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प्रश्न :
प्रश्न: "भारत में एक नए मध्यम वर्ग के उदय ने सामाजिक पूंजी के अनूठे रूपों का निर्माण किया है, जबकि साथ ही मौजूदा असमानताओं को और गहरा किया है।" इस पर उपयुक्त उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
27 Jan, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाजउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत के नए मध्यम वर्ग के उदय के संदर्भ में जानकारी देते हुए उत्तर दीजिये।
- नये मध्यम वर्ग द्वारा निर्मित सामाजिक पूंजी के रूपों पर प्रकाश डालिये।
- मध्यम वर्ग के उदय के कारण बढ़ती असमानताओं को वैध ठहराने वाले तर्क दीजिये।
- मुख्य बिंदुओं का सारांश दीजिये और दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत का नवीन मध्यम वर्ग, जो जनसंख्या का 31% प्रतिनिधित्व करता है, तीव्र आर्थिक विकास, शहरीकरण और वैश्वीकरण, विशेषकर 1991 के आर्थिक सुधारों के कारण एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है।
- हालाँकि, इसी विकास ने कमज़ोर वर्गों को हाशिये पर धकेलकर तथा संसाधनों, शिक्षा और अवसरों तक पहुँच में विभाजन को बढ़ाकर असमानताओं को बढ़ा दिया है।
मुख्य भाग:
नये मध्यम वर्ग द्वारा निर्मित सामाजिक पूंजी के रूप
- नागरिक सहभागिता और सामुदायिक पहल
- मध्यम वर्ग ने ज़मीनी स्तर के आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई है, जैसे भ्रष्टाचार विरोधी अभियान (जैसे: वर्ष 2011 में अन्ना हजारे का आंदोलन) और पर्यावरण सक्रियता (जैसे: मुंबई में आरे बचाओ अभियान )।
- शहरी प्रशासन में रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) प्रमुख भूमिका में आ गए हैं, जो बेहतर नागरिक सुविधाएँ सुनिश्चित करते हैं तथा समाज में विश्वास एवं सहयोग का नेटवर्क बनाते हैं।
- आर्थिक विकास और नवाचार में योगदान
- बढ़ते मध्यम वर्ग ने उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया है, रोज़गार के अवसर उत्पन्न किये हैं और उपभोक्ता मांग में वृद्धि की है।
- उदाहरण: ज़ोमैटो, मीशो और फ्लिपकार्ट जैसे स्टार्ट-अप का उदय इस वर्ग की आकांक्षात्मक मानसिकता को दर्शाता है।
- शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रन
- मध्यम वर्गीय परिवार उन्नति के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में महत्त्वपूर्ण निवेश करते हैं, जिससे कुशल कार्यबल को बढ़ावा मिलता है।
- उदाहरण: निजी स्कूलों, कोचिंग सेंटरों, एड-टेक प्लेटफॉर्मों का विस्तार और वैश्विक शैक्षिक मानकों की मांग।
- सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन
- इस वर्ग ने सामाजिक मानदंडों में परिवर्तन का नेतृत्व किया है, जैसे कार्यबल में महिलाओं की अधिक स्वीकार्यता, छोटे एकल परिवार तथा योग्यता आधारित अवसरों की ओर बदलाव।
- सामाजिक पूंजी सक्रियता, कॅरियर के अवसरों और ज्ञान साझाकरण हेतु नेटवर्क बनाने के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्मों (उदाहरण के लिये, लिंक्डइन, ऑनलाइन वकालत समूह) के उपयोग में भी स्पष्ट है।
मध्यम वर्ग के उदय के कारण बढ़ती असमानताएँ
- शहरी-ग्रामीण विभाजन का विस्तार
- मध्यम वर्ग की समृद्धि बड़े पैमाने पर शहरी क्षेत्रों में केंद्रित है, जिससे ग्रामीण समुदायों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा एवं रोज़गार के अवसरों तक अपर्याप्त पहुँच मिलती है।
- उदाहरण: डिजिटल विभाजन, जहाँ शहरी मध्यम वर्ग के परिवारों के पास ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में प्रौद्योगिकी और इंटरनेट कनेक्टिविटी तक अधिक पहुँच है, शिक्षा एवं नौकरी के अवसरों में असमानता को बढ़ाता है।
- मध्यम वर्ग की समृद्धि बड़े पैमाने पर शहरी क्षेत्रों में केंद्रित है, जिससे ग्रामीण समुदायों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा एवं रोज़गार के अवसरों तक अपर्याप्त पहुँच मिलती है।
- रोज़गार के अवसरों में बढ़ती असमानताएँ
- भारत के सेवा-उन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव से मध्यम वर्ग को असमान रूप से लाभ हुआ है, विशेष रूप से IT और वित्त में, जबकि कृषि और विनिर्माण जैसे पारंपरिक व्यवसाय पीछे रह गए हैं।
- उदाहरण: उच्च वेतन वाली IT नौकरियाँ बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में केंद्रित हैं, जिससे ग्रामीण एवं अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के पास आय वृद्धि के सीमित अवसर हैं।
- भारत के सेवा-उन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव से मध्यम वर्ग को असमान रूप से लाभ हुआ है, विशेष रूप से IT और वित्त में, जबकि कृषि और विनिर्माण जैसे पारंपरिक व्यवसाय पीछे रह गए हैं।
- पर्यावरणीय असमानताएँ
- मध्यम वर्ग, जो उर्ध्वगामी गतिशीलता और उपभोग पर ध्यान केंद्रित करता है, प्रायः गरीबों की कीमत पर पर्यावरणीय क्षरण में बहुत बड़ा योगदान देता है।
- मध्यम वर्गीय आवास और जीवनशैली की मांग को पूरा करने वाले शहरी विकास के कारण वनों की कटाई, कृषि भूमि का ह्रास तथा निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में वायु एवं जल प्रदूषण होता है।
- शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निर्माण परियोजनाएँ हाशिये पर पड़े ग्रामीण समुदायों को विस्थापित करती हैं तथा प्राकृतिक संसाधनों तक उनकी पहुँच को कम करती हैं।
- मध्यम वर्ग, जो उर्ध्वगामी गतिशीलता और उपभोग पर ध्यान केंद्रित करता है, प्रायः गरीबों की कीमत पर पर्यावरणीय क्षरण में बहुत बड़ा योगदान देता है।
- सांस्कृतिक एवं आकांक्षात्मक विभाजन
- उपभोक्तावादी मध्यवर्गीय संस्कृति के उदय से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच आकांक्षात्मक विभाजन उत्पन्न हो रहा है।
- ग्रामीण क्षेत्रों के युवा लोग सोशल मीडिया पर दिखाई देने वाली शहरी मध्यवर्गीय जीवनशैली की आकांक्षा रखते हैं, लेकिन उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये उनके पास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा या नौकरी प्रशिक्षण तक पहुँच नहीं होती है।
- उपभोक्तावादी मध्यवर्गीय संस्कृति के उदय से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच आकांक्षात्मक विभाजन उत्पन्न हो रहा है।
निष्कर्ष:
भारत में नए मध्यम वर्ग का उदय अवसरों और चुनौतियों दोनों का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि इसने नागरिक जुड़ाव, उद्यमशीलता एवं शिक्षा के माध्यम से सामाजिक पूंजी के अनूठे रूपों का निर्माण किया है, इसके लाभ असमान रूप से वितरित हैं, जिससे मौजूदा असमानताएँ और गहरी हो गई हैं। समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिये, नीतियों का लक्ष्य ग्रामीण-शहरी विभाजन को समाप्त करना, गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँच बढ़ाना और सीमांत समुदायों को सशक्त बनाने पर केंद्रित होना चाहिये।
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