- फ़िल्टर करें :
- निबंध
-
प्रश्न :
प्रश्न. वास्तविक विकास तब प्रारंभ होता है जब अंतिम लक्ष्य तक पहुँच प्राप्त होती है।
प्रश्न. परंपरा बोझ नहीं, बल्कि प्रगति का आधार है।
11 Jan, 2025 निबंध लेखन निबंधउत्तर :
1. अपने निबंध को समृद्ध करने के लिए उद्धरण:
- महात्मा गांधी: "भारत की आत्मा उसके गाँवों में बसती है।"
- जॉन एफ. कैनेडी: "यदि एक स्वतंत्र समाज उन अनेक गरीबों की सहायता नहीं कर सकता, तो वह उन चंद अमीरों को भी नहीं बचा सकता।"
सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- समावेशी विकास: अमर्त्य सेन का क्षमता दृष्टिकोण विकास के सच्चे मापदंड के रूप में सीमांत लोगों की स्वतंत्रता का विस्तार करने पर बल देता है।
- स्थिरता और समानता: विकास का मतलब सिर्फ आर्थिक संवृद्धि नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि लाभ समाज के अंतिम पायदान तक पहुँचे।
- सामाजिक न्याय सिद्धांत: जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत समाज में सबसे कम सुविधा प्राप्त लोगों के कल्याण को प्राथमिकता देने पर प्रकाश डालते हैं।
नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:
- भारत में हरित क्रांति: यद्यपि इसने कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया, लेकिन इसकी वास्तविक सफलता ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुँचाने में थी।
- अंत्योदय दर्शन: पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सबसे गरीब व्यक्ति के उत्थान का दृष्टिकोण अंतिम छोर तक विकास के सिद्धांत के साथ संगत है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): ज़मीनी स्तर पर रोज़गार और आजीविका प्रदान करने पर केंद्रित, विशेष रूप से सीमांत समुदायों के लिये।
समकालीन उदाहरण:
- डिजिटल इंडिया पहल: ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी लाने के प्रयास प्रौद्योगिकी में अंतिम-मील समावेशिता को उजागर करते हैं।
- आकांक्षी जिला कार्यक्रम: अविकसित ज़िलों में लक्षित विकास संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करता है।
2. अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:
- महात्मा गांधी- "किसी राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के हृदय और आत्मा में निवास करती है।"
- कन्फ्यूशियस - "यदि आप भविष्य को परिभाषित करना चाहते हैं तो अतीत का अध्ययन करें।"
सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- निरंतरता और परिवर्तन: परंपराएँ पहचान और निरंतरता की भावना प्रदान करती हैं, साथ ही समय के साथ प्रगति और अनुकूलन के लिये संभावनाएँ भी प्रदान करती हैं।
- रूढ़िवाद का दर्शन: परंपरा को महत्त्व देने के बर्क के तर्क अंतर-पीढ़ीगत ज्ञान के महत्त्व में उनके विश्वास पर आधारित हैं, जिसे वे स्वाभाविक रूप से आधारित एवं समय के साथ आगे बढ़ता हुआ मानते हैं।
- सांस्कृतिक समुत्थानशीलन: परंपराएँ समाज को परिवर्तन के साथ अपने मूल मूल्यों को संरक्षित करके समुत्थानशील करने में मदद करती हैं। उदाहरण के लिये काइज़ेन/Kaizen (निरंतर सुधार) की जापानी अवधारणा पारंपरिक अनुशासन को नवाचार के साथ संतुलित करती है।
नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:
- भारत की पंचायती राज प्रणाली: पारंपरिक ग्राम परिषदों पर आधारित एक आधुनिक शासन कार्यढाँचा, जो सांस्कृतिक नींव पर निर्मित प्रगति का उदाहरण है।
- सांस्कृतिक पुनर्जागरण आंदोलन: भारत में बंगाल पुनर्जागरण ने पारंपरिक मूल्यों को आधुनिक बौद्धिक गतिविधियों के साथ सामंजस्य स्थापित किया, जिससे सामाजिक-सांस्कृतिक प्रगति को बढ़ावा मिला।
समकालीन उदाहरण:
- योग और आयुर्वेद: भारत की प्राचीन प्रथाओं ने आधुनिक स्वास्थ्य उद्योगों में वैश्विक प्रासंगिकता प्राप्त की है।
- स्वदेशी ज्ञान प्रणालियाँ: पर्यावरण संरक्षण के प्रयास तेज़ी से स्वदेशी समुदायों की पारंपरिक प्रथाओं पर निर्भर होते जा रहे हैं, जैसे कि अमेजन वन्य जनजातियों की सतत् कृषि।
- त्यौहार और अर्थव्यवस्था: दिवाली और क्रिसमस जैसे पारंपरिक त्यौहार सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करते हुए आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print