प्रश्न: भारत की रक्षा और रणनीतिक क्षमताओं को सुदृढ़ करने में नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका तथा इसकी संभावनाओं का आकलन कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- नैनोटेक्नोलॉजी के संदर्भ में जानकारी देते हुए उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
- भारत की रक्षा और सामरिक क्षमताओं को बढ़ाने में नैनो प्रौद्योगिकी की क्षमता पर प्रकाश डालिये।
- चुनौतियों पर गहन विचार प्रस्तुत कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
नैनोटेक्नोलॉजी, परमाणु या आणविक स्तर पर पदार्थों का हेरफेर, रक्षा और रणनीतिक अनुप्रयोगों के क्षेत्र में परिवर्तनकारी क्षमता प्रदान करती है। पदार्थ विज्ञान, सेंसर, संचार प्रणाली एवं ऊर्जा भंडारण में प्रगति को सक्षम करके, नैनोटेक्नोलॉजी भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ा सकती है और मौजूदा चुनौतियों का समाधान कर सकती है।
मुख्य भाग:
भारत की रक्षा और सामरिक क्षमताओं को बढ़ाने में नैनो प्रौद्योगिकी की क्षमता:
- रक्षा सामग्री और कवच को मज़बूत बनाना: लड़ाकू वाहनों, विमानों और सैनिक गियर के लिये हल्के, टिकाऊ और उच्च शक्ति वाली सामग्री का विकास।
- उदाहरण: कानपुर स्थित DMSRDE ने भारत का सबसे हल्का बुलेटप्रूफ जैकेट विकसित किया है, जो BIS मानकों के अनुसार उच्चतम खतरे स्तर 6 से सुरक्षा प्रदान करता है।
- उन्नत निगरानी और पूर्व-निरीक्षण: नैनो प्रौद्योगिकी-सक्षम सेंसर और कैमरे चुनौतीपूर्ण परिवेश में भी दुश्मन की गतिविधियों का पता लगाने में सुधार करते हैं।
- उदाहरण: सीमावर्ती क्षेत्रों में रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिये उन्नत इमेजिंग सेंसर से लैस नैनो-ड्रोन की संभावना तलाशी जा रही है।
- परिशुद्धता-निर्देशित हथियार: नैनो-इंजीनियरिंग सामग्री मिसाइलों और तोपखाने प्रणालियों की परिशुद्धता एवं मारक क्षमता को बढ़ाती है।
- उदाहरण: नैनोथर्माइट्स, जो तीव्र ऊर्जा विस्फोट करते हैं, पर उन्नत मिसाइल प्रणालियों में उपयोग के लिये विश्व स्तर पर शोध किया जा रहा है।
- उन्नत कैमाफ्लाज/छलावरण और गुप्तचर प्रौद्योगिकियाँ: नैनो-कोटिंग्स और मेटामटेरियल्स रडार दृश्यता एवं तापीय संकेतों को कम करते हैं, जिससे सैन्य संचालन में गुप्तचरता में सुधार होता है।
- उन्नत ऊर्जा और पावर प्रणालियाँ: नैनो-इंजीनियरिंग बैटरियाँ और सुपरकैपेसिटर रक्षा अनुप्रयोगों में ऊर्जा प्रणालियों की दक्षता एवं स्थायित्व में सुधार करते हैं।
- उदाहरण: लंबी परिचालन अवधि सुनिश्चित करने हेतु ड्रोन और इलेक्ट्रिक लड़ाकू वाहनों के लिये लिथियम-सल्फर बैटरी में नैनो प्रौद्योगिकी की खोज की जा रही है।
- सुरक्षित संचार और क्वांटम प्रौद्योगिकियाँ: नैनो-फोटोनिक्स और क्वांटम डॉट प्रौद्योगिकियाँ सैन्य संचार नेटवर्क की सुरक्षा एवं गति में सुधार कर सकती हैं।
नैनो प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में चुनौतियाँ:
- अनुसंधान एवं विकास की उच्च लागत: उन्नत नैनोटेक रक्षा परियोजनाओं के लिये सीमित वित्तपोषण।
- आयात पर निर्भरता: महत्त्वपूर्ण नैनो सामग्रियों का अपर्याप्त घरेलू उत्पादन।
- नैतिक और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियाँ गैर-राज्यीय तत्त्वों के लिये प्रसार का खतरा उत्पन्न करती हैं।
आगे की राह
- रक्षा अनुप्रयोगों के लिये DRDO के अंतर्गत समर्पित नैनो प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता है।
- रक्षा क्षेत्र में नैनोटेक अनुसंधान के लिये बजट आवंटन में वृद्धि की जानी चाहिये।
- प्रौद्योगिकी अंतरण के लिये नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी देशों, जैसे अमेरिका और जापान, के साथ सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- नैनो प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में निपुण कार्यबल तैयार करने के लिये कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
निष्कर्ष
नैनो प्रौद्योगिकी में भारत की रक्षा और सामरिक क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने की अपार क्षमता है। स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास में निवेश करके, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देकर और कौशल अंतराल को दूर करके, भारत राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिये नैनो प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकता है।