- फ़िल्टर करें :
- राजव्यवस्था
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध
- सामाजिक न्याय
-
प्रश्न :
प्र्श्न: ई-गवर्नेंस केवल तकनीकी समाधान नहीं है, बल्कि यह व्यापक सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन का माध्यम है। विश्लेषण कीजिये कि डिजिटल प्लेटफॉर्म किस प्रकार नागरिकों और राज्य के संबंधों को पुनर्निर्मित तथा सशक्त बना सकते हैं? (250 शब्द)
26 Nov, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- ई-गवर्नेंस को परिभाषित करके उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
- नागरिक-राज्य संबंधों के लिये परिवर्तनकारी उपागम के रूप में ई-गवर्नेंस के समर्थन में तर्क दीजिये।
- नागरिक-राज्य संबंधों को नया आयाम देने में चुनौतियों का गहन अध्ययन प्रस्तुत कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
ई-गवर्नेंस एक परिवर्तनकारी उपागम है जो शासन को बेहतर बनाने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाता है। यह न केवल तकनीकी प्रगति को दर्शाता है बल्कि सत्ता की गतिशीलता में बदलाव, नागरिक सशक्तीकरण, पारदर्शिता और बेहतर सेवा वितरण को बढ़ावा देता है। इस परिवर्तन के गहरे सामाजिक-राजनीतिक निहितार्थ हैं, जो नागरिकों और राज्य के बीच संबंधों को नया रूप देते हैं।
मुख्य भाग:
डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से नागरिक-राज्य संबंधों में परिवर्तन:
- बढ़ी हुई पारदर्शिता और जवाबदेही
- भ्रष्टाचार में कमी: GeM (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) और पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म मध्यवर्ती को प्रतिबंधित करते हैं, जिससे भ्रष्टाचार मुक्त लेन-देन सुनिश्चित होता है।
- नागरिक निगरानी: RTI ऑनलाइन पोर्टल जैसे उपकरण नागरिकों को सरकारी कार्यों की जाँच करने में सक्षम बनाते हैं।
- ओपन डेटा पहल: प्लेटफॉर्म डेटासेट तक सार्वजनिक पहुँच को सक्षम करते हैं तथा डैशबोर्ड के माध्यम से स्मार्ट सिटी जैसी परियोजनाओं की रियल टाइम प्रगति तक पहुँच जैसी सूचित नागरिक सहभागिता को बढ़ावा देते हैं।
- भागीदारी के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाना
- क्राउडसोर्सिंग नीतियाँ: MyGov प्लेटफॉर्म मन की बात पहल और सहभागी बजट के साथ-साथ नीति-निर्माण के लिये नागरिक सुझाव आमंत्रित करता है।
- रियल टाइम फीडबैक तंत्र: स्वच्छता ऐप जैसे ऐप शिकायत निवारण और फीडबैक लूप को सक्षम करते हैं।
- चुनाव और लोकतंत्र: डिजिटल मतदाता पंजीकरण और वोटर हेल्पलाइन जैसे ऐप्स के माध्यम से निगरानी चुनावी भागीदारी को बढ़ाती है।
- बेहतर सेवा वितरण और समावेशन
- वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म: उमंग जैसे पोर्टल कई सेवाओं को एकीकृत करते हैं, जिससे नागरिकों का समय और प्रयास कम होता है।
- ई-कोर्ट, डिजीलॉकर और राष्ट्रीय AI प्लेटफॉर्म सेवा वितरण में क्रांति ला रहे हैं।
- वित्तीय समावेशन: आधार-सक्षम भुगतान प्रणालियाँ बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को बैंकिंग सुविधा प्रदान करती हैं। (वर्ष 2023 तक, लगभग 6.26 करोड़ PMJDY खाताधारकों को सरकार से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्राप्त होगा)।
- स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा: ई-संजीवनी और दीक्षा जैसे प्लेटफॉर्म ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा अंतराल को कम करते हैं।
- वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म: उमंग जैसे पोर्टल कई सेवाओं को एकीकृत करते हैं, जिससे नागरिकों का समय और प्रयास कम होता है।
नागरिक-राज्य संबंधों को पुनः आकार देने में चुनौतियाँ:
- डिजिटल डिवाइड
- ग्रामीण कनेक्टिविटी का अंतर: ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में सीमित इंटरनेट अभिगम ई-गवर्नेंस की पहुँच को सीमित करती है। (भारत में केवल 35% ग्रामीण परिवारों के पास इंटरनेट तक पहुँच है)
- लैंगिक विभाजन: महिलाओं को डिजिटल साक्षरता और स्मार्टफोन तक पहुँच में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि पुरुषों (94.7%) की तुलना में महिलाओं में डिजिटल साक्षरता कम (89.8%) है।
- कमज़ोर समूहों का अपवर्जन: वृद्ध जनों और दिव्यांगों को डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- गोपनीयता और डेटा सुरक्षा
- डेटा उल्लंघन: कमज़ोर साइबर सुरक्षा उपायों के कारण डेटा उल्लंघन होते हैं, जिससे विश्वास कम होता है। (CoWIN प्लेटफॉर्म में हाल ही में डेटा लीक)।
- एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह: स्वचालित प्रणालियाँ सीमांत समुदायों के विरुद्ध भेदभाव कर सकती हैं। (आधार प्रमाणीकरण विफलताओं के कारण महाराष्ट्र में राशन लाभ से इनकार)
- परिवर्तन का विरोध
- नौकरशाही संदेह: नए कार्यप्रवाह को अपनाने में अनिच्छा डिजिटल शासन में बाधा उत्पन्न करती है।
- राजनैतिक इच्छाशक्ति: ई-गवर्नेंस की सफलता राज्य सरकारों की भिन्न प्राथमिकताओं और निवेश के कारण भिन्न होती है।
आगे की राह:
- डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना: ग्रामीण क्षेत्रों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ने के लिये भारतनेट में तेज़ी लाने की आवश्यकता है।
- साइबर सुरक्षा और विधिक संरचना को मज़बूत करना: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 को तेज़ी से लागू किया जाना चाहिये।
- उल्लंघनों को रोकने और विश्वास में सुधार करने के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्मों का नियमित ऑडिट।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना: डिजिटल स्वास्थ्य, डिजिटल शिक्षा और बुनियादी ढाँचे जैसे प्रमुख शासन क्षेत्रों में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिये रूपरेखा विकसित करने की आवश्यकता है।
- लोक कल्याण लक्ष्यों के साथ जवाबदेही और संरेखण सुनिश्चित करने के लिये PPP परियोजनाओं की निगरानी की जानी चाहिये।
- डेटा-संचालित शासन: साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण के लिये बड़े डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- विश्वास का निर्माण करने और नागरिक डेटा का ज़िम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करने के लिये सुदृढ़ डेटा गोपनीयता विनियम स्थापित किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
डिजिटल प्लेटफॉर्म केवल शासन के साधन नहीं हैं, बल्कि सामाजिक-राजनीतिक बदलाव के साधन भी हैं। ये पारदर्शिता, समावेश और भागीदारी को बढ़ाने के साथ ही नागरिक-राज्य संबंधों को नया आयाम देते हैं।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print