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प्रश्न :
प्रश्न: बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में चक्रवातों का खतरा अधिक क्यों होता है? भारत में हाल ही में आए प्रमुख चक्रवातों के उदाहरण देकर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
23 Dec, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में अधिक चक्रवात क्यों आते हैं? इसके लिये उचित आँकड़ों और तर्कों के साथ उत्तर दीजिये।
- अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में अधिक चक्रवाती गतिविधि के कारणों को बताइये।
- भारतीय तट पर आए हाल के प्रमुख चक्रवातों पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारतीय उपमहाद्वीप, जिसकी 8,041 किलोमीटर लंबी तटरेखा है, चक्रवातों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जहाँ बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में लगभग 4 गुना अधिक चक्रवात की घटना होती है।
- यह घटना भौगोलिक, मौसम संबंधी और महासागरीय कारकों से प्रभावित होती है तथा जलवायु परिवर्तन एवं मानवजनित गतिविधियों के कारण और भी गंभीर हो जाती है।
मुख्य भाग:
अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में अधिक चक्रवाती गतिविधि के कारण:
- भौगोलिक एवं समुद्र विज्ञान संबंधी कारक:
- फनल-जैसी आकृति: खाड़ी की अवतल संरचना भारत, बांग्लादेश और म्याँमार के तटों की ओर तूफानी लहरों को निर्देशित तथा प्रवर्द्धित करती है, जिससे उनका प्रभाव तीव्र हो जाता है।
- यह विशिष्ट भौगोलिक स्थिति अरब सागर में अनुपस्थित या न्यूनतम है, जिसमें समान रूप से स्पष्ट फनल-जैसी आकृति का अभाव है और इस कारण तूफानी लहरों का प्रवर्द्धन कम हो जाता है।
- उथला तटीय जल: ये जल तूफानी लहरों को काफी ऊपर उठने देते हैं, जिससे चक्रवातों के आने पर भयंकर बाढ़ आती है।
- फनल-जैसी आकृति: खाड़ी की अवतल संरचना भारत, बांग्लादेश और म्याँमार के तटों की ओर तूफानी लहरों को निर्देशित तथा प्रवर्द्धित करती है, जिससे उनका प्रभाव तीव्र हो जाता है।
- अनुकूल जलवायु और मौसम संबंधी परिस्थितियाँ
- उच्च समुद्री सतह तापमान (SST): बंगाल की खाड़ी में SST निरंतर 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहता है, जो प्रायः 30 डिग्री सेल्सियस-32 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है, जो चक्रवात निर्माण के लिये आदर्श है।
- गर्म समुद्री पवनें नमी युक्त पवन और वाष्पीकरण को बढ़ावा देती हैं, जिससे तूफानों को तीव्र होने के लिये ऊर्जा मिलती है।
- नदियों से गर्म जल का प्रवाह: गंगा, ब्रह्मपुत्र और इरावदी जैसी प्रमुख नदियाँ खाड़ी में गर्म ताज़ा जल प्रवाहित करती हैं, जिससे पृष्ठीय जल ठंडा नहीं हो पाता है।
- अरब सागर के विपरीत, जहाँ जल ऊर्ध्वाधर रूप से मिश्रित होता है, खाड़ी की स्तरीकृत परतें उष्ण पृष्ठीय तापमान को बनाए रखती हैं।
- उच्च समुद्री सतह तापमान (SST): बंगाल की खाड़ी में SST निरंतर 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहता है, जो प्रायः 30 डिग्री सेल्सियस-32 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है, जो चक्रवात निर्माण के लिये आदर्श है।
- वायुमंडलीय गतिशीलता
- कमज़ोर पविंड शीयर: खाड़ी में, हवा की गति में ऊर्ध्वाधर अंतर (विंड शीयर ) अपेक्षाकृत कम होता है, जिससे चक्रवातों को विकसित होने और चक्रवाती संरचना बनाए रखने में सहायता मिलती है।
- नमी युक्त पवनें: खाड़ी के ऊपर गर्म, आर्द्र पवनें चक्रवात की तीव्रता को बढ़ाती हैं, विशेष रूप से मानसून-पूर्व और मानसून-पश्चात के मौसम में।
- अन्य कारक:
- मानसून के बाद का प्रभाव: अक्तूबर-नवंबर के दौरान रिट्रीटिंग मानसून खाड़ी में चक्रवातों के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न करता है, जिसमें निम्न दाब वाले क्षेत्र और स्थिर पवनें उनकी उत्पत्ति में सहायता करती हैं।
भारत के पूर्वी तट पर हाल ही में आए प्रमुख चक्रवात:
- चक्रवात अम्फान (वर्ष 2020):
- तीव्रता: सुपर चक्रवाती तूफान
- प्रभाव: पूर्वी भारत, विशेषकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भारी विनाश
- चक्रवात यास (वर्ष 2021):
- तीव्रता: बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान।
- प्रभाव: ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भयंकर बाढ़।
- चक्रवात मोचा (वर्ष 2023):
- तीव्रता: अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान।
- प्रभाव: बांग्लादेश और म्याँमार में व्यापक विनाश।
निष्कर्ष:
बंगाल की खाड़ी की भौगोलिक विशेषताएँ और समुद्र की सतह का उच्च तापमान इसे चक्रवातों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है, जलवायु परिवर्तन के कारण उनकी आवृत्ति एवं गंभीरता बढ़ रही है। हालाँकि अरब सागर पारंपरिक रूप से कम सक्रिय था, लेकिन हाल ही में आए चक्रवात जैसे तौकते (वर्ष 2021) और बिपरजॉय (वर्ष 2023) गर्म होते समुद्र के कारण बढ़ते खतरे को उजागर करते हैं।
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