प्रश्न: "शहरी जैवविविधता संरक्षण उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना कि वन्य क्षेत्रों का संरक्षण।" महानगरीय क्षेत्रों में जैवविविधता के संरक्षण के संदर्भ में भारत द्वारा की गई पहलों का मूल्यांकन कीजिये। सटीक उदाहरण द्वारा समझाइये। ( 250 शब्द)
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- पर्यावरण संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में शहरी जैवविविधता प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
- शहरी जैवविविधता प्रबंधन का महत्त्व बताइये।
- शहरी जैवविविधता संरक्षण के लिये भारत की पहलों पर प्रकाश डालिये।
- सफल उदाहरण और उनके प्रभाव का उल्लेख कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
नगरीय जैवविविधता प्रबंधन पर्यावरण संरक्षण का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है, विशेषकर तेज़ी से शहरीकरण करने वाले भारत जैसे देशों में। महानगरीय क्षेत्रों में जैवविविधता का संरक्षण उतना ही आवश्यक है जितना कि वन्य क्षेत्रों का संरक्षण करना।
मुख्य भाग:
नगरीय जैवविविधता प्रबंधन का महत्त्व:
- मानव कल्याण और प्रत्यक्ष प्रभाव: वर्तमान में वैश्विक जनसंख्या का 55% से अधिक हिस्सा शहरी/महानगरीय क्षेत्रों में रहता है, अनुमान है कि वर्ष 2050 तक यह आँकड़ा 68% तक पहुँच जाएगा।
- इस तीव्र शहरीकरण से मानव स्वास्थ्य पर विभिन्न तरीकों से प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
- नगरीय वृक्ष वायु में उपस्थित कणों को रोकने और गैस अवशोषण के माध्यम से गैसीय वायु प्रदूषण में सुधार करते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य लाभ भी उल्लेखनीय हैं; अध्ययनों से पता चलता है कि नगरीय हरित क्षेत्रों में निवासियों के बीच तनाव का स्तर कम होता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ और आर्थिक लाभ: नगरीय जैवविविधता अरबों डॉलर मूल्य की आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करती है, जिसमें नगरीय कृषि के लिये परागण, प्राकृतिक जल निस्पंदन और बाढ़ नियंत्रण शामिल हैं।
- उदाहरण के लिये, 125 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स को विश्व की सबसे बड़ी 'अपशिष्ट जल-आधारित जलकृषि प्रणाली' होने का अद्वितीय गौरव प्राप्त है, जहाँ मत्स्यपालन और कृषि के लिये मलजल का पुनर्चक्रण किया जाता है।
- शैक्षिक एवं अनुसंधान के अवसर: नगरीय जैवविविधता एक जीवंत प्रयोगशाला के रूप में कार्य करती है, जो शैक्षणिक एवं अनुसंधान के अवसर प्रदान करती है।
- यह पर्यावरण शिक्षा, नागरिक विज्ञान पहल तथा अनुकूलन एवं आघातसहनीयता पर अध्ययन को सुविधाजनक बनाता है।
- प्रजाति संरक्षण और अनुकूलन अध्ययन: नगरीय क्षेत्रों में प्रायः विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ प्रजातियाँ विशेष रूप से नगरीय वातावरण में ही पनपती/विकसित होती हैं एवं अन्य आवास के नष्ट होने से आश्रय पाती हैं।
- मुंबई के ठाणे क्रीक में प्रत्येक वर्ष हज़ारों फ्लेमिंगो आते हैं। इसके अलावा, मुंबई के संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में निवास कर रहे तेंदुए सफल नगरीय अनुकूलन का उदाहरण हैं।
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलता: नगरीय जैवविविधता भी जलवायु अनुकूलता को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाती है।
- यह प्राकृतिक शीतलन प्रभाव, बाढ़ शमन और कार्बन पृथक्करण प्रदान करती है। उदाहरण के लिये, चेन्नई के नगरीय मैंग्रोव चक्रवातों के दौरान तटीय क्षेत्रों की रक्षा करते हैं।
नगरीय जैवविविधता संरक्षण के लिये भारत की पहल:
सफल उदाहरण और उनका प्रभाव:
निष्कर्ष:
भारत की नगरीय जैवविविधता पहलों से ज्ञात होता है कि शहरों को महत्त्वपूर्ण जैवविविधता क्षेत्रों के रूप में मान्यता मिल रही है। मुंबई और बंगलुरु जैसे शहरों के सफल उदाहरण बताते हैं कि उचित नियोजन, सामुदायिक भागीदारी और संस्थागत समर्थन से विकास के साथ-साथ शहरी जैवविविधता संरक्षण हासिल किया जा सकता है।