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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र (UN) शांति स्थापना की अवधारणा, वैश्विक शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिये इसे "आवश्यक लेकिन अपूर्ण उपकरण" के रूप में कैसे प्रस्तुत करती है? इन शांति अभियानों को समर्थन देने में भारत की क्या भूमिका रही है? (250 शब्द)

    29 Oct, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    दृष्टिकोण:

    • संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना और उसके उद्देश्यों का संक्षिप्त परिचय दीजिये 
    • संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन की आवश्यकता और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भारत की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
    • शांति स्थापना मिशनों की प्रभावशीलता बढ़ाने के उपाय सुझाते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय: 

    संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना से तात्पर्य संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने या पुनर्स्थापित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा किये गए प्रयासों से है। पिछले सात दशकों में, 1 मिलियन से अधिक पुरुषों और महिलाओं ने 70 से अधिक शांति अभियानों में संयुक्त राष्ट्र के झंडे के नीचे अपनी सेवा दी है। 

    मुख्य भाग: 

     संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन की आवश्यकता और उपलब्धियाँ: 

    • संघर्ष समाधान: संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों ने कंबोडिया, अल साल्वाडोर, मोज़ाम्बिक और सिएरा लियोन जैसे देशों में संघर्षों को सफलतापूर्वक समाप्त किया है। इसके परिणामस्वरूप, वर्ष 1945 के बाद से अंतर्राज्यीय संघर्षों में 40% की कमी आई है।
    • मानवीय सहायता: शांति सैनिकों ने संघर्ष क्षेत्रों में 125 मिलियन से अधिक नागरिकों की रक्षा की है और शरणार्थियों की वापसी एवं पुनर्वास में सहायता करते हुए मानवीय सहायता पहुँचाने में मदद की है।
    • राज्य निर्माण: उन्होंने 75 से अधिक देशों में लोकतांत्रिक चुनावों का समर्थन किया है और सुरक्षा क्षेत्र में सुधार तथा प्रशिक्षण में सहायता के साथ-साथ कार्यशील सरकारी संस्थाओं की स्थापना में सहायता की है।

    संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन की कमियाँ और सीमाएँ: 

    • सत्ता की राजनीति और वीटो का दुरुपयोग: पी5 सदस्यों के बीच बढ़ते ध्रुवीकरण के कारण, विशेषकर महत्त्वपूर्ण परिस्थितियों में, वीटो शक्ति का बार-बार उपयोग किया जाने लगा है। 
      • वर्ष 2011 से अब तक रूस ने 19 बार अपने वीटो का प्रयोग किया है, जिसमें से 14 बार सीरिया पर केंद्रित थे तथा शेष वीटो यूक्रेन, स्रेब्रेनिका, यमन और वेनेजुएला पर केंद्रित थे।
    • संसाधन की कमी और वित्तपोषण की चुनौतियाँ: प्रमुख शक्तियों द्वारा वित्तपोषण में वृद्धि के लिये अनिच्छा के परिणामस्वरूप, मिशनों में कर्मचारियों की कमी हो गई है। 
      • उदाहरण के लिये, लेबनान में यूनीफिल बढ़ते तनाव के बावजूद सीमित संसाधनों के साथ काम कर रहा है। 
    • संघर्षों की बदलती प्रकृति: आधुनिक संघर्षों में जटिल शहरी युद्ध, साइबर तत्त्व और गैर-राज्यीय अभिनेता शामिल होते हैं, जिनसे निपटने के लिये पारंपरिक शांति व्यवस्था सक्षम नहीं है। 
      • गाजा संघर्ष इसका उदाहरण है, जहाँ पारंपरिक बफर-ज़ोन शांति स्थापना दृष्टिकोण शहरी युद्ध स्थितियों के लिये अपर्याप्त सिद्ध हो रहे हैं। 
    • विश्वसनीयता का संकट और अतीत की विफलताएँ: ऐतिहासिक विफलताएँ संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना की प्रतिष्ठा को लगातार नुकसान पहुँचा रही हैं। 
      • रवांडा और स्रेब्रेनिका में नरसंहार को रोकने में असमर्थता, साथ ही समकालीन संघर्षों में हाल की निष्क्रियता ने वैश्विक विश्वास को क्षीण कर दिया है।
    • उभरते क्षेत्रीय विकल्प: क्षेत्रीय संगठन, शांति स्थापना अभियानों में तेज़ी से अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। 
      • सोमालिया में, अफ्रीकी संघ के शांति अभियान (ATMIS) और क्षेत्रीय विवादों में अरब लीग की बढ़ती भूमिका क्षेत्रीय समाधानों की ओर बदलाव को दर्शाती है। 
    • सुधार हेतु राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव: संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में सुधार के लिये अनेक प्रस्तावों के बावजूद, जिनमें 2015 की हिप्पो रिपोर्ट की सिफारिशें भी शामिल हैं, कार्यान्वयन की गति धीमी बनी हुई है। 
      • भारत जैसे देशों को शामिल करने के लिये सुरक्षा परिषद का प्रस्तावित विस्तार  तथा वीटो शक्ति में सुधार अभी भी रुके हुए हैं।

    शांति मिशनों में भारत का योगदान:  

    • ऐतिहासिक नेतृत्व और कार्मिक योगदान: भारत संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का सबसे बड़ा संचयी योगदानकर्त्ता रहा है, जिसके 2,53,000 से अधिक सैनिक 49 से अधिक मिशनों में भाग ले चुके हैं। 
    • चिकित्सा विशेषज्ञता: भारत ने चिकित्सा विशेषज्ञों की दो टीमें गठित करने के लिये प्रयास तेज़ कर दिये हैं, जिन्हें कांगो और दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशनों के अस्पतालों में तैनात किया जाएगा।
    • विशिष्ट सैन्य क्षमताएँ: भारतीय विमानन टुकड़ी-I (IAC-I) को वर्ष 2003 में गोमा में शामिल किया गया था (जिसमें चार MI-25 हमलावर हेलीकॉप्टर और पाँच एमआई-17 उपयोगिता हेलीकॉप्टर शामिल थे) जो महत्त्वपूर्ण हवाई सहायता प्रदान करते थे। 
    • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: नई दिल्ली स्थित संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र (CUNPK) के पास 67,000 से अधिक कार्मिकों का ट्रैक रिकॉर्ड है, जिन्होंने 56 संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में से 37 में भाग लिया है। 
    • शांति स्थापना में महिलाएँ: भारत ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और अबेई में महिला संलग्नता दल (एफईटी) तैनात किये हैं (लाइबेरिया के बाद यह भारतीय महिलाओं का दूसरा सबसे बड़ा दल है)। 

    निष्कर्ष: 

    शांति अभियानों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये, संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद में संरचनात्मक सुधारों को लागू करना चाहिये, त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र बनाना चाहिये और स्पष्ट जनादेश स्थापित करना चाहिये। अनिवार्य फंडिंग और सार्वजनिक-निजी भागीदारी जैसे वित्तीय संवर्द्धन को AI तथा निगरानी का उपयोग करके तकनीकी आधुनिकीकरण के साथ प्राथमिकता दी जानी चाहिये।

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