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प्रश्न :
प्रश्न. भारत की स्वतंत्रता और राष्ट्र निर्माण में सुभाष चंद्र बोस तथा सरदार पटेल के योगदान की तुलना कीजिये। (150 शब्द)
03 Feb, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- सुभाष चंद्र बोस और सरदार वल्लभभाई पटेल के संदर्भ में जानकारी के साथ उत्तर दीजिये।
- भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान पर प्रकाश डालिये।
- राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान पर प्रकाश डालिये।
- उनके योगदान की प्रमुख समानताएँ और अंतर बताइये।
- मुख्य बिंदुओं का सारांश देते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- सुभाष चंद्र बोस और सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दो प्रभावशाली नेता थे, जिन्होंने स्वतंत्रता तथा स्वतंत्रता-उपरांत राष्ट्र निर्माण में विशिष्ट योगदान दिया।
- सुभाष चंद्र बोस ने जहाँ एक ओर उग्रवादी दृष्टिकोण अपनाया और ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिये बाह्य सैन्य सहायता की मांग की, वहीं दूसरी ओर सरदार वल्लभभाई पटेल ने एक व्यावहारिक रणनीति अपनाते हुए काॅन्ग्रेस के नेतृत्व में देश के भीतर आंदोलन को प्रबल किया।
मुख्य भाग:
भारत की स्वतंत्रता में योगदान
- सुभाष चंद्र बोस
- क्रांतिकारी राष्ट्रवाद: बोस स्वतंत्रता के मार्ग के रूप में सशस्त्र संघर्ष में विश्वास करते थे।
- उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया और अंग्रेज़ों को भारत से बाहर निकालने के लिये धुरी राष्ट्रों से सहायता की मांग की।
- आज़ाद हिंद सरकार: वर्ष 1943 में सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अनंतिम सरकार की स्थापना की गई, जिसे कई देशों से मान्यता प्राप्त हुई।
- काॅन्ग्रेस के उदारवाद से मोहभंग: काॅन्ग्रेस नेतृत्व के दृष्टिकोण से, विशेषकर गांधीजी और पटेल के दृष्टिकोण से असहमत थे, जिसके कारण उन्होंने वर्ष 1939 में काॅन्ग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
- क्रांतिकारी राष्ट्रवाद: बोस स्वतंत्रता के मार्ग के रूप में सशस्त्र संघर्ष में विश्वास करते थे।
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- अहिंसक प्रतिरोध: गांधीजी के करीबी सहयोगी के रूप में, पटेल ने अहिंसक सविनय अवज्ञा का पालन किया और बारदोली सत्याग्रह (वर्ष 1928) जैसे आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाई, जिससे संघर्ष में जन भागीदारी बढ़ी।
- भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिका: काॅन्ग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी के बावजूद भारत छोड़ो आंदोलन (वर्ष 1942) के प्रमुख नेता के रूप में पटेल ने अपनी संगठनात्मक क्षमता से व्यापक विरोध सुनिश्चित किया।
- काॅन्ग्रेस नेतृत्व और व्यावहारिकता: बोस के विपरीत, पटेल ने समझौता और राजनीतिक संगठन को प्राथमिकता दी, जिससे भारतीय राजनीति पर काॅन्ग्रेस की पकड़ मज़बूत हुई।
राष्ट्र निर्माण में योगदान
- सुभाष चंद्र बोस
- आर्थिक दृष्टि: समाजवादी योजना और औद्योगीकरण का समर्थन किया, नेहरू के दृष्टिकोण के समान आर्थिक विकास में एक सुदृढ़ राज्य की भूमिका का प्रस्ताव रखा।
- धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक एकता: बोस ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल दिया और सांप्रदायिक राजनीति की निंदा की, हिंदू महासभा जैसे संगठनों को विभाजनकारी शक्ति बताया।
- देशभक्ति की भावना जागृत करना: उनकी विचारधारा और नारे, जैसे ‘तुम मुझे खून दो, और मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा’ ने राष्ट्रवाद का एक व्यग्र रूप स्थापित किया, जिसने उत्तरोत्तर पीढ़ियों को प्रेरित किया।
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- रियासतों का एकीकरण: पटेल ने अनुनय और बल के मिश्रण का प्रयोग करके 560 से अधिक रियासतों (उदाहरण के लिये, हैदराबाद पुलिस कार्रवाई, 1948 और जूनागढ़ का विलय) को एकीकृत करने में निर्णायक भूमिका निभाई।
- सिविल सेवाओं का सुदृढ़ीकरण: शासन और स्थायित्व में उनके महत्त्व को पहचानते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- निजी उद्यम पर ध्यान: बोस के समाजवादी झुकाव के विपरीत, पटेल निजी उद्यम के प्रति अधिक सहानुभूति रखते थे तथा ऐसी आर्थिक नीतियों का समर्थन करते थे जो राज्य नियंत्रण को मुक्त बाज़ार सिद्धांतों के साथ संतुलित करती थीं।
बोस और पटेल के बीच मतभेद:
पहलू
सुभाष चंद्र बोस
सरदार वल्लभभाई पटेल
स्वतंत्रता संग्राम के प्रति दृष्टिकोण
ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध का समर्थन किया
गांधीजी के नेतृत्व में अहिंसक सविनय अवज्ञा में विश्वास
काॅन्ग्रेस के साथ संबंध
काॅन्ग्रेस नेतृत्व के साथ टकराव; वर्ष 1939 में पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया
काॅन्ग्रेस के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक के रूप में, निर्णय लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई
शासन पर दृष्टिकोण
समाजवादी योजना के साथ एक सुदृढ़ केंद्रीय सरकार का समर्थन किया
प्रशासनिक विकेंद्रीकरण के साथ लोकतांत्रिक शासन का समर्थन किया
आर्थिक दर्शन
राज्य के नेतृत्व वाली आर्थिक योजना और तीव्र औद्योगिकीकरण का समर्थन किया
निजी उद्यम की प्रमुख भूमिका वाली मिश्रित अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता दी गई
निष्कर्ष:
आधुनिक भारत दोनों नेताओं से प्रेरणा ले सकता है: बोस की आर्थिक आत्मनिर्भरता एवं देशभक्ति की दृष्टि, पटेल की शासन एवं एकता में व्यावहारिकता के साथ मिलकर एक सुदृढ़, आत्मनिर्भर और समावेशी भारत के लिये रोडमैप के रूप में काम कर सकती है।
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