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प्रश्न :
कोपेन के जलवायु वर्गीकरण की पद्धति को समझाते हुए, उसके द्वारा वर्गीकृत जलवायु समूह व उनके लक्षणों का परिचय दीजिये तथा उष्णकटिबंधीय जलवायु व शुष्क जलवायु की तुलना कीजिये।
04 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- कोपेन के जलवायु वर्गीकरण की पद्धति के बारे में संक्षेप में लिखें।
- कोपेन द्वारा वर्गीकृत जलवायु समूह व उनके लक्षणों को बताएँ।
- उष्णकटिबंधीय जलवायु व शुष्क जलवायु में अंतर करें।
जलवायु का वर्गीकरण मुख्य रूप से तीन उपागमों के द्वारा किया गया है। ये हैं- आनुभविक, जननिक और अनुप्रयुक्त। कोपेन ने अपने वर्गीकरण में आनुभविक पद्धति का उपयोग किया है। कोपेन ने अपने जलवायु के वर्गीकरण में वनस्पति के वितरण और जलवायु के बीच एक घनिष्ठ संबंध स्थापित किया है। इसका वर्गीकरण मुख्यतः तापमान एवं वर्षण के वार्षिक एवं मासिक मध्यमान पर आधारित है। इसने अपने वर्गीकरण में वनस्पति के वितरण और जलवायु के बीच एक घनिष्ठ संबंध स्थापित किया है। कोपेन ने अपने वर्गीकरण में विश्व की जलवायु को छः समूहों-उष्णकटिबंधीय, शुष्क जलवायु, कोष्ण शीतोष्ण, शीतल हिम-वन जलवायु, शीत और उच्च भूमि जलवायु समूह में विभाजित किया है।
विभिन्न जलवायु समूहों के लक्षण:
- उष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में वर्ष भर वर्ष भर का औसत तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है।
- शुष्क जलवायु में वर्षण की तुलना में विभव वाष्पीकरण की अधिकता होती है।
- कोष्ण शीतोष्ण जलवायु में सर्वाधिक ठंडे महीने का औसत तापमान 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक किंतु 18 डिग्री से कम मध्य अक्षांशिय जलवायु।
- शीतल हिम-वन जलवायु के अंतर्गत वर्ष के सर्वाधिक ठंडे माह का औसत तापमान शून्य अंश डिग्री से तापमान से 3 डिग्री नीचे होता है।
- शीत जलवायु क्षेत्रों में वर्ष का औसत तापमान 10 डिग्री सेल्सियस कम होता है।
- उच्चभूमि जलवायु प्रदेशों में ऊंचाई के कारण शीत दशा पाई जाती है।
उष्णकटिबंधीय और शुष्क जलवायु में तुलना:
उष्णकटिबंधीय जलवायु कर्क और मकर रेखा के मध्य पाई जाती है, इस क्षेत्र में वर्ष भर सूर्य ऊर्ध्वाधर रहता है और अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की उपस्थिति के कारण यहाँ की जलवायु ऊष्ण एवं आर्द्र बनी रहती है। यहाँ वार्षिक तापांतर कम जबकि वर्षा अधिक मात्रा में होती है। इसे तीन प्रकार में विभाजित किया गया है। जैसे- उष्णकटिबंधीय आर्द्र (Af), उष्णकटिबंधीय मानसूनी (Am) और उष्णकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु (Aw)।
शुष्क जलवायु की विशेषता में वर्षा की अत्यंत कम मात्रा है, यह वर्षा पादपों की वृद्धि के लिये पर्याप्त नहीं होती। यह जलवायु पृथ्वी के बहुत बड़े हिस्से पर पाई जाती है। इसका विस्तार विषुवत रेखा से 15 डिग्री से 60 डिग्री के बीच दोनों ही गोलार्द्धों में है। शुष्क जलवायु को स्टेपी या अर्ध-शुष्क जलवायु (BS) और मरूस्थलीय जलवायु (BW) में विभाजित किया जाता है। 15 डिग्री से 35 डिग्री तक वाले शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र को उपोष्ण कटिबंधीय स्टेपी(BSh), उपोष्ण कटिबंधीय मरूस्थल(BWh) में और 35 डिग्री से 60 डिग्री शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र को मध्य अक्षांशीय स्टेपी (BSk) और मध्य अक्षांशीय स्टेपी (BWk) बाँटा जाता है।
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