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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न: mRNA तकनीक पारंपरिक वैक्सीन दृष्टिकोण से किस प्रकार भिन्न है? उभरती वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के संदर्भ में इसके लाभ और सीमाओं का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    06 Nov, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    दृष्टिकोण: 

    • mRNA प्रौद्योगिकी और वैश्विक स्वास्थ्य, विशेष रूप से कोविड-19 के बाद, में इसकी भूमिका स्पष्ट करते हुए इसका परिचय दीजिये।
    • क्रियाविधि और उत्पादन के संदर्भ में mRNA टीकों की तुलना पारंपरिक टीकों से कीजिये।
    • mRNA प्रौद्योगिकी के प्रमुख लाभों पर प्रकाश डालिये।
    • भंडारण, लागत और दीर्घकालिक प्रतिरक्षा से संबंधित समस्याओं पर विचार कीजिये।
    • वर्तमान सीमाओं को स्वीकार करते हुए mRNA की क्षमता पर ज़ोर देते हुए निष्कर्ष निकालिये।

    परिचय: 

    मैसेंजर RNA (mRNA) वैक्सीनीकरण तकनीक, जिसे फाइज़र-बायोएनटेक और मॉडर्ना द्वारा कोविड-19 टीकों के रूप में सफलतापूर्वक लागू किया गया, हाल के वर्षों में व्यापक चर्चा एवं ध्यान का केंद्र बनी हुई है।

    • पारंपरिक टीकों के विपरीत, जो रोगजनकों के कमज़ोर या निष्क्रिय रूपों का उपयोग करते हैं, mRNA टीके सिंथेटिक आनुवंशिक सामग्री प्रदान करते हैं जो कोशिकाओं को विशिष्ट एंटीजन का उत्पादन करने का निर्देश देते हैं, जिससे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है। 

    मुख्य भाग: 

    mRNA तकनीक और पारंपरिक टीकों के बीच अंतर

    • कार्रवाई की प्रणाली:
      • पारंपरिक टीके: आमतौर पर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करने के लिये कमज़ोर या निष्क्रिय वायरस या प्रोटीन सबयूनिट का उपयोग किया जाता है। उदाहरणों में निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन और खसरा-कंठमाला-रूबेला (MMR) वैक्सीन शामिल हैं।
      • mRNA टीके: इसमें mRNA विशिष्ट एंटीजन (जैसे- कोविड-19 के लिये स्पाइक प्रोटीन) को एनकोड करता है, जिसे शरीर की कोशिकाएँ इन प्रोटीनों का उत्पादन करने के लिये उपयोग करती हैं, जिससे वास्तविक रोगजनक का उपयोग किये बिना प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है।
    • उत्पादन समय:
      • पारंपरिक टीकों के लिये लंबी प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है, जिसमें वायरस संवर्द्धन और प्रोटीन शुद्धिकरण शामिल है, जिसके विकसित होने में वर्षों लग जाते हैं।
      • mRNA टीकों को कुछ ही सप्ताहों में डिज़ाइन और निर्मित किया जा सकता है, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान हुआ था।

    वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में mRNA प्रौद्योगिकी के लाभ

    • उच्च प्रभावकारिता और लचीलापन: mRNA टीकों ने उच्च प्रभावकारिता दिखाई है, फाइज़र-बायोएनटेक ने प्रारंभिक रूप से कोविड-19 के खिलाफ 90% से अधिक प्रभावशीलता की रिपोर्ट दी है।
      • इसके अतिरिक्त, mRNA अनुक्रम में परिवर्तन करके mRNA प्लेटफॉर्म को विभिन्न रोगजनकों के लिये तेज़ी से अनुकूलित किया जा सकता है।
    • स्केलेबल विनिर्माण: mRNA टीकों के उत्पादन के लिये रोगाणु संवर्द्धन सुविधाओं की आवश्यकता नहीं होती, जिससे उत्पादन प्रक्रिया सरल हो जाती है और बायोरिएक्टरों तथा अन्य जटिल बुनियादी ढाँचे की लागत में कमी आती है।
    • जटिल उपचार योग्य बीमारियों को लक्षित करना: शोधकर्त्ता HIV, मलेरिया और कुछ प्रकार के कैंसर जैसे रोगों के लिये mRNA टीकों का विकास कर रहे हैं, जहाँ पारंपरिक उपचार विधियाँ सीमित साबित हुई हैं।

    वैश्विक स्वास्थ्य में mRNA प्रौद्योगिकी की सीमाएँ: 

    • भंडारण और वितरण चुनौतियाँ: mRNA टीके तापमान के प्रति संवेदनशील होते हैं और उन्हें अति-शीत भंडारण (फाइज़र के लिये -70 से -80 डिग्री सेल्सियस) की आवश्यकता होती है, जिससे उन क्षेत्रों में वितरण में कठिनाई होती है जहाँ कोल्ड-चेन बुनियादी ढाँचा सीमित है।
      • इन आवश्यकताओं के कारण, कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों को mRNA टीकों की आपूर्ति में देरी और आपूर्ति शृंखला से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
    • अल्पकालिक प्रतिरक्षा और बूस्टर की आवश्यकता: कुछ पारंपरिक टीकों के विपरीत जो दीर्घकालिक प्रतिरक्षा प्रदान करते हैं (जैसे- खसरा, कंठमाला और रूबेला (MMR) टीकाकरण), कोविड-19 के लिये वर्तमान MRNA टीकों में प्रतिरक्षा स्तर कुछ महीनों में घटता देखा गया, जिसके कारण बूस्टर डोज़ की आवश्यकता महसूस हुई। 
      • इससे दीर्घकालिक स्थिरता और सार्वजनिक अनुपालन के संबंध में चिंताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    • उच्च लागत और बौद्धिक संपदा संबंधी मुद्दे: mRNA टीकों की प्रारंभिक लागत पारंपरिक विकल्पों की तुलना में काफी अधिक थी, जिससे निम्न आय वाले क्षेत्रों में सामर्थ्य प्रभावित हुआ। 
      • बौद्धिक संपदा (IP) बाधाओं ने भी स्थानीय उत्पादन को प्रतिबंधित कर दिया है।
    • प्रतिकूल घटनाएँ और सार्वजनिक धारणा: हालाँकि दुर्लभ, प्रतिकूल घटनाओं (जैसे- mRNA कोविड-19 टीकाकरण के बाद युवा पुरुषों में मायोकार्डिटिस) के मामले सामने आए हैं, जो सार्वजनिक धारणा और टीकाकरण की दर को प्रभावित कर सकती हैं, विशेष रूप से जब सोशल मीडिया पर गलत जानकारी प्रसारित होती है।

    निष्कर्ष: 

    mRNA तकनीक आधुनिक वैक्सीनेशन के क्षेत्र में एक प्रमुख नवाचार के रूप में उभर कर सामने आई है, जो विभिन्न रोगों के लिये गति, अनुकूलन क्षमता और संभावित प्रभाव के दायरे में महत्त्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है। भंडारण समाधान और लागत में कमी के साथ, इस तकनीक में और अधिक प्रगति के साथ, mRNA टीके न केवल संक्रामक रोगों के खिलाफ, बल्कि कैंसर तथा रोगाणुरोधी प्रतिरोध जैसे क्षेत्रों में भी वैश्विक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को नई दिशा दे सकते हैं।

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