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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    क्या आप ऐसा मानते हैं कि ‘सुगम्य भारत अभियान’ का लक्ष्य एक समावेशी समाज विकसित करना है, जिसमें विकलांग व्यक्तियों को उन्नति तथा विकास के लिये समान अवसर एवं आत्मनिर्भर जीवन प्रदान किया जा सके? तर्कपूर्ण व्याख्या करें।

    08 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • सुगम्य भारत अभियान क्या है तथा इसके उद्देश्य।
    • सुगम्य भारत अभियान का क्रियान्वयन।
    • सुगम्य भारत अभियान के मार्ग में आ रही विभिन्न चुनौतियाँ।

    एक समावेशी समाज में विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर उपलब्ध कराने उन्हें आत्मनिर्भर बनाने तथा जीवन के सभी क्षेत्रों में पूर्ण रूप से भाग लेने में सक्षम बनाने हेतु उनकी सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना आवश्यक है। विकलांगजन सशक्तीकरण विभाग ने विकलांग व्यक्तियों हेतु सार्वभौमिक सुगम्यता प्राप्त करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी फ्लैगशिप अभियान सुगम्य भारत अभियान की शुरूआत की है जो समावेशी समाज में विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर तथा स्वतंत्र जीवनयापन और जीवन के सभी क्षेत्रों में भागीदारी करने के लिये सक्षम बनाने में मदद करेगा।

    इस अभियान का उद्देश्य एक समावेशी समाज की स्थापना है जिसमें विकलांग व्यक्तियों की उन्नति तथा विकास के लिये उत्पादक सुरक्षित तथा गरिमामय जीवन के लिये समान अवसर तथा सुगम्यता प्रदान की जाती है। सुगम्यता के संवर्द्धन के लिये संस्थागत समन्वय प्रवर्तन तंत्र तथा विकलांग व्यक्ति अधिनियम की जागरूकता के सम्मिश्रण द्वारा अभियान के कार्यान्वयन हेतु केन्द्रीय मंत्रालय विभागों/ राज्य सरकारों सुगम्यता पेशेवरों तथा विशेषज्ञों के प्रतिनिधियों के साथ एक संचालन समिति और एक कार्यक्रम निगरानी यूनिट का गठन किया गया है।

    इस अभियान के पहले चरण में 48 शहरों को चुना गया है जिनमें सरकारी भवन तथा सार्वजनिक सुविधाओं को जुलाई, 2016 तक पूर्णतः सुगम्यता में बदला जाना है। सुगम्यता के बारे में जागरूकता फैलाने तथा सुगम्य भवनों, सुगम्य परिवहन तथा सुगम्य वेबसाइट आदि के सृजन में संघ/राज्य क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है जिससे विकलांग व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनाकर विकास की मुख्य धारा में जोड़ा जा सके।

    इस अभियान की सबसे बड़ी चुनौती विकलांगों के प्रति लोगों के नज़रिये में बदलाव लाना एवं भ्रष्टाचार, लालफीताशाही आदि पर समुचित लगाम लगाना आदि है।

    इस प्रकार, यदि इस अभियान के क्रियान्वयन पक्ष पर समुचित ध्यान दिया जाए तो यह अभियान समावेशी समाज के विकास एवं विकलांगों को उन्नति तथा विकास के लिये समान अवसर एवं आत्मनिर्भर जीवन प्रदान करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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