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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. जेंडर बजटिंग महिला सशक्तीकरण का एक प्रभावी उपकरण है। भारत की विकास नीतियों में लैंगिक असमानताओं को कम करने में इसकी प्रभावशीलता का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)

    04 Feb, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • जेंडर बजटिंग को परिभाषित करते हुए उत्तर दीजिये। 
    • लैंगिक असमानताओं को दूर करने में लैंगिक बजट की प्रभावशीलता बताइये।
      • सकारात्मक प्रभाव
      • चुनौतियाँ
    • जेंडर बजटिंग की प्रभावशीलता बढ़ाने के उपाय सुझाइये। 
    • एक दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ उचित निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय: 

    जेंडर बजटिंग एक वित्तीय नवाचार है जिसका उद्देश्य महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने और लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिये बजटीय आवंटन में लैंगिक दृष्टिकोण को एकीकृत करना है। भारत में सत्र 2005-06 में शुरू की गई यह योजना महिलाओं और लड़कियों को लाभ पहुँचाने वाली योजनाओं पर लक्षित व्यय सुनिश्चित करती है। 

    मुख्य भाग: 

    लैंगिक असमानताओं को दूर करने में जेंडर बजटिंग की प्रभावशीलता: 

    • लिंग आधारित बजट के लाभ: 
      • शिक्षा तक बेहतर पहुंच: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय जैसी योजनाओं से लड़कियों के नामांकन में वृद्धि हुई है, जिससे साक्षरता में लैंगिक अंतराल कम हुआ है।
        • महिला साक्षरता दर 65.5% (वर्ष 2011 की जनगणना) से बढ़कर 72% (NFHS-5, 2019-21) हो गई।
      • स्वास्थ्य परिणामों में सुधार: जननी सुरक्षा योजना और पोषण अभियान जैसे लिंग-केंद्रित कार्यक्रमों से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई है।
        • मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 130 (वर्ष 2014-16) से घटकर 97 (वर्ष 2018-20) हो गया।
      • महिला आर्थिक सशक्तीकरण: जून, 2022 तक लगभग 8.39 करोड़ ग्रामीण गरीब महिलाओं को 76.94 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों में संगठित किया गया है।
        • MGNREGA में कम से कम एक तिहाई कार्यबल महिलाओं का होना अनिवार्य किया गया है, जिससे उनकी वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ी है।
      • बेहतर सुरक्षा और कानूनी सहायता: वन स्टॉप सेंटर, SEWA और निर्भया फंड जैसी पहल महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर कार्रवाई करती हैं और संस्थागत सहायता प्रदान करती हैं।
        • घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 और विशाखा दिशानिर्देश जैसे कानूनों को दृढ़ करने से कानूनी सुरक्षा में वृद्धि हुई है।
      • जेंडर रेस्पॉन्सिव अवसंरचना विकास: स्वच्छ भारत मिशन ने महिलाओं के लिये स्वच्छता सुविधाओं को बढ़ावा दिया, स्वच्छता में सुधार किया और लड़कियों की स्कूल में उपस्थिति दर में वृद्धि की।
        • प्रधानमंत्री आवास योजना महिलाओं के लिये घर के स्वामित्व को प्राथमिकता देती है, जिससे वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
    • कार्यान्वयन में चुनौतियाँ: 
      • निधि उपयोग में अंतराल: CAG रिपोर्ट में प्रमुख विभागों में जेंडर बजटिंग प्रकोष्ठों की कमी के कारण महिला बजट आवंटन के कम उपयोग पर प्रकाश डाला गया है।
      • राज्य-स्तरीय भिन्नताएँ: कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में ही सुदृढ़ जेंडर बजटिंग कार्यढाँचा है, जबकि अन्य राज्य कार्यान्वयन में पिछड़े हुए हैं।
      • कमज़ोर निगरानी और जवाबदेही तंत्र: प्रभाव आकलन तंत्र की अनुपस्थिति से निधि आवंटन और नीति क्रियान्वयन में अकुशलता आती है।
      • लिंग-विभाजित आँकड़ों का अभाव: महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और सार्वजनिक संसाधनों तक पहुँच पर अपर्याप्त डेटा साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण में बाधा डालता है।

    जेंडर बजटिंग की प्रभावशीलता बढ़ाने के उपाय: 

    • संस्थागत तंत्र को सुदृढ़ करना: सभी स्तरों पर लिंग-संवेदनशील बजट का समन्वय और निगरानी करने के लिये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
    • बेहतर निधि आवंटन और उपयोग: जनसंख्या-आधारित आवंटन के बजाय आवश्यकता-आधारित आवंटन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से ग्रामीण और हाशिए के क्षेत्रों में।
    • सामाजिक क्षेत्रों से परे जेंडर बजटिंग का विस्तार: बुनियादी अवसंरचना, ऊर्जा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और कौशल विकास नीतियों में लिंग आधारित दृष्टिकोण को एकीकृत करने की आवश्यकता है।
    • सरकारी अधिकारियों के लिये क्षमता निर्माण: प्रभावी कार्यान्वयन के लिये जेंडर बजटिंग पर नीति निर्माताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है।
    • सार्वजनिक उत्तरदायित्व और पारदर्शिता बढ़ाना: नीतियों के प्रभाव का आकलन करने के लिये स्वतंत्र निगरानी निकायों की स्थापना करने तथा लैंगिक ऑडिट कराने की आवश्यकता है।

    निष्कर्ष: 

    महिलाओं के सशक्तीकरण को आगे बढ़ाने में जेंडर बजटिंग ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन पहलों को SDG 5 के साथ जोड़कर, भारत महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (CEDAW) में उल्लिखित सिद्धांतों के अनुसार लैंगिक समानता और समावेशी विकास को और भी बढ़ावा दे सकता है।

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