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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न:"व्यक्तिगत नैतिक दृष्टिकोण सामूहिक सामाजिक चेतना को आयाम देते हैं।" लोक सेवा के संदर्भ में टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द)

    09 Jan, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • व्यक्तिगत नैतिक दृष्टिकोण सामाजिक चेतना को आयाम देते हैं, इसके संक्षिप्त विवरण के साथ उत्तर दीजिये।
    • व्यक्तिगत नैतिकता और सामाजिक चेतना के बीच संबंध पर प्रकाश डालिये।
    • सार्वजनिक सेवा और नैतिक दृष्टिकोण के गुणक प्रभाव पर गहन विचार प्रस्तुत कीजिये।
    • व्यक्तिगत नैतिकता को सामूहिक सामाजिक चेतना में बदलने में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
    • आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    व्यक्तिगत नैतिक दृष्टिकोण समाज की सामूहिक सामाजिक चेतना की नींव बनाते हैं। व्यक्तिगत नैतिकता, ईमानदारी और मूल्य न केवल व्यक्तिगत व्यवहार को निर्देशित करते हैं बल्कि सामाजिक मानदंडों और अपेक्षाओं को भी प्रभावित करते हैं। सार्वजनिक सेवा में, जहाँ निर्णय लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं, व्यक्तियों के नैतिक दृष्टिकोण शासन प्रणाली, सार्वजनिक विश्वास और सामूहिक सामाजिक व्यवहार को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    मुख्य भाग:

    व्यक्तिगत नैतिकता और सामाजिक चेतना के बीच संबंध

    • नेतृत्व मूल्यों का प्रतिबिम्ब: उच्च नैतिक मानकों वाले सार्वजनिक अधिकारी समाज के लिये एक उदाहरण स्थापित करते हैं, जिसका सामूहिक मूल्यों पर प्रभाव पड़ता है।
      • उदाहरण: IAS अधिकारी आर्मस्ट्रांग पाम, जिन्हें ‘मिरेकल मैन ऑफ मणिपुर’ के रूप में जाना जाता है, ने बिना सरकारी सहायता के 100 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण करके निस्वार्थता का परिचय दिया, जिससे सामूहिक सामुदायिक प्रयासों को प्रेरणा मिली।
    • शासन में विश्वास का निर्माण: व्यक्तिगत नैतिकता उत्तरदायित्व और पारदर्शिता को बढ़ावा देती है, तथा संस्थाओं में जनता का विश्वास उत्पन्न करती है।
      • उदाहरण: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन ने चुनाव सुधारों में ईमानदारी को बरकरार रखा तथा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के बारे में जनता की धारणा को नया स्वरूप दिया।
    • नीति कार्यान्वयन में भूमिका: नैतिक लोक सेवक कल्याणकारी योजनाओं के न्यायसंगत कार्यान्वयन को सुनिश्चित करते हैं तथा सामाजिक असमानताओं को दूर करते हैं।
      • उदाहरण: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) जैसे कार्यक्रमों में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले अधिकारी शासन में जनता का विश्वास मज़बूत करते हैं।

    सार्वजनिक सेवा और नैतिक दृष्टिकोण का गुणक प्रभाव

    • नैतिक नेतृत्व सामूहिक कार्रवाई को प्रेरित करता है: नैतिक प्रतिबद्धता वाले नेता ‘स्वच्छ भारत अभियान’ या ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी पहलों में सामाजिक भागीदारी को प्रेरित करते हैं।
    • सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना: नैतिक दृष्टिकोण पूर्वाग्रहों को कम करने और सार्वजनिक सेवा वितरण में समावेशन को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
    • जनजातीय समुदायों के लिये भूमि अधिकारों को बढ़ावा देने जैसे सीमांत समूहों का समर्थन करने वाले लोक सेवक सामूहिक सामाजिक न्याय को बढ़ाते हैं।
    • नैतिक पतन का प्रतिरोध: व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा भ्रष्टाचार और वंशवाद का प्रतिरोध करती है, तथा समाज में अनैतिक प्रथाओं को प्रचलित होने से रोकती है।
    • उदाहरण: सत्येंद्र दुबे जैसे व्हिसलब्लोअर (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण में भ्रष्टाचार के खिलाफ) ने संस्थागत उदासीनता को चुनौती दी।

    व्यक्तिगत नैतिकता को सामूहिक सामाजिक चेतना में परिवर्तित करने में आने वाली चुनौतियाँ

    • प्रणालीगत बाधाएँ: नैतिक व्यक्तियों को भ्रष्ट प्रणालियों में प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है।
    • सामाजिक प्रतिरोध: पारंपरिक मानदंड और निहित स्वार्थ नैतिक सुधारों की सामूहिक स्वीकृति में बाधा डाल सकते हैं।
    • संस्थागत समर्थन का अभाव: संरक्षण तंत्र के बिना, व्यक्तियों को नैतिक रुख बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है (उदाहरण के लिये, मुखबिरों का उत्पीड़न)।

    आगे की राह:

    • लोक सेवा में नैतिक आधार को सुदृढ़ बनाने के साथ ही लोक सेवकों के लिये अनिवार्य नैतिक प्रशिक्षण लागू किया जाना चाहिये ताकि वे एक दृढ़ नैतिक दिशा-निर्देश विकसित कर सकें तथा सिद्धांत आधारित रुख अपनाने की उनकी क्षमता में सुधार कर सकें।
      • मिशन कर्मयोगी जैसे कार्यक्रम सही दिशा में उठाया गया कदम है।
    • नैतिक लोक सेवकों के लिये सुरक्षा को संस्थागत बनाना: भ्रष्टाचार या अनैतिक प्रथाओं को उजागर करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा के लिये व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम जैसे विधानों का निर्माण को किया जाना चाहिये।
      • अपने नैतिक निर्णयों के कारण चुनौतियों का सामना कर रहे लोक सेवकों की समीक्षा और सहायता के लिये स्वतंत्र निकायों की स्थापना की जानी चाहिये।
    • शासन में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना: सार्वजनिक सेवा निर्णयों को समाज की नैतिक अपेक्षाओं के अनुरूप बनाने के लिये सहभागी शासन मॉडल को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
      • केरल का कुदुम्बश्री मॉडल ज़मीनी स्तर पर भागीदारी को बढ़ावा देता है, विश्वास और सामूहिक चेतना को बढ़ावा देता है।
    • मूल्य-आधारित शिक्षा प्रणाली को प्रोत्साहित करना: मज़बूत नैतिक आधार के साथ भावी नागरिकों का संवर्द्धन करने के लिये स्कूलों में मूल्य-आधारित शिक्षा को एकीकृत किया जाना चाहिये।
      • सार्वजनिक जीवन में नैतिकता के महत्त्व पर बल देने के लिये अभियान चलाए जाने चाहिये, जिससे नैतिक शासन के लिये सामाजिक दबाव उत्पन्न हो।

    निष्कर्ष:

    व्यक्तिगत नैतिक दृष्टिकोण सामूहिक सामाजिक चेतना को आयाम देने वाले आधार के रूप में कार्य करते हैं, विशेष रूप से लोक प्रशासन में, जहाँ कुछ लोगों के कार्य लाखों लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। निष्पक्षता, पारदर्शिता और समावेशिता को प्राथमिकता देने वाली शासन प्रणाली के निर्माण में लोक सेवकों का नैतिक संकल्प बहुत महत्त्वपूर्ण है।

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