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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न: "भारत के लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढाँचे को आधुनिक और कुशल बनाने के लिये मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी क्यों आवश्यक है? इस संदर्भ में, भारतमाला परियोजना और समर्पित माल गलियारों के योगदान का विश्लेषण कीजिये।" (250 शब्द)

    15 Jan, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • भारत के लिये कुशल लॉजिस्टिक्स बुनियादी अवसंरचना के महत्त्व का उल्लेख करते हुए उत्तर दीजिये।
    • भारत के लॉजिस्टिक्स में सुधार करने के लिये मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के पक्ष में तर्क दीजिये।
    • भारत के लॉजिस्टिक्स परिदृश्य में भारतमाला की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
    • भारत के लॉजिस्टिक्स परिदृश्य में समर्पित वस्तु परिवहन गलियारों की भूमिका पर गहन विचार प्रस्तुत कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय

    आर्थिक विकास और प्रतिस्पर्द्धात्मकता के लिये कुशल लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर आवश्यक है। विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉरमेंस इंडेक्स (LPI)- वर्ष 2023 में 38वें स्थान पर रहने वाले भारत को उच्च लॉजिस्टिक्स लागत (GDP का 14-18%, जबकि वैश्विक औसत 8% है—आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23) का सामना करना पड़ रहा है।

    • भारतमाला परियोजना और समर्पित माल ढुलाई गलियारा (DFC) सड़क, रेल एवं बंदरगाह नेटवर्क को एकीकृत करके बहु-मॉडल कनेक्टिविटी तथा लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 
    • कुशल रसद ➡️ कम लागत ➡️ तेजी से माल की आवागमन ➡️ बेहतर व्यापार ➡️ आर्थिक विकास और प्रतिस्पर्द्धात्मकता

    मुख्य भाग: 

    भारत के लॉजिस्टिक्स को इष्टतम करने के लिये मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी: 

    • रसद लागत में कमी: बहु-मॉडल परिवहन, परिवहन साधनों को दक्षता के लिये इष्टतम करके भारत में उच्च रसद लागत (GDP का 14%) को कम करता है।
    • निर्बाध माल ढुलाई: यह एंड-टू-एंड तक सुचारु संपर्क सुनिश्चित करता है, विलंब को न्यूनतम करता है तथा आपूर्ति शृंखला दक्षता में सुधार करता है।
      • यह लागत, समय और विश्वसनीयता के संदर्भ में सबसे इष्टतम मॉडल संयोजन को चुनने और डिज़ाइन करने के लिये आपूर्ति शृंखला अनुकूलन भी प्रदान करता है।
      • सड़कों पर भीड़-भाड़ कम करना: इससे सड़क परिवहन पर अत्यधिक निर्भरता कम होती है, जाम, प्रदूषण और अनुरक्षण लागत में कमी आती है।
    • एक्ज़िम व्यापार के लिये समर्थन: औद्योगिक केंद्रों को बंदरगाहों और वैश्विक बाज़ारों से जोड़कर निर्यात-आयात दक्षता को बढ़ाता है।
      • इससे लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में कारोबार में सुविधा होगी, जो भारतीय उद्योग को प्रतिस्पर्द्धी बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • क्षेत्रीय विकास: अविकसित क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और असमानताओं को कम किया जाता है।
    • आपूर्ति शृंखला अनुकूलन: प्राकृतिक आपदाओं या आर्थिक संकटों जैसे व्यवधानों के दौरान बुनियादी अवसंरचना की विश्वसनीयता और अनुकूलनशीलता में सुधार करता है।

    भारत के लॉजिस्टिक्स परिदृश्य में भारतमाला की भूमिका

    • उन्नत आर्थिक गलियारे: भारतमाला का लक्ष्य स्वर्णिम चतुर्भुज और उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम गलियारों सहित प्रमुख मार्गों पर माल ढुलाई यातायात को सुव्यवस्थित करने के लिये 26,000 किलोमीटर वाले आर्थिक गलियारे विकसित करना है।
    • प्रथम और अंतिम बिंदु कनेक्टिविटी: 8,000 किमी अंतर-राज्यीय गलियारों और 7,500 किमी. फीडर मार्गों का विकास, लॉजिस्टिक्स शृंखलाओं में अंतराल को समाप्त करता है तथा उद्योगों एवं उपभोक्ताओं के लिये पहुँच में सुधार करता है।
    • सीमा और तटीय संपर्क: अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर बुनियादी अवसंरचना में सुधार करके नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देता है।
      • सागरमाला और भारतमाला के माध्यम से तटीय क्षेत्रों को जोड़ने से बंदरगाह आधारित आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे निर्यात एवं आयात दोनों में सुविधा होगी।
    • आधुनिक एक्सप्रेस-वे और ग्रीनफील्ड परियोजनाएँ: ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के विकास से पारंपरिक मार्गों पर भीड़भाड़ कम हो जाती है।
      • उदाहरण: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे ने दिल्ली और मुंबई के बीच यात्रा का समय 24 घंटे से घटाकर केवल 12 घंटे कर दिया। 

    भारत के लॉजिस्टिक्स परिदृश्य में समर्पित माल गलियारों की भूमिका: 

    • तीव्र एवं कुशल माल ढुलाई यातायात: DFC विशेष रेलवे मार्ग हैं, जो माल ढुलाई यातायात के लिये डिज़ाइन किये गए हैं, जो तीव्र एवं भारी रेलगाड़ियों के परिचालन में मदद करते हैं।
      • पूर्वी DFC (EDFC) और पश्चिमी DFC (WDFC) औद्योगिक केंद्रों, कोयला खदानों, बिजली संयंत्रों तथा बंदरगाहों से कनेक्टिविटी में सुधार करते हैं।
    • रेल नेटवर्क में भीड़भाड़ कम करना: भारत के पारंपरिक रेल नेटवर्क का स्वर्णिम चतुर्भुज, जो 52% यात्री और 58% माल ढुलाई यातायात का परिवहन करता है, अत्यधिक भीड़भाड़ से ग्रस्त है।
      • DFC माल ढुलाई यातायात को समर्पित मार्गों पर मोड़कर इस बोझ को कम करते हैं।
      • वर्तमान में औसतन 325 ट्रेनें प्रतिदिन चल रही हैं, जो वर्ष 2023 से 60% अधिक है। DFC पर मालगाड़ियाँ अधिक तीव्रता, अधिक परिवहन और अधिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।
    • निर्यात-आयात (EXIM) व्यापार को मज़बूत करना: मुंद्रा और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल जैसे बंदरगाहों को जोड़ने वाला पश्चिमी DFC, EXIM कार्गो के लिये कनेक्टिविटी बढ़ाता है।
      • WDFC की डबल-स्टैक कंटेनर ट्रेनें निर्यात के लिये परिवहन लागत को कम करती हैं, जिससे भारतीय सामान वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनते हैं।
    • क्षेत्रीय आर्थिक विकास: शोध के अनुसार DFC का "सामाजिक-समानता प्रभाव" होता है, जिससे बेहतर कनेक्टिविटी और कम लॉजिस्टिक्स लागत के माध्यम से राज्यों (प्रति व्यक्ति कम GDP वाले राज्य) को लाभ मिलता है।
      • फीडर मार्ग आंतरिक क्षेत्रों में स्थित उद्योगों और छोटे व्यवसायों के लिये अभिगम को बेहतर बनाते हैं।
    • भविष्य की विस्तार योजनाएँ: चार अतिरिक्त गलियारों, जैसे पूर्वी तट गलियारा (खड़गपुर-विजयवाड़ा) और उत्तर-दक्षिण गलियारा (विजयवाड़ा-इटारसी) की योजना बनाई गई है, जिसका उद्देश्य माल ढुलाई को और अधिक इष्टतम बनाना है।

    निष्कर्ष: 

    भारतमाला परियोजना और समर्पित माल ढुलाई गलियारा कनेक्टिविटी में सुधार, लागत में कमी और बहु-मॉडल एकीकरण को बढ़ाकर भारत के लॉजिस्टिक्स परिदृश्य को बदलने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। इन पहलों का उद्देश्य भारत को वर्ष 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ाना है।

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