आप एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में वरिष्ठ अधिकारी हैं। एक दिन, आपकी टीम की एक जूनियर सहकर्मी, जो अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिये प्रसिद्ध है, परेशान तथा चिंतित स्थिति में आपसे सलाह लेने आती है। वह आपको बताती है कि उसका छोटा भाई, जो इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में है, को एक गंभीर बीमारी का पता चला है। उसे जानलेवा बीमारी का पता चला है, जिसके लिये तत्काल उपचार की आवश्यकता है, जिसकी लागत 8 लाख रुपए है। अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाली है, जिस कारण वह इस भारी चिकित्सा खर्च का प्रबंध करने में कठिनाई का सामना कर रही है, क्योंकि उसका सीमित वेतन केवल घर के दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिये ही पर्याप्त हो पाता है।
आप उसकी स्थिति से सहानुभूति रखते हैं, लेकिन व्यक्तिगत रूप से वित्तीय सहायता प्रदान करने में असमर्थ हैं। एक महीने बाद, आप देखते हैं कि उसकी मनोदशा में सुधार हुआ है और जब आप इसके बारे में पूछते हैं, तो वह बताती है कि विभाग के प्रमुख द्वारा आपातकालीन कर्मचारी कल्याण के तहत विवेकाधीन निधियों से किये गए अग्रिम भुगतान के चलते उसके भाई का उपचार अब जारी है। वह यह भी बताती है कि उसने मासिक किश्तों में राशि चुकाने का वादा किया है, जिसकी शुरुआत उसने पहले ही कर दी है।
हालाँकि जब आप कंपनी के दिशा-निर्देशों की समीक्षा करते हैं, तो आपको पता चलता है कि विवेकाधीन निधि का उपयोग केवल आधिकारिक उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है और इसे व्यक्तिगत मामलों में उपयोग करने की अनुमति नहीं है। विभाग प्रमुख की कार्रवाई, हालाँकि नेक इरादे से की गई थी, लेकिन इससे मानक प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ है, जिससे मामले के उजागर होने पर कानूनी और अनुशासनात्मक कार्रवाई का जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
(क) इस मामले में नैतिक मुद्दे क्या हैं?
(ख) स्थिति से अवगत एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में आप क्या कार्रवाई करेंगे?
(ग) विवेकाधीन निधियों के दुरुपयोग को रोकने के लिये व्यापक संगठनात्मक उपाय सुझाइये।
प्रश्न का उत्तर जल्द ही प्रकाशित होगा।