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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न:"लोक प्रशासन में लैंगिक संवेदीकरण के लिये केवल नीतिगत बदलावों से कहीं अधिक की आवश्यकता है।" चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    09 Jan, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • लैंगिक संवेदीकरण को परिभाषित करके उत्तर दीजिये।
    • नीतिगत बदलावों से परे लैंगिक संवेदीकरण के महत्त्व को बताइये।
    • नीतिगत कार्यढाँचे से परे आवश्यक उपायों पर प्रकाश डालिये।

    उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    लोक प्रशासन में लैंगिक संवेदीकरण का तात्पर्य शासन प्रक्रियाओं में लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता, समझ और उत्तदायित्व सुनिश्चित करना है। यद्यपि आरक्षण और कानून जैसे नीतिगत परिवर्तन महत्त्वपूर्ण हैं, वास्तविक परिवर्तन के लिये गहरे सामाजिक मानदंडों एवं कार्यस्थल संस्कृति में सुधार तथा प्रणालीगत चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता है।

    मुख्य भाग:

    नीतिगत परिवर्तनों से परे लैंगिक संवेदीकरण का महत्त्व:

    • बदलती मानसिकता और दृष्टिकोण: स्थानीय शासन में महिलाओं के लिये आरक्षण (73वें और 74वें संशोधन) को प्रायः पितृसत्तात्मक मानसिकता के कारण प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण पुरुष रिश्तेदारों (जैसे: प्रधानपति) द्वारा छद्म नेतृत्व को बढ़ावा मिलता है।
      • कार्यस्थल संस्कृति में सुधार: कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम,निषेध और निवारण-POSH) अधिनियम जैसी नीतियों के बावजूद कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न के मामले।
    • लैंगिक रूप से संवेदनशील सेवा वितरण को बढ़ाना: लोक सेवकों में लैंगिक संवेदीकरण के बिना केवल नीतियों से ही समावेशी सेवा वितरण सुनिश्चित नहीं हो सकता है।
      • उदाहरण: न्याय और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच को बढ़ावा देने वाली नीतियों के बावजूद महिलाओं को पुलिस स्टेशनों या स्वास्थ्य केंद्रों पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
    • अंतर्विभागीय भेदभाव को समाप्त करना: लिंग संबंधी नीतियाँ प्रायः सीमांत समुदायों (जैसे दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक) की महिलाओं के समक्ष आने वाली जटिल चुनौतियों को नजरअंदाज़ कर देती हैं।
      • अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिये प्रावधानों के बावजूद, अधिकारियों में संवेदनशीलता की कमी के कारण भूमि अधिकारों या आजीविका के अवसरों तक उनकी पहुँच में बाधा उत्पन्न होती है।

    नीतिगत कार्यढाँचे से परे आवश्यक उपाय:

    • सक्षम लोक प्राधिकारियों के लिये लैंगिक रूप से संवेदनशील प्रशिक्षण
      • प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस व अन्य लोक सेवकों के लिये प्रवेश और सेवा दोनों स्तरों पर नियमित रूप से लैंगिक संवेदीकरण कार्यशालाएँ आयोजित की जानी चाहिये।
      • वास्तविक जीवन परिदृश्यों, अचेतन पूर्वाग्रह और लैंगिक रूप से संवेदनशील प्रभावी शासन के केस स्टडीज़ पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रशिक्षण कंटेंट विकसित किये जाने चाहिये।
    • सामुदायिक सहभागिता और जागरूकता: लैंगिक समानता तथा शासन में महिलाओं की भूमिका के बारे में समुदायों को शिक्षित करने के लिये गैर सरकारी संगठनों एवं स्थानीय स्वयं सहायता समूहों के सहयोग से ज़मीनी स्तर पर अभियान आयोजित किये जाने चाहिये।
      • सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से ज़मीनी स्तर की महिला कार्यकर्त्ताओं ( जैसे, आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कर्मचारी) को सशक्त बनाया जाना चाहिये, जो उनके योगदान के प्रति सम्मान को बढ़ावा देते हैं।
    • प्रशासन में महिलाओं के लिये नेतृत्व विकास: मेंटरशिप कार्यक्रम शुरू किये जाने चाहिये जहाँ वरिष्ठ महिला अधिकारी युवा महिला सिविल सेवकों को सलाह एवं मार्गदर्शन प्रदान करें।
      • महिलाओं को निर्णय लेने की भूमिका के लिये तैयार करने हेतु नेतृत्व और परक्रामण कौशल कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना चाहिये।
      • प्रशासन में परिवर्तन लाने वाली महिला नेताओं को मान्यता देने के लिये प्रोत्साहन या पुरस्कार प्रदान किया जाना चाहिये।
      • उदाहरण: तेलंगाना की IAS अधिकारी स्मिता सभरवाल, जिन्हें ‘पीपुल्स ऑफिसर’ के रूप में जाना जाता है, ने स्वास्थ्य सेवा एवं बुनियादी अवसंरचना में नागरिक-केंद्रित सुधारों के माध्यम से सार्वजनिक प्रशासन में महिलाओं को प्रेरित किया है।
    • जेंडर ऑडिट और निगरानी के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग: जेंडर डैशबोर्ड विकसित किये जाने की आवश्यकता है जो शासन, रोज़गार और विभिन्न क्षेत्रों में सेवाओं तक पहुँच में महिलाओं की भागीदारी पर नज़र रख सके।
      • सेवा वितरण में लिंग आधारित चुनौतियों की रियल टाइम रिपोर्टिंग के लिये मोबाइल आधारित ऐप्स का उपयोग किया जाना चाहिये।
      • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसी नीतियों के प्रभाव का विश्लेषण करने के लिये लिंग-आधारित डेटा संग्रह सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
    • सार्वजनिक संस्थानों में लैंगिक रूप से संवेदनशील बुनियादी अवसंरचना का निर्माण: सरकारी कार्यालयों में पृथक् शौचालय, बाल देखभाल सुविधाएँ और सुरक्षित कार्यस्थल जैसी उचित सुविधाएँ सुनिश्चित की जानी चाहिये।
      • विशिष्ट भूमिकाओं में महिला अधिकारियों के लिये घर से काम करने जैसे लचीले कार्य व्यवस्था की शुरुआत की जानी चाहिये।

    निष्कर्ष:

    यद्यपि नीतिगत परिवर्तन आधारभूत कार्य प्रदान करते हैं, फिर भी लोक प्रशासन में लैंगिक संवेदीकरण को बदलने के लिये दृष्टिकोण, कार्यस्थल-परिवेश और सामाजिक मानदंडों में परिवर्तन के लिये लगातार प्रयासों की आवश्यकता है। इन प्रणालीगत और सांस्कृतिक मुद्दों का समाधान करके ही लोक प्रशासन वास्तव में लैंगिक समानता और समावेशिता का वाहक बन सकता है।

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