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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को उजागर करने और उनका समाधान करने में ब्रिक्स की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)

    05 Nov, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    दृष्टिकोण: 

    • ब्रिक्स का संक्षिप्त अवलोकन प्रदान करते हुए परिचय दीजिये।
    • वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को दूर करने में ब्रिक्स की भूमिका बताइये।
    • प्रमुख चुनौतियों पर गहराई से विचार कीजिये।
    • आगे का रास्ता सुझाइये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये। 

    परिचय: 

    ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात) वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रमुख मंच के रूप में उभरा है, जो अधिक न्यायसंगत विश्व व्यवस्था का समर्थन करता है और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के हितों को संबोधित करता है। 

    • वर्ष 2009 में स्थापित ब्रिक्स, पश्चिमी प्रभुत्व वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रणालियों के संतुलन के लिये और विकासशील देशों के आर्थिक लचीलेपन से लेकर सतत् विकास तक के महत्त्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करने के लिये कार्य करता है।

    मुख्य भाग:

    वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को दूर करने में ब्रिक्स की भूमिका: 

    • एक निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन: हाल ही में आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में, कज़ान घोषणा-पत्र में उभरती अर्थव्यवस्थाओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिये IMF में सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया तथा एक निष्पक्ष वित्तीय प्रणाली के लिये ब्रिक्स का समर्थन किया गया।
      • निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता की बात करते हुए, यह सुनिश्चित किया जाता है कि वैश्विक दक्षिण की चिंताओं पर विचार किया जाए।
    • बहुपक्षवाद और शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान को बढ़ावा देना: ब्रिक्स राष्ट्रीय संप्रभुता के सम्मान और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के पालन के आधार पर शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान को बढ़ावा देता है। 
      • कज़ान घोषणा-पत्र में, ब्रिक्स ने बहुपक्षवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से स्पष्ट किया, रूस-यूक्रेन संघर्ष के कूटनीतिक समाधान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और फिलिस्तीन में हो रहे मानवीय संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की।
    • डॉलर-विमुक्ति के माध्यम से वित्तीय स्वतंत्रता को मज़बूत बनाना: अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता की अस्थिरता को समझते हुए, ब्रिक्स ने स्वतंत्र वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के उद्देश्य से डॉलर-विमुक्ति की पहल को आगे बढ़ाया है। 
      • हाल ही में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में स्थानीय मुद्राओं में लेन-देन को बढ़ावा देने के लिये समझौते हुए और स्वर्ण-समर्थित ब्रिक्स डिजिटल मुद्रा पर चर्चा हुई। 
    • सतत् विकास और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना: ब्रिक्स उभरते देशों की आवश्यकताओं के अनुरूप सतत् विकास पहलों को प्राथमिकता देता है, जिसमें स्वास्थ्य, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा में सहयोगी कार्यक्रम शामिल हैं। 
      • कज़ान घोषणा-पत्र में ब्रिक्स अनाज एक्सचेंज की स्थापना का समर्थन किया गया, जिसका उद्देश्य कुशल अनाज व्यापार के माध्यम से खाद्य सुरक्षा में सुधार करना है। 
    • स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी पहलों के लिये समर्थन: ब्रिक्स ने स्वास्थ्य संबंधी पहलों को बढ़ावा दिया है, जिनसे वैश्विक दक्षिण को विशेष लाभ मिल रहा है, मुख्यतः महामारी से निपटने की तैयारियों और वैक्सीन अनुसंधान के क्षेत्र में।
      • ब्रिक्स अनुसंधान एवं विकास वैक्सीन केंद्र और संक्रामक रोगों के लिये एकीकृत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, स्वास्थ्य सुरक्षा पर ब्लॉक के सक्रिय दृष्टिकोण को उजागर करते हैं।
    • आर्थिक सहयोग और व्यापार विस्तार: ब्रिक्स सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने वाली पहलों के माध्यम से दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ाता है। 
      • ब्रिक्स पे परियोजना का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच निर्बाध लेन-देन को सुविधाजनक बनाना, लेन-देन लागत को कम करना और वैश्विक दक्षिण देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है।

    वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को संबोधित करने में प्रमुख चुनौतियाँ: 

    • आंतरिक मतभेद: विभिन्न राष्ट्रीय हित, विशेष रूप से चीन और भारत के बीच के मतभेद, कभी-कभी एक समेकित समूह के रूप में ब्रिक्स की प्रभावकारिता को कमज़ोर कर देते हैं। 
      • ये आंतरिक गतिशीलता कभी-कभी वैश्विक मुद्दों के समाधान में एकीकृत कार्रवाई में बाधा उत्पन्न करती है।
    • सीमित वैश्विक प्रभाव: अपनी क्षमता के बावजूद, ब्रिक्स में औपचारिक व्यापार और निवेश समझौतों का अभाव है।
      • इसका प्रभाव अक्सर आम सहमति बनाने और कूटनीतिक समर्थन पर निर्भर करता है, जो वैश्विक नीति पर इसके प्रभाव को सीमित कर सकता है।
    • सदस्यों के बीच आर्थिक असमानताएँ: ब्रिक्स सदस्यों, विशेषकर चीन और शेष देशों के बीच आर्थिक असमानताएँ, चीन के प्रभुत्व पर चिंता उत्पन्न करती हैं, जो वैश्विक दक्षिण के लिये एक वास्तविक प्रतिनिधि निकाय के रूप में इस समूह की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकती हैं।

    निष्कर्ष: 

    ब्रिक्स वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को प्रमुखता से उठाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच साबित हुआ है, जिसकी प्रमुख पहलें वित्तीय स्वतंत्रता, बहुपक्षीय सुधार और सतत् विकास पर केंद्रित हैं। ब्रिक्स को अपनी भूमिका को और सशक्त बनाने के लिये, उसे अपनी संस्थागत क्षमता को मज़बूत करना होगा, गहरे आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देना होगा और वैश्विक संघर्षों में खुद को एक विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में स्थापित करना होगा, जिससे वैश्विक शासन तथा वैश्विक दक्षिण की आकांक्षाओं पर इसका प्रभाव बढ़ेगा।

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