- फ़िल्टर करें :
- सैद्धांतिक प्रश्न
- केस स्टडीज़
-
प्रश्न :
प्रश्न: "नैतिक विकास व्यावसायिक विकास जितना ही महत्त्वपूर्ण है।" कॉर्पोरेट गवर्नेंस के संदर्भ में इस कथन पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
16 Jan, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- कॉर्पोरेट प्रशासन को परिभाषित करके उत्तर प्रस्तुत दीजिये।
- कॉर्पोरेट प्रशासन में नैतिक विकास की भूमिका बताइये।
- कॉर्पोरेट प्रशासन में व्यावसायिक विकास की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए नैतिक और व्यावसायिक विकास के बीच संतुलन के महत्त्व को समझाइये।
- संतुलन प्राप्त करने में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
- संतुलित रूप से निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
कॉर्पोरेट प्रशासन वह प्रणाली है जिसके द्वारा कंपनियों को निर्देशित और नियंत्रित किया जाता है, जिससे कॉर्पोरेट आचरण में उत्तरदायित्व, निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। यदि व्यावसायिक विकास तकनीकी विशेषज्ञता और प्रबंधकीय दक्षता को बढ़ाता है, तो नैतिक विकास ईमानदारी, विश्वास और उत्तरदायित्व की संस्कृति का निर्माण करता है।
नैतिक आधार के अभाव में, अकेले व्यावसायिक क्षमता ही शोषण और प्रशासनिक विफलता का कारण बन सकती है।
मुख्य भाग:
कॉर्पोरेट प्रशासन में नैतिक विकास की भूमिका
- नैतिक निर्णय लेना: नैतिक रूप से विकसित नेता केवल लाभ अधिकतमीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अपने निर्णयों के सामाजिक और नैतिक प्रभाव का आकलन करते हैं।
- यह दृष्टिकोण समावेशी विकास को बढ़ावा देता है और हितधारकों को नुकसान से बचाता है।
- नारायणमूर्ति के नेतृत्व में इन्फोसिस ने पारदर्शी लेखांकन और निष्पक्ष कर्मचारी व्यवहार के माध्यम से नैतिक निर्णय लेने का प्रदर्शन किया, जिससे दीर्घकालिक हितधारकों का विश्वास अर्जित हुआ।
- विश्वास और विश्वसनीयता का निर्माण: नैतिक आचरण निवेशकों, ग्राहकों और कर्मचारियों के विश्वास को दृढ़ करता है, जो व्यवसाय की निरंतरता के लिये आवश्यक है।
- अच्छी प्रतिष्ठा वाली कंपनी निवेश आकर्षित करती है, ग्राहकों का विश्वास अर्जित करती है और प्रतिभा को बरकरार रखती है।
- नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं के लिये प्रसिद्ध टाटा समूह को निष्पक्षता और अखंडता के लिये वैश्विक ख्याति प्राप्त है, जो इसकी सफलता का आधार रही है।
- घोटालों और भ्रष्टाचार को कम करना: एक मज़बूत नैतिक आधार, अनैतिक प्रथाओं जैसे कि अनधिकृत व्यापार, वित्तीय धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी जो कंपनियों को विफल कर सकते हैं, को रोकने में मदद करता है।
- धोखाधड़ीपूर्ण लेखांकन प्रथाओं के कारण हुए सत्यम घोटाले (वर्ष 2008) ने कमज़ोर नैतिक शासन के परिणामों को उजागर किया।
- इसके परिणामस्वरूप SEBI के कॉर्पोरेट प्रशासन नियमों के अंतर्गत सख्त प्रकटीकरण मानदंडों की शुरुआत जैसे सुधार हुए।
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) को कायम रखना: नैतिक रूप से प्रेरित कंपनियाँ गरीबी, शिक्षा और पर्यावरण क्षरण जैसे मुद्दों का समाधान करते हुए सामाजिक कल्याण में सक्रिय रूप से योगदान देती हैं।
- ITC ग्रामीण शिक्षा, किसान सशक्तीकरण के लिये e-Choupal और वनरोपण कार्यक्रमों में पहल के माध्यम से CSR को अपने मुख्य व्यवसाय मॉडल में एकीकृत करता है।
कॉर्पोरेट प्रशासन में व्यावसायिक विकास की भूमिका
- उन्नत दक्षता और नवाचार: व्यावसायिक विकास नेताओं को प्रक्रियाओं को अनुकूलित करने, संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित करने और दीर्घकालिक स्थिरता के लिये नवाचार करने के लिये तकनीकी कौशल के साथ तैयार करता है।
- रिलायंस इंडस्ट्रीज़ नवाचार और स्केलेबिलिटी के माध्यम से तेल, पेट्रोकेमिकल्स एवं दूरसंचार जैसे उद्योगों पर हावी होने के लिये पेशेवर विशेषज्ञता का लाभ उठाने में उत्कृष्ट है।
- विनियामक अनुपालन: लेखांकन मानकों, प्रशासनिक कार्यढाँचों और कॉर्पोरेट विनियमों की समझ यह सुनिश्चित करती है कि कंपनियाँ कानूनी आवश्यकताओं का अनुपालन करें तथा दंड से बचें।
- पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) अनुपालन अपनाने वाली कंपनियाँ न केवल नियामक दायित्वों को पूरा करती हैं, बल्कि हितधारकों के बीच सद्भावना भी बनाती हैं।
- जोखिम प्रबंधन: पेशेवर रूप से विकसित नेतृत्व में जोखिमों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है तथा वित्तीय, परिचालन और प्रतिष्ठा संबंधी जोखिमों को कम करने के लिये सुदृढ़ तंत्रों को लागू किया जा सकता है।
नैतिक और व्यावसायिक विकास में संतुलन का महत्त्व
- धारणीयता: नैतिक शासन की अनुपस्थिति पेशेवर क्षमता को कमज़ोर कर सकती है, जिससे असंधारणीय हो सकते हैं। इसी तरह, पेशेवर कौशल के बिना नैतिक उद्देश्य अकुशलता को जन्म दे सकते हैं।
- वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के दौरान लेमैन ब्रदर्स के पतन ने यह प्रदर्शित कर दिया कि किस प्रकार नैतिक विचारों की उपेक्षा (जैसे कि अत्यधिक जोखिम और अति-आर्थिक लाभ के उद्देश्य वाली नीति) विफलताओं का कारण बन सकती है।
- सामाजिक उत्तरदायित्व और दीर्घकालिक विकास: लाभप्रदता और उत्तरदायित्व के बीच संतुलन बनाने से समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे कंपनियाँ दीर्घकालिक रूप से विकसित होने के लिये सक्षम होती हैं।
- प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम से बचना: दृढ़ नैतिक आधार वाली कंपनियों को प्रतिष्ठा संबंधी संकट का सामना करने की संभावना कम होती है, जिसका वित्तीय और परिचालन संबंधी दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है।
- समावेशिता और विविधता को बढ़ावा देना: नैतिक नेतृत्व एक निष्पक्ष, समावेशी और विविध कार्यस्थल सुनिश्चित करता है, जबकि व्यावसायिक विकास कर्मचारी उत्पादकता एवं नवाचार को बढ़ाता है।
संतुलन प्राप्त करने की चुनौतियाँ
- अल्पकालिक लाभ अभिविन्यास: कई कंपनियाँ दीर्घकालिक नैतिक विचारों की तुलना में अल्पकालिक वित्तीय लाभ को प्राथमिकता देती हैं।
- नैतिक प्रशिक्षण का अभाव: कॉर्पोरेट नेतृत्व में प्रायः नैतिकता और मूल्यों में संरचित प्रशिक्षण का अभाव होता है।
- परस्पर विरोधी हितधारक हित: शेयरधारकों, कर्मचारियों और पर्यावरण के हितों में संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- विनियामक अंतराल: कॉर्पोरेट प्रशासन मानदंडों के कमज़ोर प्रवर्तन से अनैतिक प्रथाओं को जारी रहने का मौका मिल सकता है।
निष्कर्ष:
नैतिक और व्यावसायिक विकास प्रभावी कॉर्पोरेट प्रशासन के दो स्तंभ हैं। यदि व्यावसायिक कौशल दक्षता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देते हैं, तो नैतिक अखंडता यह सुनिश्चित करती है कि दक्षता सामाजिक एवं हितधारक कल्याण के एक बड़े उद्देश्य को पूरा करें। साथ ही ये कंपनियों को विश्वास बनाने, विकास को बनाए रखने तथा अर्थव्यवस्था और समाज में सकारात्मक योगदान करने में सक्षम बनाते हैं।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print