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प्रश्न :
प्रश्न. भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में सांस्कृतिक पुनरुत्थान और राजनीतिक प्रतिरोध के बीच जटिल अंतःक्रियाओं पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
02 Dec, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
दृष्टिकोण:
- भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में सांस्कृतिक पुनरुत्थान और राजनीतिक प्रतिरोध के संगम पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
- राजनीतिक प्रतिरोध की नींव के रूप में सांस्कृतिक पुनरुत्थान के पक्ष में तर्क दीजिये।
- राजनीतिक प्रतिरोध को उजागर करते हुए सांस्कृतिक आख्यान के निर्माण पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय
भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन (19वीं-20वीं सदी) न केवल औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध एक राजनीतिक संघर्ष था, बल्कि भारत की पहचान और विरासत को पुनः प्राप्त करने के उद्देश्य से एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण भी था।
- सांस्कृतिक पुनरुत्थान ने दोहरी भूमिका निभाई- इसने राजनीतिक प्रतिरोध के नैतिक और भावनात्मक आधार को मज़बूत किया और बदले में राजनीतिक प्रतिरोध ने सांस्कृतिक पुनरुत्थान को गति दी।
मुख्य भाग:
राजनीतिक प्रतिरोध की नींव के रूप में सांस्कृतिक पुनरुद्धार
- भारत की सांस्कृतिक विरासत की पुनः खोज:
- राजा राममोहन राय और तत्पश्चात् स्वामी विवेकानंद जैसे विद्वानों ने भारतीय दर्शन, संस्कृत ग्रंथों एवं प्राचीन उपलब्धियों के गौरव को पुनर्जीवित किया तथा राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा दिया।
- उदाहरण: दयानंद सरस्वती (आर्य समाज) जैसे नेताओं ने वैदिक परंपराओं की ओर लौटने का आह्वान किया तथा इसे औपनिवेशिक सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की अस्वीकृति के रूप में प्रस्तुत किया।
- बंगाल पुनर्जागरण की भूमिका:
- रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चटर्जी जैसी हस्तियों के नेतृत्व में बंगाल पुनर्जागरण ने सांस्कृतिक पुनरुत्थान को राष्ट्रवाद के साथ एकीकृत किया।
- उदाहरण: बंकिम के आनंदमठ ने “वंदे मातरम” को राष्ट्रवादी गान के रूप में प्रयोग करने के लिये प्रेरित किया।
- पुनर्जागरण के साधन के रूप में शिक्षा:
- मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) जैसे संस्थानों ने आधुनिक शिक्षा को भारतीय मूल्यों के साथ मिश्रित करने पर ज़ोर दिया।
- तिलक जैसे राजनीतिक नेताओं ने राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा देने के लिये शिक्षा का प्रयोग किया।
- लोक संस्कृति का एकीकरण:
- ग्रामीण जनता को संगठित करने के लिये लोक परंपराओं के गीतों, कथाओं और प्रतीकों में राष्ट्रवादी विषयवस्तु का समावेश किया गया।
- उदाहरण: गांधी द्वारा लोकप्रिय रघुपति राघव राजा राम जैसे भजन एक एकीकृत गान बन गए।
सांस्कृतिक आख्यान का निर्माण करने वाले राजनीतिक प्रतिरोध
- धार्मिक प्रतीकवाद का प्रयोग: राजनीतिक नेता प्रायः जनता को प्रेरित करने के लिये सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीकों का सहारा लेते थे।
- उदाहरण: बाल गंगाधर तिलक ने लोगों को एकजुट करने और राष्ट्रवादी भावना को बढ़ावा देने के लिये गणेश चतुर्थी को सामुदायिक त्योहार के रूप में लोकप्रिय बनाया।
- ब्रिटिश सांस्कृतिक आधिपत्य को चुनौती: सांस्कृतिक आख्यानों ने समृद्ध भारतीय विरासत पर प्रकाश डाला, ताकि “भारतीय असभ्य हैं।” जैसे ब्रिटिश प्रचार का मुकाबला किया जा सके।
- उदाहरण: वर्ष 1893 के शिकागो धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के भाषण ने भारत की आध्यात्मिक गहनता पर ज़ोर दिया तथा भारतीय पहचान पर गर्व प्रदर्शित करके राजनीतिक प्रतिरोध को प्रेरित किया।
निष्कर्ष:
भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन ने सांस्कृतिक पुनरुत्थान और राजनीतिक प्रतिरोध के बीच तालमेल को उजागर किया, दोनों ने एक दूसरे को सुदृढ़ किया। सांस्कृतिक पुनरुत्थान ने राष्ट्रीय गौरव को जागृत कर राजनीतिक संघर्ष को सशक्त बनाया, जबकि राजनीतिक प्रतिरोध ने सांस्कृतिक पुनरुत्थान को जन-आंदोलन के लिये आवश्यक तात्कालिकता और पैमाना प्रदान किया।
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