प्रश्न: आधुनिक शासन प्रणालियों में सामाजिक सद्भाव और प्रशासनिक दक्षता सुनिश्चित करने में कन्फ्यूशियस नैतिकता किस प्रकार प्रासंगिक है? चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- कन्फ्यूशियस नैतिकता को परिभाषित करके उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
- कन्फ्यूशियस नैतिकता के प्रमुख सिद्धांत बताइये।
- सामाजिक सद्भाव और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देने में इसकी प्रासंगिकता बताइये।
- इसके आधुनिक अनुप्रयोग में चुनौतियों का गहन अध्ययन प्रस्तुत कीजिये।
- आधुनिक शासन के साथ कन्फ्यूशियस नैतिकता को संतुलित करने के तरीके बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
कन्फ्यूशियस नैतिकता सद्गुण, पितृभक्ति, अखंडता और परोपकारी शासन जैसे मूल्यों पर बल देती है। 551-479 ईसा पूर्व विकसित ये सिद्धांत नैतिकता, पदानुक्रम और सामुदायिक ज़िम्मेदारी पर ध्यान केंद्रित करके आधुनिक शासन प्रणालियों में सामाजिक सद्भाव एवं प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देने में प्रासंगिक बने हुए हैं।
मुख्य भाग:
कन्फ्यूशियस नैतिकता के प्रमुख सिद्धांत:
रेन (परोपकार): पारस्परिक और सामाजिक संबंधों में सहानुभूति एवं करुणा को प्रोत्साहित करता है।
- ली (संस्कार/उचित आचरण): उचित व्यवहार और परंपरा के प्रति सम्मान का समर्थन करते हुए व्यवस्था को बढ़ावा देता है।
- जिओ (पुत्र-पितृ भक्ति): सामंजस्यपूर्ण समाज की नींव के रूप में परिवार के प्रति सम्मान और देखभाल पर बल दिया जाता है।
- यी (धार्मिकता): व्यक्तिगत लाभ की अपेक्षा नैतिक रूप से सही कार्य करने पर ज़ोर दिया जाता है।
सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने में प्रासंगिकता:
- नैतिक नींव को मज़बूत करना: कन्फ्यूशियस नैतिकता नागरिकों को ज़िम्मेदारी से कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करती है, जिससे समाज में विश्वास और सहयोग की भावना बढ़ती है।
- यह पारस्परिक सम्मान और समुदाय-केंद्रित व्यवहार को आयाम देता है तथा सामाजिक वैमनस्य को कम करता है।
- पारस्परिक सम्मान और पदानुक्रमिक सद्भाव को बढ़ावा देना: भूमिकाओं और कर्त्तव्यों पर कन्फ्यूशियस का ज़ोर यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति परिवार, समुदाय एवं राष्ट्र के प्रति ज़िम्मेदारियों को पूरा करें।
- संवाद के माध्यम से संघर्ष समाधान: कन्फ्यूशियसवाद शांतिपूर्ण विवाद समाधान और आम सहमति बनाने पर ज़ोर देता है, जो बहु-हितधारक शासन के लिये आवश्यक है।
- उदाहरण: कन्फ्यूशियस-प्रभावित क्षेत्रों में सामुदायिक मध्यस्थता प्रायः प्रतिकूल दृष्टिकोण से बचती है।
प्रशासनिक दक्षता में प्रासंगिकता:
- नैतिक नेतृत्व: कन्फ्यूशियस सिद्धांत दबाव की अपेक्षा सद्गुणी नेतृत्व को प्राथमिकता देते हैं तथा विश्वास एवं औचित्य को प्रेरित करते हैं।
- नौकरशाही में योग्यतावाद: कन्फ्यूशियस विचारधारा भाई-भतीजावाद के बजाय योग्यता के आधार पर योग्य अधिकारियों के चयन पर ज़ोर देती है।
- सामूहिक भलाई पर ध्यान: कन्फ्यूशियसवाद से प्रेरित प्रशासनिक नीतियाँ व्यक्तिगत हितों की तुलना में समाज की भलाई को प्राथमिकता देती हैं।
आधुनिक अनुप्रयोग में चुनौतियाँ:
- कठोरता का जोखिम: पदानुक्रम और परंपरा का अत्यधिक पालन तेज़ी से बदलते वैश्विक संदर्भों में अनुकूलनशीलता में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- उदाहरण: पदानुक्रम पर अत्यधिक ज़ोर शासन में नवाचार को कम कर सकता है।
- अधिनायकवाद/सत्तावाद की संभावना: सत्ता के प्रति कन्फ्यूशियस का सम्मान कभी-कभी सद्भाव बनाए रखने की आड़ में दमनकारी शासन को उचित ठहरा सकता है।
- आलोचकों का तर्क है कि कन्फ्यूशियसवाद का उपयोग चुनिंदा रूप से कुछ राजनीतिक प्रणालियों में केंद्रीकृत नियंत्रण को वैध बनाने के लिये किया गया है।
आधुनिक शासन के साथ कन्फ्यूशियस नैतिकता का संतुलन:
- कन्फ्यूशियस और लोकतांत्रिक मूल्यों का संयोजन: कन्फ्यूशियस नैतिकता को लोकतांत्रिक शासन के साथ एकीकृत करने से सामाजिक व्यवस्था और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मध्य संतुलन सुनिश्चित होता है।
- उदाहरण: दक्षिण कोरिया पदानुक्रम के प्रति कन्फ्यूशियस सम्मान को लोकतांत्रिक जवाबदेही के साथ मिश्रित करता है।
- समकालीन संदर्भों के लिये सिद्धांतों को अनुकूलित करना: कन्फ्यूशियस मूल्यों की आधुनिक व्याख्याएँ, जैसे ‘सार्वभौमिक परोपकार’, पर्यावरणीय क्षरण और असमानता जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान कर सकती हैं।
निष्कर्ष:
कन्फ्यूशियस नैतिकता योग्यता, नैतिक नेतृत्व और सामुदायिक सामंजस्य को बढ़ावा देकर सामाजिक सद्भाव एवं प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देने के लिये स्थायी सिद्धांत प्रदान करती है। जबकि कुछ पहलुओं को लोकतांत्रिक और बहुलवादी शासन मॉडल में फिट होने के लिये अनुकूलन की आवश्यकता हो सकती है, उनके मूल मूल्य न्यायसंगत एवं सामंजस्यपूर्ण समाजों को आयाम देने में अत्यधिक प्रासंगिक हैं।