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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न: सच्ची करुणा केवल सहिष्णुता तक सीमित नहीं हो सकती; यह हाशिये पर पड़े समुदायों के सक्रिय सशक्तीकरण की मांग करती है। इस संदर्भ में, सार्वजनिक सेवा वितरण की भूमिका और प्रभाव पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    19 Dec, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • उत्तर प्रस्तुत करते हुए बताइये कि किस प्रकार सच्ची करुणा को लोक सेवाओं के प्रावधान में और साथ ही सशक्तीकरण में भी लागू किया जाता है।
    • प्रासंगिक उदाहरणों के साथ “लोक सेवा वितरण में सहिष्णुता से आगे बढ़कर सशक्तीकरण की ओर बढ़ना” कथन की पुष्टि कीजिये। 
    • लोक सेवा में सक्रिय सशक्तीकरण के प्रमुख पहलू बताइये।
    • लोक सेवा वितरण में चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
    • आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय: 

    लोक सेवा वितरण में करुणा का अर्थ केवल सहिष्णुता ही नहीं है, बल्कि सीमांत समुदायों के उत्थान के लिये सक्रिय कदम उठाना भी है। सक्रिय सशक्तीकरण के लिये प्रणालीगत असमानताओं को दूर करना, संसाधनों की एकसमान सुलभता सुनिश्चित करना और आत्मनिर्भरता एवं सम्मान के लिये सक्षम परिवेश बनाना आवश्यक है।

    मुख्य भाग:

    लोक सेवा वितरण में सहिष्णुता से आगे बढ़कर सशक्तीकरण की ओर बढ़ना: 

    • सहिष्णुता में सक्रिय हस्तक्षेप के बिना स्वीकृति शामिल है।
      • उदाहरण: गरीबी के मूल कारणों का समाधान किये बिना सब्सिडी प्रदान करना।
    • सशक्तीकरण सक्रिय रूप से क्षमता निर्माण और बाधाओं को दूर करने का प्रयास करता है।
      • उदाहरण: PM गरीब कल्याण योजना जैसे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) कार्यक्रम लक्षित वितरण और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं।

    लोक सेवा में सक्रिय सशक्तीकरण के प्रमुख पहलू

    • क्षमता निर्माण: सशक्तीकरण में व्यक्तियों और समुदायों को कौशल एवं ज्ञान से समृद्ध करना शामिल है।
      • उदाहरण: दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY) ग्रामीण युवाओं को स्थायी रोज़गार के लिये प्रशिक्षित करती है।
    • सहभागी शासन: निर्णय लेने में सीमांत समुदायों की सक्रिय भागीदारी से सशक्तीकरण बढ़ता है।
      • उदाहरण: पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत ग्राम सभाएँ जनजातीय समुदायों को अपनी बात कहने का अवसर प्रदान करती हैं।
    • संरचनात्मक बाधाओं को दूर करना: सशक्तीकरण के लिये जातिगत व लैंगिक पूर्वाग्रह जैसी प्रणालीगत असमानताओं को खत्म करना आवश्यक है।
      • उदाहरण: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ  पहल लैंगिक भेदभाव का मुकाबला करते हुए बालिका शिक्षा को बढ़ावा देती है।
        • आयुष्मान भारत आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिये वित्तीय सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की सुलभता सुनिश्चित करता है।
    • डिजिटल समावेशन: PMGDISHA (प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान) डिजिटल साक्षरता को सक्षम बनाता है, जिससे ग्रामीण नागरिकों को ऑनलाइन सेवाओं तक पहुँचने में सशक्त बनाया जाता है।
    • जवाबदेही और सम्मानजनक सेवा: लोक सेवा में सशक्तीकरण में नागरिकों के साथ समय पर और सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करना शामिल है। 
      • उदाहरण: नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कर्मचारियों को आगंतुकों की सेवा के दौरान 20 मिनट तक खड़े रहने का निर्देश दिया, क्योंकि एक बुज़ुर्ग व्यक्ति को एक घंटे तक प्रतीक्षा करना पड़ा और उन्हें विभागों के बीच घुमाया गया, जिससे लोक सेवा में सहानुभूति एवं अनुशासन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।

    लोक सेवा वितरण में चुनौतियाँ

    • बुनियादी अवसंरचना का अभाव: मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा जैसे पहाड़ी राज्यों में दूरस्थ क्षेत्रों तक कनेक्टिविटी की अपर्याप्त पहुँच जैसी समस्या के कारण सेवा वितरण में बाधा उत्पन्न होती है।
    • संसाधन की कमी: वित्तपोषण और प्रशिक्षित कर्मियों की कमी। (दिसंबर 2023 में, सरकार ने प्राथमिक स्तर पर 7 लाख से अधिक शिक्षकों की कमी की सूचना दी थी)।
    • भ्रष्टाचार और लीकेज: धन और संसाधनों के कुप्रबंधन से अकुशलता उत्पन्न होती है। (वर्ष 2023 की CAG रिपोर्ट में MGNREGA योजना में अनियमितताओं पर प्रकाश डाला गया है।)
    • प्रशासनिक अक्षमताएँ: बोझिल प्रशासनिक प्रक्रियाएँ सेवा वितरण में विलंब या बाधा उत्पन्न करती हैं। (अधूरी दस्तावेज़ प्रक्रियाओं के कारण किसानों को PM-किसान के तहत सब्सिडी वितरण में विलंब का सामना करना पड़ता है।)

    सक्रिय सशक्तीकरण के लिये रूपरेखा: 

    • स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना: स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्वायत्तता में वृद्धि।
    • एकीकृत दृष्टिकोण: वित्तीय समावेशन के लिये जन धन, आधार और मोबाइल (JAM) त्रिमूर्ति के कार्यान्वयन में तीव्रता लाना।
    • नवीन वितरण मॉडल: अभिगम और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिये UMANG ऐप जैसे ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म।
    • सहभागी नियोजन: नियोजन और कार्यान्वयन के लिये ग्राम सभाओं और नागरिक सर्वेक्षणों के माध्यम से सहभागिता (पुणे मॉडल)
    • लास्ट माइल कनेक्टिविटी: सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम जैसी योजनाओं के तहत दूर-दराज़ के क्षेत्रों में वैक्सीन वितरण के लिये ड्रोन का प्रयोग करना।

    निष्कर्ष

    लोक सेवा वितरण में सच्ची करुणा सहिष्णुता से परे है, जो गरिमा, समानता और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिये सशक्तीकरण पर केंद्रित है। एक दूरदर्शी दृष्टिकोण जो प्रणालीगत सुधारों, सहभागी शासन और अभिनव वितरण तंत्रों को जोड़ता है, उद्देश्य एवं प्रभाव के बीच के अंतराल को समाप्त कर सकता है।

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