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प्रश्न :
प्रश्न: आपदा प्रबंधन के संदर्भ में खतरा, भेद्यता और जोखिम के बीच अंतर स्पष्ट कीजिये और उपयुक्त उदाहरणों सहित इनके अंतर्संबंधों की व्याख्या कीजिये। (150 शब्द)
25 Dec, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधनउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- खतरे, भेद्यता और जोखिम में अंतर को पहचानने के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए उत्तर दीजिये।
- खतरे, भेद्यता और जोखिम को उनके उदाहरण सहित बताते हुए परिभाषित कीजिये।
- उपयुक्त उदाहरण के साथ तीनों के बीच अंतर्संबंध दर्शाइये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय
आपदा प्रबंधन में, प्रभावी शमन एवं प्रतिक्रिया रणनीतियों को विकसित करने के लिये खतरे, भेद्यता और जोखिम में अंतर को पहचानना आवश्यक है। ये अवधारणाएँ आपस में जुड़ी हुई हैं और एक साथ मिलकर आपदा के संभावित प्रभाव को निर्धारित करती हैं।
मुख्य भाग:
खतरा: यह संभावित रूप से नुकसानदायक भौतिक घटना, परिघटना या मानवीय गतिविधि है जो जीवन, संपत्ति या पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकती है। खतरे निम्न हो सकते हैं:
- प्राकृतिक खतरे: भूकंप, बाढ़, चक्रवात, वनाग्नि।
- उदाहरण: हिमालय जैसे भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में 7 तीव्रता का भूकंप।
- मानवजनित खतरे: औद्योगिक दुर्घटनाएँ, वनों की कटाई, रासायनिक रिसाव।
- उदाहरण: वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी एक रासायनिक रिसाव के कारण हुई थी।
भेद्यता
- भेद्यता किसी समुदाय, प्रणाली या परिसंपत्ति की खतरों के प्रभाव के प्रति संवेदनशीलता को संदर्भित करती है। यह निम्न के आधार पर भिन्न होती है:
- आर्थिक भेद्यता: सीमित वित्तीय संसाधन और कृषि जैसे प्राथमिक क्षेत्रों पर निर्भरता भेद्यता को बढ़ाती है। (बाढ़-प्रवण बिहार में किसान प्रत्येक वर्ष अपनी फसल खो देते हैं)।
- भौतिक भेद्यता: जोखिम-प्रवण क्षेत्रों में निम्न स्तरीय ढंग से निर्मित इमारतें या बस्तियाँ। (ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में समुत्थानशील बुनियादी अवसंरचना की कमी के कारण नियमित रूप से चक्रवातों का सामना करना पड़ता है)।
- सामाजिक भेद्यता: वंचित समूह, जैसे कि वृद्ध जन, बच्चे और दिव्यांग जन, असमान रूप से प्रभावित होते हैं। (वर्ष 2004 के हिंद महासागर सुनामी के दौरान दिव्यांग जनों के लिये निकासी दर कम थी)।
- पर्यावरणीय भेद्यता: पारिस्थितिकी तंत्र का क्षरण आपदा प्रभावों को बढ़ाता है। (गुजरात में मैंग्रोव के नष्ट होने से चक्रवातों के प्रति समुत्थानशक्ति कम हो रही है)।
जोखिम:
- जोखिम किसी खतरे से होने वाली हानि या क्षति की संभावना है, जो खतरे और समुदाय की भेद्यता के बीच की अंतःक्रिया द्वारा निर्धारित होती है। इसे सूत्र का उपयोग करके निर्धारित किया जाता है:
- जोखिम = खतरे की संभावना × भेद्यता की डिग्री
जोखिम प्रबंधन के प्रकार:
- जोखिम स्वीकृति: ज्ञात जोखिमों के साथ निर्वहन का चयन। (किसान ज्वालामुखी विस्फोट के जोखिम के बावजूद ज्वालामुखीय मृदा पर खेती करते हैं)।
- जोखिम से बचाव: खतरों से बचना। (बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में निर्माण पर रोक लगाना)।
- जोखिम न्यूनीकरण: खतरों के प्रभाव को न्यूनतम करना। (जापान में भूकंपरोधी इमारतों का निर्माण)।
- जोखिम हस्तांतरण: बीमा जैसे तंत्रों के माध्यम से जोखिम साझा करना। (सूखा-प्रवण क्षेत्रों में किसानों के लिये फसल बीमा योजनाएँ)।
खतरा, भेद्यता और जोखिम के बीच अंतर्संबंधी तीन अवधारणाएँ जटिल रूप से जुड़ी हुई हैं: एक खतरा तभी जोखिम बन जाता है जब वह किसी समुदाय की भेद्यता के साथ अंतःक्रिया करता है। भेद्यता को कम करके या खतरों के संपर्क को कम करके जोखिम को कम किया जा सकता है।
उदाहरण:
- तटीय ओडिशा में चक्रवात:
- खतरा: चक्रवात से उत्पन्न हवाएँ और तूफानी लहरें।
- भेद्यता: खराब तरीके से निर्मित मकान, उच्च गरीबी स्तर।
- जोखिम: जान-माल की भारी हानि।
- शमन: चक्रवात आश्रयों और पूर्व चेतावनी प्रणालियों ने हाल के वर्षों में जोखिम को कम कर दिया है।
निष्कर्ष:
खतरे, भेद्यता और जोखिम के बीच संबंध व्यापक आपदा प्रबंधन रणनीतियों के महत्त्व को रेखांकित करता है। यद्यपि खतरे अपरिहार्य हैं, तैयारी, अनुकूल बुनियादी अवसंरचना और सामुदायिक जागरूकता के माध्यम से कमज़ोरियों को कम करने से जोखिमों को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
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