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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    1. उद्देश्य की खोज के बिना प्रगति की खोज निरर्थक है।
    2. दृष्टि बिना कर्म अधूरी कल्पना है, जबकि कर्म बिना दृष्टि दिशाहीन प्रयास है।

    15 Feb, 2025 निबंध लेखन निबंध

    उत्तर :

    1. उद्देश्य की खोज के बिना प्रगति की खोज निरर्थक है।

    अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:

    • विक्टर फ्रैंकल: "जीवन कभी भी परिस्थितियों के कारण असहनीय नहीं होता, बल्कि केवल अर्थ और उद्देश्य की कमी के कारण असहनीय होता है।"
    • अल्बर्ट श्वित्ज़र: "सफलता खुशी की कुंजी नहीं है। खुशी सफलता की कुंजी है। अगर आप जो कर रहे हैं उससे प्यार करते हैं, तो आप सफल होंगे।"

    सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:

    • प्रगति और उद्देश्य के बीच अंतर-संबंध:
      • उद्देश्य के बिना प्रगति, पतवार के बिना जहाज़ की तरह है - दिशाहीन और विनाश की ओर प्रवृत्त।
      • जीन-पॉल सार्त्र जैसे अस्तित्ववादी दार्शनिक तर्क देते हैं कि व्यक्तियों को अपना अर्थ स्वयं परिभाषित करना चाहिये, क्योंकि केवल बाह्य प्रगति से ही पूर्णता प्राप्त नहीं हो सकती।
      • बौद्ध दर्शन, सार्थक प्रगति के लिये मार्गदर्शक शक्ति के रूप में धर्म - धार्मिक कर्त्तव्य पर ज़ोर देता है।
    • नैतिक विचार – किस कीमत पर प्रगति?
      • तकनीकी और आर्थिक प्रगति को नैतिक और मानवीय मूल्यों के अनुरूप होना चाहिये।
      • अरस्तू की "स्वर्णिम मध्य" की अवधारणा बताती है कि किसी भी लक्ष्य की अधिकता या कमी असंतुलन की ओर ले जाती है।
      • भगवद्गीता निष्काम कर्म (निःस्वार्थ कार्य) की शिक्षा देती है - जहाँ कार्य के पीछे का उद्देश्य परिणाम से अधिक मायने रखता है।

    नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:

    • गुमराह प्रगति - जब उद्देश्य की अनदेखी की जाती है:
      • औपनिवेशिक शोषण: यूरोपीय उपनिवेशीकरण से औपनिवेशिक शक्तियों के लिये आर्थिक विकास हुआ, लेकिन स्वदेशी समाज तबाह हो गया।
      • पर्यावरणीय अवनति: औद्योगिक क्रांति ने मानव प्रगति को बढ़ावा दिया, लेकिन इससे गंभीर पारिस्थितिक क्षति भी हुई, जो आज जलवायु परिवर्तन के रूप में स्पष्ट है।
      • अनैतिक AI विकास: नैतिक सुरक्षा उपायों के बिना कृत्रिम बुद्धिमत्ता में तेज़ी से प्रगति से नौकरी छूटने, गलत सूचना और निगरानी की चिंताएँ बढ़ती जा रही हैं।
    • उद्देश्य के साथ प्रगति – सार्थक विकास के मामले अध्ययन:
      • महात्मा गांधी का स्वदेशी आंदोलन: अंधाधुंध औद्योगीकरण के बजाय आत्मनिर्भरता और स्थिरता पर केंद्रित था।
      • स्कैंडिनेवियाई कल्याण मॉडल: डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश आर्थिक प्रगति को सामाजिक कल्याण के साथ संतुलित करते हैं, जिससे समावेशी विकास सुनिश्चित होता है।
      • भारत की हरित क्रांति: इसका लक्ष्य केवल कृषि उत्पादकता ही नहीं बल्कि खाद्य सुरक्षा और आत्मनिर्भरता भी है।

    समकालीन उदाहरण:

    • व्यापार और कॉर्पोरेट नैतिकता:
      • स्टार्टअप बनाम सतत् विकास: कई यूनिकॉर्न स्टार्टअप दीर्घकालिक संवहनीयता के बजाय मूल्यांकन का पीछा करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पतन होता है।
      • टाटा समूह का नैतिक व्यवसाय मॉडल: औद्योगिक विस्तार के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी को प्राथमिकता देता है।
    • सामाजिक एवं पर्यावरण नीतियाँ:
      • सकल राष्ट्रीय खुशी (भूटान): यह केवल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर नहीं, बल्कि खुशहाली पर आधारित प्रगति को मापता है।
      • नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमण: जर्मनी (एनर्जीवेंडे) जैसे देश केवल औद्योगिक विकास के बजाय सतत् विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

    2. बिना कार्य के दृष्टि एक स्वप्न है; बिना दृष्टि के कार्य एक दुःस्वप्न है

    या दृष्टि बिना कर्म अधूरी कल्पना है, जबकि कर्म बिना दृष्टि दिशाहीन प्रयास है।

    अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:

    • जोएल ए. बार्कर: "कार्य के बिना दृष्टि केवल एक स्वप्न है। बिना दृष्टि के कार्रवाई केवल समय बर्बाद करती है। कार्य के साथ दृष्टि दुनिया को बदल सकती है।"
    • हेलेन केलर: "अंधे होने से भी बदतर बात है— दृष्टि होना, परंतु दृष्टि का न होना।"
    • सन त्ज़ु: "रणनीति के बिना रणनीति हार से पहले का शोर है।"

    सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:

    • सार्थक कार्रवाई के लिये दूरदर्शिता की आवश्यकता:
      • दृष्टि दिशा और उद्देश्य प्रदान करती है - इसके बिना कार्य अव्यवस्थित और अप्रभावी हो जाते हैं।
      • प्लेटो की ‘दार्शनिक राजा’ अवधारणा का तर्क है कि नेताओं के पास अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से निर्देशित करने के लिये बुद्धि (दूरदर्शिता) होनी चाहिये।
      • कौटिल्य का अर्थशास्त्र कार्यान्वयन से पहले रणनीतिक सोच पर ज़ोर देता है - दृष्टि और कार्रवाई के बीच अंतर-संबंध पर प्रकाश डालता है।
    • दूरदर्शिता के बिना कार्रवाई के खतरे:
      • अनियोजित शहरीकरण: उचित योजना के बिना तीव्र विकास से भीड़भाड़, प्रदूषण और अपर्याप्त बुनियादी अवसंरचना की स्थिति उत्पन्न होती है।
      • रणनीति के बिना युद्ध और आक्रमण: वियतनाम युद्ध और सोवियत-अफगान युद्ध जैसे उदाहरण दीर्घकालिक दृष्टि के बिना सैन्य हस्तक्षेप को उजागर करते हैं।

    नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:

    • दूरदर्शिता की कमी के कारण विफलताएँ:
      • डॉट-कॉम बबल (1990-2000 का दशक): कंपनियाँ संधारणीय राजस्व मॉडल के बिना इंटरनेट कारोबार में उतर गईं।
      • नोकिया का पतन: अल्पकालिक लाभ पर ध्यान केंद्रित किया गया, लेकिन स्मार्टफोन क्रांति को नजरअंदाज़ किया, जिससे बाज़ार में अग्रणी स्थान खो दिया।
    • सशक्त दृष्टिकोण के बावजूद कार्रवाई की कमी के कारण विफलताएँ:
      • संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते: यद्यपि वैश्विक अभिकर्त्ता जलवायु लक्ष्यों पर सहमत हैं, फिर भी कार्यान्वयन धीमा बना हुआ है।
      • क्रियान्वयन के बिना दूरदर्शी विचार: भारत की 1960 के दशक की पंचवर्षीय योजनाओं में महत्त्वाकांक्षी औद्योगिक दृष्टिकोण थे, लेकिन प्रशासनिक अकुशलता ने प्रगति को धीमा कर दिया।
    • दृष्टि और कार्रवाई में संतुलन से सफलताएँ:
      • ISRO का अंतरिक्ष कार्यक्रम: दीर्घकालिक दृष्टिकोण (अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता) तथा स्थिर क्रियान्वयन (चंद्रयान, मंगलयान)।
      • भारत की IT क्रांति: दूरदर्शी नेतृत्व (नरसिम्हा राव, नंदन नीलेकणी) के साथ-साथ कार्रवाई (आर्थिक उदारीकरण, IT अवसंरचना विकास)।
      • टेस्ला की सफलता: संधारणीय परिवहन के संबंध में एलन मस्क के दृष्टिकोण को निरंतर नवाचार और कार्यान्वयन का समर्थन प्राप्त है।

    समकालीन उदाहरण:

    • व्यापार और नवाचार:
      • गूगल की मूनशॉट परियोजनाएँ: स्वचालित कार और AI अनुसंधान जैसी दूरदर्शी परियोजनाएँ भविष्य की सोच को ठोस कार्रवाई के साथ संरेखित करती हैं।
    • शासन और नीति:
      • भारत की डिजिटल क्रांति: UPI और आधार जैसी पहलों द्वारा समर्थित डिजिटल रूप से सशक्त समाज (डिजिटल इंडिया) का दृष्टिकोण।

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