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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न: 'सूचना युद्ध' की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये और विश्लेषण कीजिये कि किस प्रकार गलत सूचना तथा सोशल मीडिया में हेरफेर भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये गंभीर चुनौतियाँ प्रस्तुत कर सकते हैं। (150 शब्द)

    19 Feb, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सूचना युद्ध को परिभाषित करके उत्तर दीजिये।
    • सूचना युद्ध के प्रमुख घटक बताइये।
    • गलत सूचना और सोशल मीडिया हेरफेर को आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरे के रूप में परिभाषित कीजिये।
    • गलत सूचना और सोशल मीडिया हेरफेर का मुकाबला करने के उपाय सुझाइये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    सूचना युद्ध (IW) से तात्पर्य सूचना के उपयोग को एक उपकरण के रूप में प्रभावित करने, बाधा डालने या प्रतिद्वंद्वी के निर्णय लेने में हेरफेर करने से है, जो प्रायः गलत सूचना, साइबर संचालन और मनोवैज्ञानिक रणनीति के माध्यम से किया जाता है।

    800 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं वाले भारत को गलत सूचना अभियानों, विदेशी दुष्प्रचार और सोशल मीडिया हेरफेर से बढ़ते खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जो हिंसा भड़का सकते हैं, शासन को बाधित कर सकते हैं तथा लोकतांत्रिक संवहनीयता को खतरा पहुँचा सकते हैं।

    मुख्य भाग:

    सूचना युद्ध के प्रमुख घटक:

    • गलत सूचना और भ्रामक सूचना: जनता की राय को गुमराह करने या हेरफेर करने के लिये मिथ्या सूचनाओं/कहानियों का प्रसार।
    • साइबर वॉर: सूचना प्रणालियों को बाधित करने के लिये हैकिंग, मैलवेयर और साइबर अटैक का प्रयोग।
    • मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन (PsyOps): भावनाओं और विश्वासों पर ध्यान केंद्रित करके धारणाओं को प्रभावित करना है।
    • सोशल मीडिया हेरफेर: प्रचार को बढ़ाने के लिये बॉट्स, फर्ज़ी खातों और AI-जनरेटेड कंटेंट का प्रयोग करना।
    • डीपफेक और AI-जनरेटेड कंटेंट: झूठी कहानियाँ गढ़ने के लिये सिंथेटिक मीडिया का प्रयोग करना।
    • हाइब्रिड वॉर: किसी राष्ट्र को अस्थिर करने के लिये साइबर, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक रणनीति का संयोजन।

    गलत सूचना और सोशल मीडिया में हेरफेर आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरा:

    • सांप्रदायिक एवं सामाजिक अशांति
      • सोशल मीडिया पर फर्ज़ी खबरें और भड़काऊ कंटेंट ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकती हैं, हिंसा एवं दंगे को भड़का सकती है।
        • उदाहरण: व्हाट्सएप पर गलत सूचना के कारण भारत में (वर्ष 2018) झूठी अफवाहों के कारण मॉब लिंचिंग की घटनाएँ हुईं।
    • कट्टरपंथ और उग्रवाद
      • ISIS जैसे आतंकवादी संगठन और कट्टरपंथी समूह भर्ती एवं प्रचार के लिये सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं।
        • उदाहरण: ऑनलाइन कट्टरपंथ ने कुछ युवाओं को कश्मीर में चरमपंथी आंदोलनों में (कथित तौर पर टेलीग्राम के माध्यम से) शामिल होने के लिये प्रभावित किया है।
    • चुनाव में हस्तक्षेप और राजनीतिक अस्थिरता
      • डीप-फेक वीडियो और फर्ज़ी सोशल मीडिया अभियान मतदाताओं की धारणा को प्रभावित कर सकते हैं।
        • उदाहरण: भारतीय आम चुनाव- 2024 में मतदाताओं की धारणा को बदलने वाले डीपफेक की एक शृंखला देखी गई।
    • महत्त्वपूर्ण बुनियादी अवसंरचना के लिये साइबर खतरे
      • विद्युत ग्रिडों, वित्तीय प्रणालियों और रक्षा नेटवर्कों पर साइबर हमले राष्ट्रीय सुरक्षा को कमज़ोर कर सकते हैं।
      • उदाहरण: भारत के बिजली क्षेत्र में कथित चीनी साइबर इंट्रूज़न (मुंबई 2020 ब्लैकआउट)।
    • विश्वमारी और स्वास्थ्य संकट में फर्ज़ी खबरें
      • कोविड-19 के दौरान उपचार और टीकों के बारे में गलत सूचना के कारण लोगों को घबराहट तथा टीकाकरण में हिचकिचाहट हुई।
      • उदाहरण: टीकों के कारण बाँझपन होने की झूठी अफवाहें सोशल मीडिया के माध्यम से फैलती हैं।
    • आर्थिक व्यवधान और बाज़ार हेरफेर
      • बैंकिंग विफलताओं, शेयर बाज़ार में गिरावट और डिजिटल धोखाधड़ी से संबंधित फर्ज़ी खबरें निवेशकों का विश्वास कमज़ोर कर सकती हैं।

    गलत सूचना और सोशल मीडिया हेरफेर से निपटने के उपाय:

    • साइबर सुरक्षा और डिजिटल विनियमन को सख्त करना
      • सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 के तहत सख्त IT कानून लागू किया जाना चाहिये।
      • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति के तहत साइबर सुरक्षा कार्यढाँचे का विस्तार किया जाना चाहिये।
    • तथ्य-जाँच तंत्र और AI-आधारित जाँच
      • फर्ज़ी खबरों का मुकाबला करने के लिये सरकार समर्थित तथ्य-जाँच पोर्टल (जैसे, PIB फैक्ट चेक) का प्रयोग किया जाना चाहिये।
      • डीप फेक और गलत सूचनाओं का पता लगाने के लिये AI और मशीन लर्निंग का प्रयोग किया जाना चाहिये।
    • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का विनियमन
      • IT नियम, 2021 के तहत फर्ज़ी समाचार स्रोतों के कंटेंट मॉडरेशन और पता लगाने की अनिवार्यता होनी चाहिये।
      • फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप जैसी बिग टेक कंपनियों के साथ मज़बूत सहयोग किया जाना चाहिये।
    • जन जागरूकता एवं डिजिटल साक्षरता
      • स्कूलों और कॉलेजों में डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम शामिल किये जाने चाहिये।
      • जागरूकता अभियानों के माध्यम से सोशल मीडिया के जिम्मेदार उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
      • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
      • अंतर्राष्ट्रीय गलत सूचना खतरों से निपटने के लिये वैश्विक साइबर सुरक्षा एजेंसियों (जैसे: इंटरपोल, संयुक्त राष्ट्र साइबर इकाइयों) के साथ सहयोग किया जाना चाहिये।

    निष्कर्ष:

    डिजिटल युद्ध के दौर में गलत सूचना और सोशल मीडिया का दुरुपयोग भारत के लिये गंभीर आंतरिक सुरक्षा खतरे के रूप में उभरे हैं। तकनीकी नवाचारों, नीतिगत सुधारों और वैश्विक सहयोग को अपनाकर भारत अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं, सामाजिक सद्भाव एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को सूचना युद्ध के खतरों से बचा सकता है।

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