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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न: विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ऑटोमोबाइल उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों की तुलना भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं से कीजिये। (150 शब्द)

    04 Nov, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    दृष्टिकोण: 

    • ऑटोमोबाइल उद्योग के पूंजी-प्रधान क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुए उत्तर लिखिये।
    • विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ऑटोमोबाइल उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों पर विचार करते हुए तर्क प्रस्तुत कीजिये।
    • सामान्य कारकों पर प्रकाश डालिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये। 

    परिचय: 

    ऑटोमोबाइल उद्योग, एक पूंजी-प्रधान क्षेत्र है, जो इष्टतम स्थान के लिये कई कारकों पर निर्भर करता है। आर्थिक परिपक्वता, बुनियादी ढाँचे, श्रम गतिशीलता और बाज़ार विशेषताओं में भिन्नता के कारण, ये कारक विकसित अर्थव्यवस्थाओं तथा भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच महत्त्वपूर्ण भिन्नता उत्पन्न करते हैं।  

    मुख्य भाग: 

    विकसित अर्थव्यवस्थाएँ (उदाहरण- अमेरिका, जर्मनी, जापान)

    • ऐतिहासिक विकास और औद्योगिक विरासत: इन क्षेत्रों में ऑटोमोटिव विनिर्माण की एक दीर्घकालिक स्थापित परंपरा रही है।
      • उदाहरण के लिये, संयुक्त राज्य अमेरिका का डेट्रॉयट वैश्विक ऑटोमोटिव राजधानी बन गया, क्योंकि 1900 के दशक के प्रारंभ में फोर्ड और जनरल मोटर्स जैसी अग्रणी कंपनियों ने वहाँ अपना आधार स्थापित किया था।
      • मौजूदा औद्योगिक बुनियादी ढाँचे और कुशल कार्यबल की उपस्थिति पारंपरिक स्थानों में नए ऑटोमोटिव निवेश को प्रभावित करती रहती है।
    • उन्नत प्रौद्योगिकी और अनुसंधान केंद्र: अग्रणी अनुसंधान संस्थानों और प्रौद्योगिकी केंद्रों से निकटता महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 
      • उदाहरण के लिये, जर्मनी के म्यूनिख में बीएमडब्ल्यू की उत्पादन सुविधा को क्षेत्र के तकनीकी विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों के साथ सहयोग से लाभ मिलता है।
      • उन्नत रोबोटिक्स, स्वचालन और उद्योग 4.0 क्षमताओं की उपस्थिति, उच्च परिचालन लागत के बावजूद इन स्थानों को आकर्षक बनाती है।
    • उच्च कुशल श्रम बल: उच्च कुशल इंजीनियरों, तकनीशियनों और विशेषज्ञ श्रमिकों तक पहुँच एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
      • टोयोटा सिटी में जापान का ऑटोमोटिव क्लस्टर कई पीढ़ियों के कुशल श्रमिकों और उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रमों से लाभान्वित होता है।
      • इसमें श्रम लागत लाभ की अपेक्षा गुणवत्ता और परिशुद्धता पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
    • परिष्कृत आपूर्ति शृंखला नेटवर्क: स्थापित आपूर्तिकर्त्ता नेटवर्क और प्रभावी समय पर डिलीवरी प्रणाली स्थान चयन संबंधी निर्णयों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं।
      • उदाहरण के लिये, जर्मनी के बाडेन-वुर्टेमबर्ग में ऑटोमोटिव क्लस्टर में 2000 से अधिक विशिष्ट आपूर्तिकर्त्ता हैं जो प्रमुख निर्माताओं को सेवा प्रदान करते हैं।
      • उन्नत लॉजिस्टिक्स अवसंरचना और घटक निर्माताओं से निकटता परिचालन लागत को कम करती है।

    उभरती अर्थव्यवस्थाएँ (उदाहरण- भारत)

    • विस्तृत और बढ़ता हुआ घरेलू बाज़ार: एक विशाल संभावित बाज़ार की उपस्थिति एक महत्त्वपूर्ण कारक है। उदाहरण के लिये, मारुति सुज़ुकी ने भारत के बढ़ते मध्यवर्गीय बाज़ार का लाभ उठाने हेतु गुरुग्राम को अपना विनिर्माण केंद्र चुना।
      • बढ़ती व्यय योग्य आय और निजी वाहनों की बढ़ती मांग स्थान संबंधी निर्णय को प्रभावित करती है।
    • लागत लाभ: कम श्रम लागत एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिये, चेन्नई में हुंडई के प्लांट को विकसित देशों की तुलना में लगभग एक तिहाई लागत पर कुशल श्रम का लाभ मिलता है।
      • कम भूमि अधिग्रहण लागत और विभिन्न राज्य स्तरीय प्रोत्साहन निर्माताओं को आकर्षित करते हैं।
    • सरकारी नीतियाँ और प्रोत्साहन: विशेष आर्थिक क्षेत्र, कर लाभ और औद्योगिक गलियारे स्थान के चयन को प्रभावित करते हैं। 
      • दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे ने बुनियादी ढाँचे के विकास और नीतिगत समर्थन के कारण कई मोटर वाहन निर्माताओं को आकर्षित किया है।
      • विभिन्न प्रोत्साहनों के माध्यम से निवेश आकर्षित करने के लिये राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्द्धा स्थान संबंधी निर्णयों को आकार देती है।
    • निर्यात संभावना: निर्यात बाज़ारों के लिये रणनीतिक तटीय स्थान महत्त्वपूर्ण होते हैं। उदाहरण के लिये, चेन्नई में फोर्ड के पूर्व संयंत्र को आंशिक रूप से निर्यात के लिये बंदरगाह सुविधाओं के निकटता के कारण चुना गया था।
      • कई निर्माता लागत लाभ के कारण उभरती अर्थव्यवस्था वाले स्थानों को निर्यात केंद्र के रूप में उपयोग करते हैं।
    • बढ़ता आपूर्तिकर्त्ता पारिस्थितिकी तंत्र: स्थानीय ऑटो घटक निर्माताओं का विकास चयन स्थान संबंधी निर्णयों को प्रभावित करता है। 
      • भारत के पुणे में ऑटोमोटिव क्लस्टर निर्माताओं और आपूर्तिकर्त्ताओं दोनों की उपस्थिति के कारण विकसित हुआ है।
      • प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर कच्चे माल और बुनियादी घटकों की उपलब्धता एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
    • बुनियादी ढाँचे का विकास: परिवहन नेटवर्क और बिजली आपूर्ति में सुधार स्थान के चयन को प्रभावित करता है। 
      • भारत में स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग परियोजना ने आंतरिक स्थानों को ऑटोमोटिव विनिर्माण के लिये अधिक सुलभ बना दिया है।
      • हालाँकि बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता अभी भी विकसित अर्थव्यवस्थाओं से पीछे है।

    दोनों के लिये सामान्य कारक: 

    • बाज़ार पहुँच: लक्षित बाज़ारों की निकटता दोनों संदर्भों में महत्त्वपूर्ण बनी हुई है, हालाँकि बाज़ारों की प्रकृति भिन्न हो सकती है (जैसे- विकसित अर्थव्यवस्थाओं में प्रीमियम खंड और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बड़े पैमाने पर बाज़ार)।
    • ऊर्जा सुरक्षा: विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति और ऊर्जा लागत दोनों संदर्भों में स्थान निर्धारण को प्रभावित करती है, हालाँकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सामान्य तौर पर अधिक स्थिर बुनियादी ढाँचा होता है।

    निष्कर्ष: 

    विकसित और उभरती हुई दोनों अर्थव्यवस्थाएँ वैश्विक रुझानों, जैसे कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और टिकाऊ विनिर्माण प्रथाओं, के जवाब में अपनी रणनीतियों को लगातार अनुकूलित कर रही हैं, जो विश्व में ऑटोमोबाइल क्षेत्र की विकासशील प्रकृति को दर्शाती है।

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