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प्रश्न :
1. विकास हमेशा बाह्य रूप से नहीं होता; कभी-कभी यह आंतरिक रूप से भी होता है।
25 Jan, 2025 निबंध लेखन निबंध
2. जिसका आप विरोध करते हैं, वह स्थिर रहता है; जिसको आप स्वीकार करते हैं, वह परिवर्तित हो सकता है।उत्तर :
1. विकास हमेशा बाह्य रूप से नहीं होता; कभी-कभी यह आंतरिक रूप से भी होता है।
अर्थात् परिवर्तन के बिना प्रगति असंभव है और जो लोग अपना मन नहीं बदल सकते, वे कुछ भी नहीं बदल सकते।
अपने निबंध को समृद्ध करने हेतु उद्धरण:
- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ: "परिवर्तन के बिना प्रगति असंभव है और जो लोग अपना मन नहीं बदल सकते, वे कुछ भी नहीं बदल सकते।"
- चार्ल्स डार्विन: "सबसे शक्तिशाली प्रजाति या सबसे बुद्धिमान प्रजाति जीवित नहीं रहती, बल्कि वह प्रजाति जीवित रहती है जो परिवर्तन के प्रति सबसे अधिक प्रतिक्रियाशील होती है।"
- महात्मा गांधी: “आप दुनिया में जो बदलाव देखना चाहते हैं, पहले वह स्वयं बनें।”
सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- समुत्थानशक्ति और विकास: जैविक शब्दों में, विकास अपने आप में प्राकृतिक वरण द्वारा संचालित परिवर्तन की एक प्रक्रिया है। जिस तरह प्रजातियों को जीवित रहने के लिये अनुकूलन करना पड़ता है, उसी तरह समाज की भी प्रगति के लिये परिवर्तन आवश्यक है।
- परिवर्तन की द्वंद्वात्मकता: हेगेलियन दर्शन इस बात पर बल देता है कि प्रगति द्वंद्वात्मक प्रक्रिया— विरोधी विचारों के बीच संघर्ष जो उच्चतर विकास की ओर ले जाता है, के माध्यम से होती है।
- परिवर्तन का प्रतिरोध: व्यवहार मनोवैज्ञानिकों का तर्क है कि संज्ञानात्मक असंगति प्रायः व्यक्तियों और समाज को प्रगति से रोकती है तथा प्रगति को रोकती है।
- खुले विचारों की भूमिका: जॉन स्टुअर्ट मिल ने ऑन लिबर्टी में मौजूदा प्रतिमानों को चुनौती देने और प्रगति को बढ़ावा देने के लिये असहमति एवं बहस के महत्त्व को रेखांकित किया है।
नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:
- सती प्रथा उन्मूलन (भारत): राजा राम मोहन राय के नेतृत्व में सुधार आंदोलन को सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन इसने सिद्ध कर दिया कि जड़ जमाए हुए विश्वासों को चुनौती देने से प्रगति हो सकती है।
- औद्योगिक क्रांति: कृषि अर्थव्यवस्थाओं से औद्योगिक समाजों में बदलाव ने उत्पादन, शहरीकरण और तकनीकी उन्नति में क्रांतिकारी बदलाव किया, लेकिन ऐसा केवल इसलिये हुआ क्योंकि लोगों ने परिवर्तन की मांग के अनुसार स्वयं को ढाल लिया।
समकालीन उदाहरण:
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन: नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण, संधारणीय जीवन शैली का अंगीकरण तथा पेरिस समझौते जैसे अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को लागू करना, पर्यावरणीय प्रगति के लिये परिवर्तन की आवश्यकता को दर्शाता है।
- डिजिटल परिवर्तन: कोविड वैश्विक महामारी के बाद, विश्व ने दूरस्थ कार्य, ई-गवर्नेंस और डिजिटल साक्षरता को अपनाया है, जो दर्शाता है कि परिवर्तन किस प्रकार शासन एवं जीवन-शैली में प्रगति को प्रेरित करता है।
2. जिसका आप विरोध करते हैं, वह स्थिर रहता है; जिसको आप स्वीकार करते हैं, वह परिवर्तित हो सकता है।
अपने निबंध को समृद्ध करने हेतु उद्धरण:
- बी.आर. अंबेडकर: “लोकतंत्र सरकार का एक रूप नहीं है, बल्कि सामाजिक संगठन का एक रूप है।”
- अब्राहम लिंकन: "जनता का शासन, जनता द्वारा और जनता के लिये, पृथ्वी से कभी नष्ट नहीं होगा।"
- जॉन डेवी: “लोकतंत्र संवाद से शुरू होता है।”
सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- लोकतंत्र एक जीवन पद्धति है: जॉन डेवी ने अपने लेखन में तर्क दिया कि लोकतंत्र मतपेटी से परे है। यह सहयोग, संवाद और सामूहिक समस्या समाधान की भावना को दर्शाता है।
- लोकतंत्र और बहुलवाद: आइज़ाया बर्लिन की मूल्य बहुलवाद की धारणा लोकतंत्र के सार के अनुरूप है जो विविध विचारों को सह-अस्तित्व में रहने और सार्वजनिक संवाद को समृद्ध बनाने की अनुमति देती है।
- सहभागी लोकतंत्र: मात्र प्रतिनिधि तंत्रों के विपरीत, सहभागी लोकतंत्र शासन में नागरिकों की प्रत्यक्ष भागीदारी पर बल देता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि यह "सहबद्ध जीवन जीने का एक तरीका" बन जाए।
नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन: स्वतंत्रता संग्राम ने विविध समूहों को एकजुट किया, एक सामूहिक पहचान को बढ़ावा दिया और लोकतंत्र को संबद्ध जीवन के रूप में चित्रित किया।
- भारत में पंचायती राज प्रणाली: विकेंद्रीकृत शासन ज़मीनी स्तर पर भागीदारी को सक्षम बनाता है तथा यह दर्शाता है कि लोकतंत्र किस प्रकार समुदायों को जोड़ता है।
समकालीन उदाहरण:
- समुदाय-आधारित विकास (SDG): संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य सहभागी दृष्टिकोण पर ज़ोर देते हैं, जैसे जल प्रबंधन परियोजनाओं में स्थानीय समुदायों की भागीदारी।
- नागरिक आंदोलन: भारत में RTI (सूचना का अधिकार) अधिनियम के लिये नेतृत्व करने वाले आंदोलन दर्शाते हैं कि लोकतंत्र सक्रिय नागरिक भागीदारी पर ही पनपता है।
- प्रौद्योगिकी और ई-लोकतंत्र: भारत में MyGov या ब्राज़ील में सहभागी बजट जैसे साधन इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि किस प्रकार प्रौद्योगिकी संबद्ध जीवनशैली के रूप में लोकतंत्र को बढ़ाती है।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) में सार्वजनिक सुनवाई: भारत में, सार्वजनिक सुनवाई EIA प्रक्रिया में एक अनिवार्य कदम है, जो प्रभावित समुदायों को बाँधों या खदानों जैसी विकास परियोजनाओं के संदर्भ में चिंताओं को व्यक्त करने की अनुमति देता है।
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