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प्रश्न2: "कौटिल्य के अर्थशास्त्र में नैतिक व्यावहारिकता और नैतिक शासन के विचार समकालीन लोक प्रशासन में किस प्रकार प्रासंगिक हैं?" चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
26 Dec, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अर्थशास्त्र के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर उत्तर दीजिये।
- कौटिल्य के अर्थशास्त्र के प्रमुख सिद्धांत और लोक प्रशासन में प्रासंगिकता बताइये।
- आधुनिक अर्थशास्त्र के सिद्धांतों को लागू करने में आने वाली चुनौतियों पर गहन विचार प्रस्तुत कीजिये।
- आधुनिक प्रशासन में कौटिल्य की बुद्धिमत्ता का लाभ उठाने के लिये रणनीति सुझाइये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
अर्थशास्त्र, कौटिल्य (जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है) द्वारा लिखित, राजव्यवस्था, आर्थिक नीति और सैन्य रणनीति पर एक प्राचीन भारतीय संस्कृत ग्रंथ है। यह नैतिक व्यावहारिकता और नैतिक शासन के व्यावहारिक मिश्रण का प्रतीक है, जो भौतिक सफलता (अर्थ ) के विश्लेषण को सामाजिक कल्याण के साथ संतुलित करता है।
मुख्य भाग:
कौटिल्य के अर्थशास्त्र के प्रमुख सिद्धांत और लोक प्रशासन में प्रासंगिकता:
- नैतिक शासन: कौटिल्य के अनुसार, लोगों का कल्याण राजा की प्राथमिक चिंता होनी चाहिये, और उसे उनकी भलाई के लिये कार्य करने चाहिये।
- यह एक कल्याणकारी राज्य का उल्लेख करता है जहाँ नीतियाँ समानता और न्याय सुनिश्चित करती हैं।
- समकालीन प्रासंगिकता: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना जैसे कार्यक्रम और सामाजिक कल्याण के लिये संसाधन वितरण सुनिश्चित करना।
- व्यावहारिक नेतृत्व: नेतृत्व में निर्णय लेने में लचीला, व्यावहारिक और सक्रिय होने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- राज्य में स्थिरता बनाए रखने के लिये खुफिया जानकारी, कूटनीति और गठबंधन पर ज़ोर दिया जाता है।
- समकालीन प्रासंगिकता: भारत की जनता के हित को प्राथमिकता मानते हुए मुद्दा आधारित भारत की रणनीतिक कूटनीति इन सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करती है।
- विधि का शासन: एक न्यायसंगत और पारदर्शी कानूनी संरचना का समर्थन करता है जहाँ दंड अपराध के अनुपात में हो।
- समकालीन प्रासंगिकता: भारतीय संविधान अनुच्छेद 14-21 के माध्यम से समानता और न्याय के सिद्धांतों को कायम रखता है तथा मौलिक अधिकारों के किसी भी उल्लंघन या हनन पर कार्रवाई करने के लिये अनुच्छेद 32 के तहत रिट जारी करने का प्रावधान करता है।
- आर्थिक विकास: आर्थिक स्थायित्व के स्तंभों के रूप में कृषि, निष्पक्ष कराधान और सुदृढ़ व्यापार प्रणालियों को प्राथमिकता दी जाती है।
- समकालीन प्रासंगिकता: PM-किसान, GST और भारतमाला जैसी योजनाओं के तहत कृषि सुधार एवं बुनियादी अवसंरचना पर ध्यान केंद्रित करना।
- शक्ति संतुलन और सैन्य तैयारी: संप्रभुता की रक्षा के लिये एक सुदृढ़ रक्षा तंत्र और रणनीतिक युद्ध के महत्त्व पर बल दिया गया है।
- समकालीन प्रासंगिकता: मेक इन इंडिया के माध्यम से MCA तेजस जैसे स्वदेशी रक्षा विनिर्माण पर भारत का ध्यान इन आदर्शों के अनुरूप है।
आधुनिक अर्थशास्त्र के सिद्धांतों को लागू करने में चुनौतियाँ:
- व्यावहारिकता में नैतिक दुविधाएँ: नैतिक सिद्धांतों को व्यावहारिक राजनीति के साथ संतुलित करना, उदाहरण के लिये, गुटनिरपेक्षता बनाम रणनीतिक गठबंधन जैसी अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में दुविधाएँ।
- शासन में समावेशिता: अर्थशास्त्र में पदानुक्रमित जाति-आधारित संरचना सामाजिक न्याय और समावेशिता के आधुनिक आदर्शों का खंडन कर सकती है।
- वैश्वीकरण और बहुपक्षवाद: कौटिल्य द्वारा केंद्रीकृत राज्य शक्ति पर दिया गया ज़ोर आज की परस्पर जुड़ी वैश्विक व्यवस्था में चुनौतियों का सामना कर रहा है।
आधुनिक प्रशासन में कौटिल्य की बुद्धिमत्ता का लाभ उठाने की रणनीतियाँ:
- जन-केंद्रित शासन: ऐसी नीतियों का निर्माण किया जा सकता है जो कल्याण और समावेशिता को प्राथमिकता देती हैं, अर्थशास्त्र के लोक कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने सिद्धांत के अनुरूप है।
- संस्थाओं को सुदृढ़ बनाना: राज्य की क्षमता बढ़ाने के लिये आर्थिक, कानूनी और सैन्य क्षेत्रों के लिये सुदृढ़ संस्थाओं का विकास किया जाना चाहिये, जैसे- NITI आयोग का सहकारी संघवाद पर बल, कौटिल्य के समावेशी शासन के विचारों को प्रतिध्वनित करता है।
- नौकरशाहों के लिये नैतिक प्रशिक्षण: व्यावहारिकता और नैतिक शासन के बीच संतुलन बनाने के लिये सिविल सेवा प्रशिक्षण में अर्थशास्त्र से प्राप्त शिक्षाओं को शामिल किया जाना चाहिये, जैसे- मिशन कर्मयोगी, लोक सेवकों में नैतिक एवं व्यावहारिक निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने पर केंद्रित है।
निष्कर्ष:
कौटिल्य का अर्थशास्त्र शासन के लिये एक कालातीत मार्गदर्शिका है, जिसमें नैतिक व्यावहारिकता, रणनीतिक विचार और नैतिक प्रशासन पर बल दिया गया है। इसके सिद्धांतों को संदर्भ के अनुरूप स्थापित करने पर भ्रष्टाचार, संसाधन प्रबंधन और कूटनीतिक संबंधों जैसी समकालीन चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है।
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