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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. "तटीय कटाव और निक्षेपण की प्रक्रिया विभिन्न भू-आकृतियों का निर्माण करती है।" चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    25 Nov, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    दृष्टिकोण: 

    • तटीय अपरदन और निक्षेपण को परिभाषित करते हुए परिचय दीजिये। 
    • तटीय अपरदन और निक्षेपण को प्रभावित करने वाले कारक बताइये ।
    • तटीय अपरदन से निर्मित भू-आकृतियों का विश्लेषण कीजिये। 
    • तटीय निक्षेपण द्वारा निर्मित भू-आकृतियों पर प्रकाश डालिये। 
    • उचित निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय: 

    तटीय प्रक्रियाएँ, जिनमें अपरदन और निक्षेपण शामिल हैं, गतिशील शक्तियाँ हैं जो विभिन्न प्रकार के भू-आकृतियों को निर्मित कर समुद्र तट को आकार देती हैं।

    • तरंगों, ज्वार-भाटे और धाराओं द्वारा प्रेरित अपरदन से समुद्र या नदी तट के चट्टान, मिट्टी/रेत नष्ट हो जाती है या प्रवाहित हो जाती है, जबकि निक्षेपण तब होता है जब जल द्वारा प्रवाहित निक्षेप/तलछट नीचे जमा हो जाते हैं। 
    • ये प्रक्रियाएँ मिलकर विशिष्ट तटीय परिदृश्यों का निर्माण करती हैं जो भू-विज्ञान, जलवायु और मानवीय गतिविधियों से प्रभावित होते हैं।

    मुख्य भाग:

    तटीय अपरदन से निर्मित भू-आकृतियाँ:

    अपरदन से मुख्यतः ऊबड़-खाबड़ और विभिन्न भू-आकृतियों का निर्माण होता है, जैसे कि:

    • भृगु और तरंग घर्षित प्लेटफॉर्म (Cliffs and Wave-Cut Platforms): लहरें तटीय चट्टान के आधार को नष्ट कर देती हैं, जिससे खड़ी/मंद ढाल वाले भृगु बन जाते हैं।
      • बार-बार होने वाले अपरदन से भृगु के आधार पर एक समतल मंच बन जाता है, जिसे वेव-कट प्लेटफॉर्म अथवा तरंग घर्षित वेदिकाओं के रूप में जाना जाता है। (उदाहरण: इंग्लैंड में क्लिफ्स ऑफ डोवर)
    • समुद्री मेहराब और समुद्री स्टैक (Sea Arches and Sea Stacks): निरंतर लहरों की क्रिया के कारण भृगु के आधार में बने रिक्त स्थानों में कंदराएँ बन जाती हैं, जो बाद में स्टैक के रूप में विकसित हो जाती हैं।
      • कंदराओं की छत ध्वस्त होने से समुद्री भृगु स्थल की ओर हटते हैं। भृगु के निवर्तन से चट्टानों के कुछ अवशेष तटों पर अलग-थलग छूट जाते हैं। ऐसी अलग-थलग प्रतिरोधी चट्टानें जो कभी भृगु के भाग थे, समुद्री स्टैक कहलाते हैं। (उदाहरण: द ट्वेल्व अपॉस्ल, ऑस्ट्रेलिया) 
    • छोटी खाड़ियाँ और खाड़ियाँ (Coves and Bays): नरम चट्टानें कठोर चट्टानों की तुलना में तेज़ी से नष्ट होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप छोटी खाड़ियाँ और खाड़ियाँ बनती हैं। (उदाहरण: लुलवर्थ कोव, यू.के.)
    • ब्लोहोल्स (Blowholes): लहरें जल को दरारों में धकेलती हैं, जिससे ऊपरी दाब बनता है जो ऊर्ध्वाधर शाफ्ट या ब्लोहोल्स बनाता है। (उदाहरण: कियामा ब्लोहोल, ऑस्ट्रेलिया)

    तटीय निक्षेपण द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ:

    निक्षेपण से कोमल, अधिक स्थिर भू-आकृतियाँ बनती हैं:

    • पुलिन (Beaches): समुद्र तट के किनारे रेत, कंकड़ और अन्य तलछट के संचय से निर्मित।
    • रेत रोधिकाएँ और रोध द्वीप (Sandbars and Barrier Islands): रेत रोधिकाएँ लहरों के कारण समुद्र तट से दूर बनती हैं, जबकि रोध द्वीप बड़े, लंबे आकार के होते हैं जो तटों को लहरों के तीव्र प्रवाह से बचाते हैं। 
    • स्पिट्स और टोम्बोलो (Spits and Tombolos): अपतटीय रोध व रोधिकाएँ प्रायः या तो खाड़ी के प्रवेश पर या नदियों के मुहानों के सम्मुख बनती हैं। कई बार रोधिकाओं का एक सिरा खाड़ी से जुड़ जाता है तो इन्हें स्पिट कहते है। शीर्षस्थल से एक सिरा जुड़ने पर भी स्पिट विकसित होती है। जब स्पिट मुख्य भूमि को किसी द्वीप से जोड़ता है, तो यह टोम्बोलो बनाता है। 
    • डेल्टा: नदी के मुहाने पर निर्मित निक्षेपणीय आकृतियाँ, जहाँ नदियों द्वारा बहाकर लाया गया तलछट धीमी गति से बहने वाले जल निकायों से मिलते समय जमा हो जाता है। (उदाहरण: सुंदरबन डेल्टा, भारत)

    निष्कर्ष: 

    तटीय अपरदन और निक्षेपण के परस्पर क्रिया के परिणामस्वरूप भृगु और स्टैक से लेकर पुलिन तथा डेल्टाओं तक की विशिष्ट भू-आकृतियाँ बनती हैं। ये प्रक्रियाएँ तटीय रेखाओं की गतिशील प्रकृति को समझने और जलवायु परिवर्तन तथा समुद्र-स्तर में वृद्धि जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिये संधारणीय तटीय प्रबंधन की आवश्यकता को समझने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

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