- फ़िल्टर करें :
- सैद्धांतिक प्रश्न
- केस स्टडीज़
-
प्रश्न :
आप एक तेज़ी से विकसित हो रहे शहर के नगर आयुक्त हैं, जो भूजल स्तर में गिरावट और जल आपूर्ति बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। इसके समाधान हेतु, राज्य सरकार ने सभी घरों में जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये एक जलाशय निर्माण और पाइपलाइन नेटवर्क स्थापित करने हेतु एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है।
इस परियोजना की एक निर्धारित समय-सीमा है क्योंकि इसे एक अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है, जिसे 18 महीने के भीतर पूरा करना है। हालाँकि जलाशय के लिये भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के दौरान, क्षेत्र में निवास करने वाले कई आदिवासी परिवारों ने विरोध किया, उनका कहना है कि उनसे पर्याप्त परामर्श नहीं किया गया था और उनकी पारंपरिक आजीविका खतरे में है। इसके साथ ही, एक पर्यावरणीय संगठन ने न्यायालय में एक याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि यह परियोजना एक महत्त्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे को नष्ट कर देगी। पाइपलाइन निर्माण में शामिल ठेकेदार भी भुगतान में देरी की शिकायत करते हैं, जिससे प्रगति धीमी हो रही है। मीडिया ने इस परियोजना को विफलता के रूप में प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है और जनता का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। आपको इन समस्याओं का समाधान करने, सभी हितधारकों की चिंताओं को संबोधित करते हुए परियोजना को समय पर पूरा करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
1. इस मामले में कौन-कौन से हितधारक शामिल हैं?
29 Nov, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
2. इस मामले में नैतिक मुद्दे क्या हैं?
3. मुद्दों का समाधान करने और हितधारकों के सहयोग को सुनिश्चित करते हुए परियोजना को समय पर पूरा करने के लिये आपकी कार्यवाही क्या होगी?उत्तर :
परिचय:
शहर में जल की गंभीर समस्या है, जिसके कारण जलाशय और पाइपलाइन नेटवर्क बनाने के लिये राज्य समर्थित महत्त्वाकांक्षी परियोजना शुरू की गई है। हालाँकि इस परियोजना के समक्ष कई चुनौतियाँ हैं, जिसमें भूमि अधिग्रहण को लेकर जनजातीय परिवारों का विरोध, पर्यावरण संबंधी चिंताएँ, ठेकेदारों को भुगतान में विलंब और मीडिया की बढ़ती आलोचना शामिल है। नगर आयुक्त को इन मुद्दों से निपटना है और साथ ही 18 महीने की समय-सीमा के भीतर परियोजना को समय पर पूरा करना होगा।
मुख्य भाग:
शामिल हितधारक
हितधारक
चिंताएँ/रुचियाँ
नगर आयुक्त
जल परियोजना का समय पर पूरा होना सुनिश्चित करना, हितधारकों की चिंताओं का प्रबंधन करना तथा जन दबाव का समाधान करना।
राज्य सरकार
अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी की आवश्यकताओं को पूरा करने तथा सभी को जल उपलब्ध कराने के लिये परियोजना को 18 महीने के भीतर पूरा करना।
अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी
यह सुनिश्चित करना कि परियोजना समय पर और बजट के भीतर पूरी हो।
जनजातीय परिवार
पारंपरिक आजीविका का संरक्षण, उचित परामर्श और उचित मुआवज़ा सुनिश्चित करना।
पर्यावरण समूह/नागरिक समाज/NGO
वन्यजीव गलियारे की सुरक्षा करना और पर्यावरण क्षरण को रोकना, जनजातीय चिंताओं को लेकर मध्यस्थता में सहायता करना।
ठेकेदार
परियोजना में विलंब से बचने के लिये विलंबित भुगतान और समय पर पारिश्रमिक की मांग करना।
मीडिया
परियोजना की प्रगति को शामिल करना तथा कथित विफलताओं के लिये प्राधिकारियों को जवाबदेह ठहराना।
जनता
स्वच्छ एवं सतत् जल की उपलब्धता, परियोजना की व्यवहार्यता एवं पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में चिंताएँ।
न्यायतंत्र
विकासात्मक और पारिस्थितिकीय चिंताओं में संतुलन रखते हुए पर्यावरण याचिका की सुनवाई तथा समाधान करना।
इसमें शामिल नैतिक मुद्दे:
- जनजातीय अधिकार बनाम विकास: जनजातीय परिवारों का परामर्श और अपनी आजीविका के संरक्षण का अधिकार बनाम जलाशय निर्माण के लिये भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता।
- व्यापक सार्वजनिक हित के लिये जल संकट को हल करने की तत्काल आवश्यकता बनाम प्रभावित समुदायों के अधिकारों, पर्यावरण और कल्याण की सुरक्षा।
- पर्यावरण संरक्षण बनाम बुनियादी अवसंरचना का विकास: आनुपातिकता के सिद्धांत को पारित करने और वन्यजीव गलियारे की रक्षा करने की नैतिक ज़िम्मेदारी बनाम शहर के जल संकट को दूर करने के लिये बुनियादी अवसंरचना के निर्माण की तात्कालिकता।
- सामाजिक न्याय बनाम परियोजना की समय-सीमा: प्रभावित जनजातीय परिवारों के लिये उचित मुआवज़ा और पुनर्वास सुनिश्चित करना बनाम अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी द्वारा निर्धारित 18 महीने की सख्त समय-सीमा को पूरा करना।
- ठेकेदार की निष्पक्षता बनाम सरकारी दक्षता: ठेकेदारों का समय पर भुगतान पाने का अधिकार बनाम सरकार पर परियोजना लागत का प्रबंधन करने और निर्धारित समय-सीमा के भीतर काम पूरा करने का दबाव।
- सार्वजनिक विश्वास बनाम मीडिया प्रतिनिधित्व: परियोजना की प्रगति पर पारदर्शिता और सटीक रिपोर्टिंग बनाए रखने की आवश्यकता बनाम मीडिया द्वारा परियोजना को विफलता के रूप में चित्रित करना।
मुद्दों को हल करने के लिये कार्यवाही:
- गंभीर चिंताओं को दूर करने के लिये तत्काल कदम
- हितधारक परामर्श तंत्र: निष्पक्ष समाधान सुनिश्चित करने के लिये जनजातीय और पर्यावरणीय वार्ता के लिये तटस्थ मध्यस्थ सहित जनजातीय प्रतिनिधियों, पर्यावरण समूहों, ठेकेदारों एवं स्थानीय अधिकारियों सहित बहु-हितधारक बैठक बुलाना।
- भूमि अधिग्रहण और जनजातीय चिंताएँ: जनजातीय परिवारों पर विस्थापन और आजीविका के प्रभाव का आकलन करने के लिये त्वरित सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (SIA) का संचालन करना।
- भूमि अधिग्रहण में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अंतर्गत उचित प्रतिकर प्रदान करना।
- पर्यावरणीय मुद्दे: पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) का त्वरित संचालन करने के लिये पर्यावरण समूहों और पारिस्थितिकी विशेषज्ञों के साथ सहयोग करना।
- प्रतिपूरक वनरोपण, वन्यजीव गलियारों का निर्माण, प्रभावित वन्यजीवों के लिये आवास पुनर्वास कार्यक्रम और पारिस्थितिकी तंत्र बहाली योजनाओं जैसे शमन उपायों का प्रस्ताव करना।
- पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (MoEF) के साथ मिलकर समयबद्ध तरीके से आवश्यक मंज़ूरी प्राप्त करना।
परिचालन चुनौतियों का समाधान
- ठेकेदार भुगतान: वित्त विभाग के साथ समन्वय करके लंबित भुगतानों की प्रक्रिया को त्वरित किया जाना चाहिये।
- भविष्य में विलंब से बचने के लिये एक समर्पित भुगतान ट्रैकिंग तंत्र बनाए जाने की आवश्यकता है।
- स्थिर प्रगति सुनिश्चित करने के लिये ठेकेदारों को आंशिक अग्रिम भुगतान या प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिये।
- परियोजना निगरानी और निष्पादन: परियोजना के समय पर निष्पादन की निगरानी के लिये एक विशेष परियोजना कार्य बल का गठन किया जाना चाहिये।
- निर्माण गतिविधियों की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिये भू-स्थानिक सूचना प्रणाली (GIS) और परियोजना प्रबंधन सॉफ्टवेयर जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिये।
- बाधाओं से बचने के लिये अंतर-विभागीय समन्वय सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
सार्वजनिक सहभागिता और धारणा प्रबंधन
- मीडिया और सार्वजनिक संचार: प्रगति के संदर्भ में जनता को अद्यतन करने और पारदर्शी तरीके से चिंताओं का समाधान करने के लिये नियमित रूप से प्रेस ब्रीफिंग आयोजित किया जाना चाहिये।
- परियोजना के दीर्घकालिक लाभों पर प्रकाश डाला जाना चाहिये, जिसमें जल की बढ़ी हुई उपलब्धता और सतत् विकास शामिल है।
- सामुदायिक भागीदारी: वृक्षारोपण अभियान, इकोटूरिज़्म गाइड और होमस्टे संचालकों तथा अन्य पारिस्थितिकी बहाली गतिविधियों में स्थानीय समुदायों को शामिल किया जाना चाहिये।
- समावेशिता को बढ़ावा देने के लिये जनजातीय नेताओं को निर्णय लेने वाली समितियों का हिस्सा बनने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
दीर्घकालिक उपाय
- जल संसाधन स्थिरता: भविष्य में संकटों को रोकने के लिये शहर में वर्षा जल संचयन और भूजल पुनर्भरण को शामिल करते हुए जल संरक्षण योजना विकसित किया जाना चाहिये।
- जल संरक्षण प्रथाओं पर नागरिक जागरूकता अभियान को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- संस्थागत सुधार: इस परियोजना के साथ-साथ विस्थापन या पर्यावरण संबंधी चिंताओं से जुड़ी भविष्य की परियोजनाओं के लिये शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित किये जाने चाहिये।
- भुगतान में विलंब को रोकने और ठेकेदारों के साथ विश्वास बढ़ाने के लिये वित्तीय तंत्र को मज़बूत किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
व्यावहारिक, समावेशी और पारदर्शी दृष्टिकोण अपनाकर, सभी हितधारकों के लिये निष्पक्षता सुनिश्चित करते हुए परियोजना को समय पर पूरा किया जा सकता है। जनजातीय और पर्यावरणीय चिंताओं का सक्रिय समाधान संघर्षों को कम करेगा और कुशल निष्पादन रणनीतियों से जनता का पुनः विश्वास स्थापित होगा। विकास और स्थिरता के बीच एक सामंजस्यपूर्ण संतुलन भविष्य की बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के लिये एक सकारात्मक मिसाल कायम करेगा।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print - जनजातीय अधिकार बनाम विकास: जनजातीय परिवारों का परामर्श और अपनी आजीविका के संरक्षण का अधिकार बनाम जलाशय निर्माण के लिये भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता।