- फ़िल्टर करें :
- राजव्यवस्था
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध
- सामाजिक न्याय
-
प्रश्न :
हमारी शिक्षा प्रणाली बड़े राजनीतिक समुदाय के रूप में ग्रामीणों को एकीकृत करने में असफल रही है। टिप्पणी कीजिये।
28 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- उत्तर का प्रारंभ भारतीय समाज में शिक्षा के अंतर्निहित पहलुओं के साथ करें।
- ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की वर्तमान महत्ता के बारे में लिखें।
- उत्तर का समापन शिक्षा नीति, 2016 के साथ अपने सुझाव देते हुए करें।
भारतीय समाज में शिक्षा को सदैव उच्च स्थान दिया गया है तथा शिक्षा का उद्देश्य लोगों का भौतिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में सर्वांगीण विकास करना है। भारतीय शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य सदैव लोगों को एक-दूसरे से आध्यात्मिक रूप से जोड़ना है, परंतु आज़ादी के कई वर्षों के बाद भी ग्रामीण भारत में शिक्षा का प्रभाव कुछ पहलुओं में काफी सीमित है। 2011 की जनगणना के आँकड़े यह दर्शाते हैं कि पिछले 20 वर्षों में ग्रामीण साक्षरता तेज़ी से बढ़ी है, परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं जिन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
भारत की पहली शिक्षा नीति हमारे पूर्वजों और स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों, बुनियादी शिक्षा तथा महात्मा गांधी के दर्शन के पर केंद्रित थी परंतु वक्त के साथ मूल्य एवं विचार केवल सिद्धांतों तक ही सीमित रह गए।
ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालय उपेक्षित रहे तथा उनके सुधार का प्रयास कभी नहीं किया गया। नीतियाँ ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिभाशाली छात्रों को जवाहर नवोदय विद्यालय इत्यादि योजनाओं में भेजने पर केंद्रित रहीं।
ग्रामीण तथा अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों के लाखों छात्रें ने अपनी युवावस्था तेज़ी से सिकुड़ते हुए अवसरों के बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धात्मक प्रवेश के लिये प्रशिक्षण पाने में व्यतीत की है। प्रत्येक वर्ष ग्रामीण विद्यालयों द्वारा कोचिंग संस्थानों के लिये अभ्यर्थियों की फौज खड़ी की जाती है।
संविधान द्वारा पंचायती राज को वैधता प्रदान किये जाने के बावजूद गाँवों की राजनीतिक पृथकता कम नहीं हुई।
कई छात्र स्वयं कोचिंग उद्योग में लग जाते हैं या फिर प्राइवेट ट्यूशन देने में।
1990 के दशक में आर्थिक सुधारों के साथ-साथ शिक्षा नीति में भी परिवर्तन हुए तथा शिक्षा अब मानव संसाधन के पूंजी, कौशल तथा लाभ के ऊपर अधिक केंद्रित हो गई, जिसने ग्रामीण शिक्षा पर प्रभाव डाला है।
सरकार की शिक्षा नीति ने परिवर्तन में शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा दिया।
वर्तमान आर्थिक नीतियों और मानवीय प्रवृत्तियों के कारण समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता तथा लोकतंत्र अब केवल सैद्धांतिक रूप से उपस्थित हैं।
महात्मा गांधी ने कहा था कि विकास की लहर गाँव से शुरू होनी चाहिये जो कि आगे चलकर पूरे देश को विकसित करने में सफल होगी, यही बात शिक्षा व्यवस्था में भी लागू होती है। अतः सरकार को भारतीय लोगों के विकास के लिये मौलिक आदर्शों का ध्यान रखना होगा। शिक्षा नीति, 2016 ‘शिक्षित करने, प्रोत्साहित करने तथा प्रबुद्ध करने’ के लक्ष्य के साथ समावेशन के ऊपर केंद्रित है। इसका उद्देश्य एक विश्वसनीय शिक्षा प्रणाली का विकास करना है जो सभी के लिये गुणवत्तापूर्ण समावेशी शिक्षा तथा जीवनपर्यंत सीखने का अवसर सुनिश्चित कर सके। एक समान समावेशी तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करके, शिक्षा में सुधारों को अपनाकर गुणवत्ता को पोषण देकर सभी विद्यार्थियों को कौशल हासिल करने के लिये प्रोत्साहित करके यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print