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प्रश्न :
प्रश्न: "ऐप-आधारित गिग इकॉनमी के उदय से शहरी भारत में सामाजिक वर्गीकरण के नए स्वरूप उत्पन्न हुए हैं।" इस कथन का उभरती वर्ग संरचनाओं के संदर्भ में विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
28 Oct, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाजउत्तर :
दृष्टिकोण:
- ऐप-आधारित गिग इकॉनमी के उदय और समाज पर पड़े इसके समग्र प्रभाव का विश्लेषण कीजिये।
- शहरी भारत में सामाजिक वर्गीकरण के नए रूपों को प्रोत्साहित करने वाली गिग इकॉनमी के समर्थन में तर्क दीजिये।
- नए वर्गीकरण के बावजूद, गिग इकॉनमी आर्थिक सशक्तीकरण सुनिश्चित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तर्क सहित उत्तर दीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है कि भारत फ्लेक्सी-स्टाफ़िंग या गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिये एक अग्रणी देश के रूप में उभरा है।
- भारत में ऐप-आधारित गिग इकॉनमी का तेज़ी से विकास हो रहा है, जिसके वर्ष 2030 तक गिग कार्यबल के 23.5 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है, जिससे शहरी रोज़गार की रूपरेखा परिवर्तित हो गई है और सामाजिक वर्गीकरण के नए स्वरूप निर्मित हुए हैं।
- यद्यपि इसने नौकरियों तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाया है, लेकिन इसने अस्थिर आय, सामाजिक सुरक्षा की कमी और अवसरों तक असमान पहुँच के कारण असमानताओं में भी वृद्धि हुई है।
मुख्य भाग:
गिग इकॉनमी और शहरी भारत में सामाजिक वर्गीकरण के नए रूपों का सृजन:
- अनिश्चित 'गिग वर्कर' वर्ग का निर्माण: गिग वर्करों को आय अस्थिरता का सामना करना पड़ता है तथा वेतनभोगी कर्मचारियों के विपरीत, उन्हें स्वास्थ्य बीमा या सवेतन अवकाश जैसी सुविधाओं का अभाव रहता है।
- इससे एक "कामकाजी गरीब" वर्ग का निर्माण होता है, जो आर्थिक अस्थिरता के प्रति संवेदनशील होता है। उदाहरण के लिये, स्विगी और ज़ोमैटो के डिलीवरी पार्टनर मांग के आधार पर कमाते हैं, जिससे अप्रत्याशित आय होती है।
- वेतन असमानता और आर्थिक भेद्यता: गिग इकॉनमी ने "उच्च-कौशल" (जैसे- आईटी फ्रीलांसर) और "कम-कौशल" (जैसे- डिलीवरी ड्राइवर) श्रमिकों के बीच वेतन अंतर को बढ़ा दिया है।
- जबकि उच्च कौशल वाले श्रमिकों को अधिक स्वायत्तता और बेहतर वेतन मिलता है, वहीं निम्न कौशल वाले श्रमिकों को कम वेतन और सीमित सौदेबाज़ी शक्ति का सामना करना पड़ता है।
- सामाजिक सुरक्षा का अभाव और बढ़ती असमानता: वेतनभोगी श्रमिकों के विपरीत, गिग श्रमिकों के पास भविष्य निधि और पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है, जिसके परिणामस्वरूप, वे आर्थिक तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते हैं।
- कोविड-19 लॉकडाउन ने इस कमज़ोरी को उजागर कर दिया, जिससे कई गिग श्रमिकों को प्रतिपूरक सहायता के बिना आय से वंचित होना पड़ा।
- एल्गोरिदम नियंत्रण और शोषण: गिग श्रमिकों को एल्गोरिदम द्वारा प्रबंधित किया जाता है जो उनके कार्यक्रम, कार्य और आय को निर्धारित करते हैं।
- प्लेटफॉर्मों द्वारा नीतियों में बार-बार परिवर्तन से मनमाने ढंग से वेतन समायोजन और नौकरी की असुरक्षा हो सकती है, जिससे श्रमिक-नियोक्ता संबंधों में तनाव एवं शक्ति असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
- उदाहरणस्वरूप, एक 24 वर्षीय गिग कार्यकर्त्ता को यह शपथ दिलाई गई कि जब तक छह बड़े ट्रकों से सभी सामान उतार नहीं दिये जाते, तब तक वह शौचालय और पानी पीने हेतु ब्रेक नहीं लेगा।
- प्लेटफॉर्मों द्वारा नीतियों में बार-बार परिवर्तन से मनमाने ढंग से वेतन समायोजन और नौकरी की असुरक्षा हो सकती है, जिससे श्रमिक-नियोक्ता संबंधों में तनाव एवं शक्ति असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
- रेटिंग-आधारित वर्ग प्रणाली: 4.5+ रेटिंग वाले श्रमिकों को बेहतर समय स्लॉट मिलते हैं, जिससे उच्च रेटिंग वाले श्रमिकों का एक "कुलीन वर्ग" बनता है।
- बेहतर रेटिंग वाले श्रमिकों को प्रीमियम इलाकों तक पहुँच मिलती है और वे परिधीय क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक कमाते हैं।
- उदाहरणस्वरूप, दक्षिण मुंबई में खाद्य वितरण कर्मचारी उपनगरीय समकक्षों की तुलना में अधिक कमाते हैं।
नए वर्गीकरण के सृजन के बावजूद, गिग इकॉनमी निम्नलिखित रूप में महत्त्वपूर्ण रही है:
- आर्थिक अवसरों और सामाजिक गतिशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी तथा पारंपरिक कम वेतन वाले रोज़गार की तुलना में प्लेटफॉर्म श्रमिकों की औसत आय वर्ष 2023 में 48% बढ़ जाएगी।
- 28% महिलाओं के लिये लचीले कार्य विकल्प उपलब्ध हैं। (टास्कमो गिग इंडेक्स)
- नीति आयोग ने कहा कि 47% गिग कार्य मध्यम कुशल नौकरियों में करते हुए शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम बनाना।
- इसके अतिरिक्त, बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों को गिग इकॉनमी के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में त्वरित रोज़गार प्राप्त हुआ है।
- आय असमानता को दूर करने और बेरोज़गारी को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाना, जिससे भारत को वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुँचने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष:
ऐप-आधारित गिग इकॉनमी के उदय ने निस्संदेह शहरी भारत में नौकरी के अवसरों का विस्तार किया है, लेकिन इसने विभिन्न सामाजिक वर्गीकरण भी उत्पन्न किये हैं। इन उभरती असमानताओं को संबोधित करने के लिए सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के सख्त कार्यान्वयन और गिग इकॉनमी के भीतर निष्पक्ष श्रम प्रथाओं की आवश्यकता है।
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