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प्रश्न :
प्रश्न: वे देश जो उन्नत हथियार अनुसंधान के माध्यम से सैन्य श्रेष्ठता बनाए रखते हैं और साथ ही वैश्विक शांति का समर्थन करते हैं, एक गंभीर नैतिक विरोधाभास का सामना करते हैं। इस विरोधाभास को दूर करने के लिये कौन-सी रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं? (150 शब्द)
19 Dec, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- सैन्य श्रेष्ठता और वैश्विक शांति समर्थन के विरोधाभास के संदर्भ में संक्षेप में बताते हुए उत्तर दीजिये।
- नैतिक विरोधाभास और विरोधाभास में योगदान देने वाले कारकों पर गहन विचार प्रस्तुत कीजिये।
- विरोधाभास को सुलझाने में आने वाली चुनौतियों को बताइये।
- विरोधाभास को हल करने के लिये कदम सुझाइये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
उन्नत आयुधों के माध्यम से सैन्य श्रेष्ठता की खोज के साथ-साथ वैश्विक शांति का समर्थन एक विरोधाभास को उजागर करती है जो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के नैतिक सिद्धांतों को चुनौती देती है।
- यह विरोधाभास राष्ट्रों के बीच विश्वास को कम करता है, आयुधों की होड़ को बढ़ाता है जो शांति स्थापना के सार के विपरीत है।
- इसके समाधान के लिये नैतिकता, कूटनीति और निरस्त्रीकरण पहल पर आधारित बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
मुख्य भाग:
नैतिक विरोधाभास और विरोधाभास में योगदान देने वाले कारक:
- नैतिक विरोधाभास
- वैश्विक शांति का समर्थन बनाम प्रभुत्व की कार्रवाई: आयुधों में निवेश करते हुए शांति को बढ़ावा देने वाले राष्ट्र, अप्रत्यक्ष रूप से अविश्वास और प्रतिरोध का संकेत देते हैं।
- उदाहरण: परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता में अमेरिका के प्रयास, हाइपरसोनिक आयुधों में उसके पर्याप्त निवेश के विपरीत हैं।
- नैतिक अधिकार का क्षरण: ऐसे राष्ट्र वैश्विक शांति प्रयासों का नेतृत्व करने में अपनी विश्वसनीयता खो देते हैं।
- उदाहरण: दक्षिण चीन सागर में चीन के सैन्य निर्माण के साथ-साथ शांति वार्ता में इसकी भागीदारी के विपरीत है।
- वैश्विक शांति का समर्थन बनाम प्रभुत्व की कार्रवाई: आयुधों में निवेश करते हुए शांति को बढ़ावा देने वाले राष्ट्र, अप्रत्यक्ष रूप से अविश्वास और प्रतिरोध का संकेत देते हैं।
- विरोधाभास में योगदान देने वाले कारक
- कथित सुरक्षा दुविधाएँ: राष्ट्र आत्मरक्षा के लिये सैन्य श्रेष्ठता को आवश्यक मानते हैं।
- उदाहरण: भारत द्वारा अग्नि-V मिसाइल प्रणाली के विकास को चीन की सैन्य प्रगति के प्रत्युत्तर के रूप में देखा जाता है।
- कथित सुरक्षा दुविधाएँ: राष्ट्र आत्मरक्षा के लिये सैन्य श्रेष्ठता को आवश्यक मानते हैं।
- तकनीकी उन्नति और शक्ति प्रक्षेपण: उन्नत आयुध रक्षा से परे भू-राजनीतिक रणनीतियों में भी सहायक होते हैं।
- उदाहरण: रूस के हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर शांति का समर्थन करने के बावजूद प्रभुत्व कायम करना है।
विरोधाभास को सुलझाने में चुनौतियाँ:
- भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन जैसी प्रमुख शक्तियों के बीच लगातार अविश्वास निरस्त्रीकरण प्रयासों को कमज़ोर करता है।
- प्रवर्तन तंत्र का अभाव: कमज़ोर अंतर्राष्ट्रीय कानून राष्ट्रों को आयुध निर्माण के लिये उत्तरदायी ठहराने में विफल रहते हैं।
- रूस ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि के अपने अनुसमर्थन को रद्द कर दिया।
- आर्थिक निर्भरता: रक्षा उद्योग अमेरिका और फ्राँस सहित राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं, जिससे निरस्त्रीकरण राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
विरोधाभास को हल करने के लिये कदम:
- पारदर्शिता के माध्यम से विश्वास को बढ़ावा देना
- शस्त्र नियंत्रण समझौते: START (रणनीतिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि) जैसी मौजूदा संधियों को दृढ और विस्तारित करना।
- विश्वास-निर्माण उपाय (CBM): रक्षा बजट, सैन्य गतिविधियों और आयुध विकास पर जानकारी साझा करना।
- उदाहरण: भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ परमाणु स्थापना संबंधी आँकड़ों को वार्षिक रूप से साझा करना।
- बहुपक्षीय निरस्त्रीकरण फ्रेमवर्क में निवेश
- प्रवर्तनीय प्रतिबद्धताओं को सुनिश्चित करने के लिये निरस्त्रीकरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन जैसे अंतर्राष्ट्रीय निकायों को सशक्त बनाना।
- रासायनिक आयुध सम्मेलन (CWC) जैसे मौजूदा फ्रेमवर्क के अनुपालन को प्रोत्साहित करना।
- रक्षात्मक प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना
- आक्रामक क्षमताओं के बजाय रक्षात्मक प्रणालियों (जैसे- मिसाइल शील्ड्स) पर अनुसंधान से आक्रमण की आशंका कम हो सकती है।
- उदाहरण: इज़रायल का आयरन डोम मुख्य रूप से रक्षात्मक उद्देश्य की पूर्ति करता है, साथ ही शांति की बात को भी समर्थन देता है।
- आक्रामक क्षमताओं के बजाय रक्षात्मक प्रणालियों (जैसे- मिसाइल शील्ड्स) पर अनुसंधान से आक्रमण की आशंका कम हो सकती है।
- सार्वजनिक उत्तरदायित्व और नागरिक समाज की भागीदारी: शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने और आयुधों की होड़ के लिये सरकारों को जवाबदेह ठहराने में नागरिक समाज की अधिक भागीदारी।
- उदाहरण: वर्ष 2017 में वैश्विक अभियान इंटरनेशनल कैंपेन टू अबॉलिश न्यूक्लियर वेपन्स (ICAN) को दिया गया नोबेल शांति पुरस्कार, परमाणु हथियारों के उन्मूलन के लिये किये गए वैश्विक प्रयासों का समर्थन करता है।
निष्कर्ष
सैन्य श्रेष्ठता बनाए रखते हुए वैश्विक शांति-समर्थन के विरोधाभास को हल करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में प्रतिमान बदलाव की आवश्यकता है। राष्ट्रों को पारदर्शिता को बढ़ावा देकर, निरस्त्रीकरण फ्रेमवर्क का पालन करके और नैतिक नेतृत्व को बढ़ावा देते हुए अपने कार्यों को वैश्विक शांति हेतु अपने शब्दों के साथ संरेखित करना चाहिये। केवल निरंतर प्रयासों के माध्यम से ही सैन्य वर्चस्व के खतरे से मुक्त विश्व शांति स्थापित की जा सकती है।
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