प्रश्न: मानवीय अंतःक्रियाओं में नैतिक व्यवहार को आकार देने वाले प्रमुख कारक कौन से हैं? चर्चा कीजिये कि इन कारकों की समझ सार्वजनिक सेवा में नैतिक आचरण को प्रोत्साहित करने में कैसे सहायक हो सकती है। (150 शब्द)
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- "मानवीय अंतःक्रियाओं में नैतिक व्यवहार" के संदर्भ में उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
- मानवीय अंतःक्रियाओं में नैतिक व्यवहार के प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालिये।
- कारकों को समझकर सार्वजनिक सेवा में नैतिक आचरण को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है, तर्क सहित उत्तर दीजिये।
- उचित निष्कर्ष निकालिये।
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परिचय:
मानवीय अंतःक्रियाओं में नैतिक व्यवहार व्यक्तिगत मूल्यों, सामाजिक मानदंडों और परिस्थितिजन्य कारकों के परस्पर प्रभाव से प्रभावित होता है। सार्वजनिक सेवा में, जहाँ कार्य सीधे तौर पर सार्वजनिक कल्याण को प्रभावित करते हैं, इन निर्धारकों को समझना अधिकारियों को ज़िम्मेदार, निष्पक्ष और पारदर्शी निर्णय लेने की दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है।
मुख्य भाग:
मानवीय अंतःक्रियाओं में नैतिक व्यवहार के प्रमुख निर्धारक:
- व्यक्तिगत मूल्य और नैतिकता: व्यक्ति के नैतिक निर्णयों को परिवार, शिक्षा और संस्कृति द्वारा निर्मित विश्वास प्रणाली गहराई से प्रभावित करती है। उदाहरण के लिये, ईमानदारी की मज़बूत भावना वाला एक सरकारी कर्मचारी भ्रष्ट प्रथाओं का विरोध करने की संभावना रखता है।
- सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंड: सामाजिक अपेक्षाएँ और सांस्कृतिक परंपराएँ नैतिक व्यवहार को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिये, सामूहिक समाजों में, सहयोग और बड़ों के प्रति सम्मान जैसे मूल्यों पर ज़ोर दिया जाता है, जो पारस्परिक आचरण को प्रभावित करता है।
- कानूनी और संस्थागत ढाँचे: कानून, विनियमन और संस्थागत आचार संहिता स्वीकार्य व्यवहार के लिये सीमाएँ प्रदान करते हैं।
- सार्वजनिक सेवा में, सिविल सेवा आचरण नियम जैसे नियमों का पालन स्पष्ट दिशा-निर्देश स्थापित करके नैतिक व्यवहार को सुदृढ़ करता है।
- परिस्थितिजन्य कारक और वातावरण: बाह्य कारक, जैसे सहकर्मी व्यवहार, कार्य संस्कृति और नेतृत्व, नैतिक व्यवहार को आकार देते हैं।
- पारदर्शिता और निष्ठा को महत्त्व देने वाला वातावरण कर्मचारियों को नैतिक रूप से कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- रोल मॉडल और मेंटरशिप: नेता और मेंटर नैतिक मानकों को प्रभावित करते हैं। जब वरिष्ठ सार्वजनिक अधिकारी ईमानदारी का प्रदर्शन करते हैं, तो यह एक सकारात्मक उदाहरण स्थापित करता है, दूसरों को नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिये प्रेरित करता है, जैसे- भारत के मेट्रो मैन ई. श्रीधरन ने उदाहरण प्रस्तुत किया।
सार्वजनिक सेवा में नैतिक आचरण को बढ़ावा देना:
- नैतिक प्रशिक्षण और मूल्य शिक्षा को शामिल करना: व्यक्तिगत मूल्यों के प्रभाव को समझना लोक प्रशासन में नैतिक प्रशिक्षण की आवश्यकता को उजागर करता है।
- उदाहरण: लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में भावी सिविल सेवकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में नैतिकता मॉड्यूल शामिल हैं। ये मॉड्यूल ईमानदारी, निष्पक्षता और जवाबदेही जैसे मूल्यों पर विशेष ध्यान देते हुए, अधिकारियों को उनके कार्यकाल में नैतिक दुविधाओं से निपटने के लिये सशक्त बनाते हैं।
- पारदर्शी और सहायक कार्य वातावरण को प्रोत्साहित करना: कार्यस्थल संस्कृति जैसे परिस्थितिजन्य कारक, यदि अच्छी तरह से प्रबंधित किये जाएँ तो नैतिक व्यवहार को बढ़ावा दे सकते हैं।
- सख्त जवाबदेही के साथ पारदर्शी वातावरण को बढ़ावा देकर, सार्वजनिक संगठन पक्षपात और भ्रष्टाचार जैसी अनैतिक प्रथाओं को कम कर सकते हैं।
- उदाहरण: भारत में मनाया जाने वाला सतर्कता जागरूकता सप्ताह पारदर्शिता को बढ़ावा देता है और लोक सेवकों को अपने दैनिक कार्यों में नैतिकता तथा ईमानदारी को अपनाने के लिये प्रेरित करता है। यह कार्यक्रम नैतिक आचरण, ज़िम्मेदारी और निष्पक्षता के महत्त्व को उजागर करता है, ताकि सरकारी कार्यों में भ्रष्टाचार को कम किया जा सके एवं जनता का विश्वास बना रहे।
- सशक्त कानूनी और संस्थागत सुरक्षा उपाय स्थापित करना: कानूनी ढाँचे अनैतिक व्यवहार को रोक सकते हैं।
- उदाहरण: सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) नागरिकों को सरकारी सूचना तक पहुँच प्रदान करके सार्वजनिक सेवा में पारदर्शिता को बढ़ावा देने में सहायक रहा है, जिससे भ्रष्ट आचरण पर अंकुश लगा है।
- नैतिक नेतृत्व और रोल मॉडलिंग का विकास: नैतिक नेतृत्व किसी संगठन के मूल्यों और संस्कृति को प्रभावित करता है।
- जो नेता नैतिक आचरण प्रदर्शित करते हैं, वे आदर्श उदाहरण के रूप में कार्य करते हैं तथा पूरे संगठन में नैतिक व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
- उदाहरण: पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ईमानदारी और सादगी की मिसाल कायम की।
- सार्वजनिक जवाबदेही और नागरिकों की भागीदारी बढ़ाना: जब लोक सेवक यह समझते हैं कि वे जनता के प्रति जवाबदेह हैं, तो उनके नैतिक रूप से कार्य करने की अधिक संभावना होती है।
- उदाहरण: सरकारी विभागों में नागरिक चार्टर सेवा वितरण के मानकों को निर्धारित करता है, जिससे नागरिकों को अधिकारियों के प्रति जवाबदेही तय करने का अवसर मिलता है। यह पारदर्शिता और प्रभावशीलता को बढ़ावा देता है, साथ ही प्रशासन में नैतिक व्यवहार को सुनिश्चित करता है। इन मानकों के माध्यम से नागरिक अपने अधिकारों को जान सकते हैं और सेवा के स्तर में सुधार की उम्मीद कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
इन निर्धारकों को समझते हुए, सार्वजनिक सेवा ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही की संस्कृति को बढ़ावा दे सकती है। नैतिकता प्रशिक्षण, पारदर्शी कार्य वातावरण, सशक्त कानूनी ढाँचा, नैतिक नेतृत्व और सार्वजनिक जवाबदेही के माध्यम से सार्वजनिक सेवा को सशक्त किया जा सकता है, जो बेहतर शासन तथा सार्वजनिक कल्याण की दिशा में सहायक होता है।