवकों को प्रक्रियात्मक दक्षता और करुणा के बीच संतुलन बनाना चाहिये, तथा प्रशासनिक लालफीताशाही के बिना प्रभावी सेवा प्रदान करना सुनिश्चित करना चाहिये।
- उदाहरण: IAS अधिकारी आर्मस्ट्रांग पाम की एक सुदूर क्षेत्र में सड़क निर्माण की पहल, जिसमें लोक कल्याण और प्रक्रियात्मक अनुपालन के बीच संतुलन स्थापित किया गया।
शासन में मध्यम मार्ग का समर्थन करने वाले नैतिक सिद्धांत
- अरस्तू का स्वर्णिम मध्य मार्ग: सद्गुणों में संयम को प्रोत्साहित करता है, जो अतिवाद से बचने पर मध्य मार्ग के बल के साथ प्रतिध्वनित होता है।
- रॉल्स का न्याय सिद्धांत: निष्पक्षता को अपनाते हुए यह सुनिश्चित करता है कि सबसे कम सुविधा प्राप्त लोगों को कोई नुकसान न पहुँचे।
निष्कर्ष:
बुद्ध का मध्यम मार्ग लोक सेवकों के लिये एक नैतिक दिशा-निर्देशक के रूप में कार्य करता है, जो उन्हें न्यायसंगत, समावेशी और निष्पक्ष शासन की ओर मार्गदर्शन करता है। जटिल नैतिक दुविधाओं के युग में, संयम, अखंडता और निष्पक्षता पर इसका बल दीर्घकालिक प्रशासनिक धारणीयता एवं सार्वजनिक विश्वास सुनिश्चित करता है।
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