प्रश्न. भारत में छोटे और मध्यम उद्यमों पर GST कार्यान्वयन के आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये। उनके विकास और स्थिरता को बेहतर ढंग से समर्थन देने की दिशा में GST फ्रेमवर्क को और सरल बनाने के लिये कौन-सी रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- GST के साथ-साथ SME के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए परिचय दीजिये।
- SME पर GST के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव बताइये।
- SME के लिये GST फ्रेमवर्क को सरल बनाने के लिये रणनीति प्रस्तुत कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से लागू किये गए GST ने भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सुव्यवस्थित किया, जिससे एकीकृत बाज़ार का निर्माण हुआ। चूँकि छोटे और मध्यम उद्यम (SME) भारत के विनिर्माण, रोज़गार और निर्यात को आगे बढ़ाते हैं, इसलिये उन पर GST के प्रभाव का आकलन करना निरंतर आर्थिक विकास के लिये आवश्यक है।
SME पर GST का आर्थिक प्रभाव:
सकारात्मक प्रभाव:
- कम लॉजिस्टिक्स लागत: राज्य की सीमाओं पर प्रविष्टि करों को समाप्त करके, GST लॉजिस्टिक्स लागत और ट्रक यात्रा समय को 30% तक कम कर देता है, जिससे तेज़ी से डिलीवरी संभव हो जाती है।
- उदाहरण: राज्यों के बीच वस्तुओं का परिवहन करने वाले SME अब टोल टैक्स बचा रहे हैं, जिससे आपूर्ति शृंखला दक्षता बढ़ रही है।
- एकीकृत बाज़ार: GST ने विभिन्न राज्य-स्तरीय करों को समाप्त करके अंतर-राज्यीय व्यापार को सुगम बनाया है। SME अब कम लागत पर राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच सकते हैं।
- उदाहरण: महाराष्ट्र में एक वस्त्र SME अब उच्च अंतर-राज्यीय कर भार के बिना उत्तरी राज्यों के साथ निर्बाध रूप से व्यापार कर सकता है।
- डिजिटल अनुपालन और पारदर्शिता: GST के तहत अनिवार्य डिजिटल रिकॉर्ड-कीपिंग ने कई अनौपचारिक SME को औपचारिक रूप दिया, जिससे ऋण और सरकारी योजनाओं तक उनकी पहुँच बढ़ गई।
- उदाहरण: GST अनुपालन रिकॉर्ड वाले SME आसान ऋण सुलभता के लिये 59 मिनट में PSB ऋण जैसे साधनों का लाभ उठा सकते हैं।
- बेहतर निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता: GST कैस्केडिंग करों को समाप्त करता है और निर्यात संवर्द्धन योजना जैसी योजनाओं के तहत निविष्टि करों की समय पर शुल्क वापसी सुनिश्चित करता है, जिससे SME की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ती है।
- उदाहरण: तिरुप्पुर के एक छोटे परिधान निर्यातक को आसान शुल्क वापसी/रिफंड प्रक्रिया का लाभ मिला, जिससे उत्पादन में पुनर्निवेश संभव हुआ।
नकारात्मक प्रभाव:
- अनुपालन बोझ: SME को GST की जटिल फाइलिंग आवश्यकताओं, जैसे मासिक और वार्षिक रिटर्न को अपनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- अपर्याप्त डिजिटल साक्षरता के कारण बड़ी संख्या में छोटे व्यवसायों के लिये GST अनुपालन एक बड़ी चुनौती बन जाती है।
- कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं में वृद्धि: GST के तहत आपूर्ति के समय कर का भुगतान अनिवार्य कर दिया गया है, जिसके कारण खरीदारों से भुगतान की प्रतीक्षा कर रहे SME के नकदी प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो रही है।
- GST इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) प्रावधानों के तहत विलंबित रिफंड से निर्यातकों के लिये नकदी की समस्या बढ़ जाती है, जिससे विदेशी बाज़ारों पर अत्यधिक निर्भर SME प्रभावित होते हैं।
- बड़ी कंपनियों के साथ असमान प्रतिस्पर्द्धा: बड़ी कम्पनियाँ अनुपालन के प्रबंधन और इनपुट टैक्स क्रेडिट/निविष्टि कर ऋण का लाभ देने में बेहतर ढंग से सक्षम हैं, जबकि SME प्रायः प्रतिस्पर्द्धात्मकता खो देते हैं।
- वस्त्र और हथकरघा जैसे उद्योगों में, छोटे अभिकर्त्ताओं को निगमों की तुलना में कम ऋण उपयोग के कारण अधिक प्रभावी कर भार का सामना करना पड़ता है।
- ई-वे बिल चुनौतियाँ: लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति शृंखलाओं में शामिल SME को ई-वे बिल प्रणाली में त्रुटियों या गैर-अनुपालन के कारण दंड तथा विलंब का सामना करना पड़ता है।
- कई SME ने ई-वे बिल बनाने में तकनीकी समस्याओं के कारण शिपमेंट में विलंब की सूचना दी।
SME के लिये GST फ्रेमवर्क को सरल बनाने की रणनीतियाँ:
- कंपोज़िशन स्कीम का विस्तार कीजिये: कंपोज़िशन स्कीम के तहत पात्रता के लिये टर्नओवर सीमा को ₹1.5 करोड़ से बढ़ाकर ₹3 करोड़ किया जाएगा, जिससे अधिक SME को कम कर का भुगतान करने में सक्षम बनाया जा सकेगा।
- सेवा-उन्मुख SME तक कवरेज का विस्तार किया जाना चाहिये, जिससे उनकी प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़े।
- शीघ्र ITC रिफंड: लिक्विडिटी/चलनिधि संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये तय समय-सीमा (जैसे- 7 दिन) के साथ रिफंड तंत्र को सरल बनाया गया है। आपूर्तिकर्त्ता के गैर-अनुपालन के कारण होने वाले विलंब से बचने के लिये स्वचालित ITC दावे की आवश्यकता है।
- डिजिटल प्रशिक्षण और बुनियादी अवसंरचना: SME को अनुपालन के लिये तकनीकी कौशल से लैस करने के लिये सरकार समर्थित GST साक्षरता कार्यक्रम शुरू किये जाने चाहिये।
- छोटे उद्यमों के लिये पहुँच बढ़ाने हेतु डिजिटल उपकरणों और सॉफ्टवेयर पर सब्सिडी दिये जाने चाहिये।
- क्षेत्र-विशिष्ट राहत उपाय: वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण और हस्तशिल्प जैसे SME-प्रधान क्षेत्रों के लिये GST दरों को कम करना ताकि उनकी लाभप्रदता को बढ़ावा दिया जा सके।
- शिकायत निवारण को मज़बूत बनाना: GST से संबंधित प्रश्नों के लिये समर्पित SME हेल्प डेस्क स्थापित करना, ताकि त्वरित समाधान सुनिश्चित हो सके।
निष्कर्ष:
GST लागू होने से SME को कई तरह के प्रभावों का सामना करना पड़ा है। हालाँकि इससे कर भार कम हुआ, पारदर्शिता बढ़ी और एकीकृत बाज़ार स्थापित हुए हैं, लेकिन अनुपालन संबंधी जटिलताएँ और नकदी संबंधी बाधाएँ जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। सरलीकृत प्रक्रियाओं, डिजिटल समावेशन और क्षेत्र-विशिष्ट प्रोत्साहनों के माध्यम से इन मुद्दों का समाधान करने से SME को प्रतिस्पर्द्धी आर्थिक माहौल में सफल होने में मदद मिलेगी।