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प्रश्न :
प्रश्न: लाल सागर संकट ने वैश्विक व्यापार और भारत के समुद्री हितों को किन कारकों द्वारा प्रभावित किया है? परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)
22 Oct, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
दृष्टिकोण:
- लाल सागर संकट का उल्लेख करते हुए उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
- लाल सागर संकट का वैश्विक व्यापार पर प्रभाव बताइये।
- लाल सागर संकट के भारत पर प्रभाव पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
महत्त्वपूर्ण समुद्री अवरोध बिंदु लाल सागर में हाल के वर्षों में तनाव में वृद्धि देखी गई है, यमन में हौथी विद्रोहियों ने वाणिज्यिक शिपिंग के लिये बहुत बड़ा खतरा उत्पन्न किया है। इस संकट का वैश्विक व्यापार और भारत के समुद्री हितों पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है।
मुख्य भाग:
वैश्विक व्यापार पर प्रभाव:
- आपूर्ति शृंखलाओं में व्यवधान: लाल सागर वैश्विक व्यापार के लिये एक महत्त्वपूर्ण मार्ग है, विशेष रूप से एशिया और यूरोप के बीच।
- वाणिज्यिक जहाज़ों पर हमलों के कारण विलंब हुआ है, परिवहन मार्ग बदलना पड़ा है, बीमा प्रीमियम में वृद्धि हुई है, आपूर्ति शृंखला बाधित हुई है और विश्व भर में व्यवसायों की लागत बढ़ गई है।
- जनवरी 2024 में Maersk जैसी प्रमुख शिपिंग कंपनियों ने अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप के आस-पास जहाज़ों का मार्ग बदल दिया, जिससे यात्रा का समय 10-14 दिन बढ़ गया।
- माल ढुलाई दरों में वृद्धि: शिपिंग के लिये बढ़ते जोखिम ने वाहकों को अधिक सतर्क उपाय अपनाने के लिये बाध्य किया है, जिसमें धीमी गति और बढ़ी हुई सुरक्षा शामिल है।
- इसके परिणामस्वरूप माल ढुलाई दरें बढ़ गई हैं, जिसका बोझ बढ़ी हुई कीमतों के रूप में उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है।
- इसके अलावा, सितंबर 2024 की शुरुआत से लाल सागर से होकर गुज़रने वाले जहाज़ का बीमा कराने की लागत दोगुनी से भी अधिक हो गई है।
- ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: लाल सागर एक प्रमुख तेल पारगमन मार्ग है और इस क्षेत्र में व्यवधान वैश्विक ऊर्जा बाज़ार को प्रभावित कर सकता है।
- कच्चे तेल या परिष्कृत उत्पाद ले जाने वाले टैंकरों पर हमले से आपूर्ति में कमी और मूल्य में अस्थिरता हो सकती है।
- जनवरी 2024 में तेल टैंकर ‘मार्लिन लुआंडा’ पर हमला हुआ, जिसके कारण कई प्रमुख तेल कंपनियों द्वारा शिपमेंट को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया।
भारत के समुद्री हितों पर प्रभाव:
- ऊर्जा सुरक्षा: भारत तेल आयात पर बहुत अधिक निर्भर है तथा इसका कच्चा तेल का एक महत्त्वपूर्ण भाग लाल सागर से होकर गुज़रता है।
- इस संकट के कारण आपूर्ति में व्यवधान और मूल्य में उतार-चढ़ाव के प्रति भारत की संवेदनशीलता बढ़ गई है।
- व्यापार मार्ग: लाल सागर भारत के लिये एक प्रमुख व्यापार मार्ग है, जो इसे यूरोप, अफ्रीका और मध्य पूर्व से जोड़ता है।
- इस क्षेत्र में व्यवधान से भारत के निर्यात और आयात, विशेषकर आवश्यक वस्तुओं के आयात पर प्रभाव पड़ सकता है।
- वैश्विक शिपिंग व्यवधानों के कारण अगस्त 2024 में भारतीय बंदरगाहों पर माल ढुलाई दरों में साल-दर-साल लगभग 70% की वृद्धि हुई है।
- सुरक्षा चिंताएँ: इस संकट ने भारत के लिये समुद्री सुरक्षा के महत्त्व को उजागर किया है।
- भारतीय नौसेना ने समुद्री डकैती विरोधी प्रयासों को तेज़ कर दिया है तथा अपतटीय गश्ती पोत INS सुमित्रा ने जनवरी 2024 में FV इमान पर समुद्री डकैती के प्रयास को सफलतापूर्वक विफल कर दिया।
निष्कर्ष:
लाल सागर संकट का वैश्विक व्यापार और भारत के समुद्री हितों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। आपूर्ति शृंखलाओं में व्यवधान, माल ढुलाई दरों में वृद्धि और ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चिंताओं ने विश्व भर के व्यवसायों एवं सरकारों के लिये महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। भारत ने अपनी नौसेना की उपस्थिति बढ़ाकर, कूटनीतिक प्रयासों में शामिल होकर और अपने व्यापार मार्गों में विविधता लाकर इसका प्रत्युत्तर दिया है।
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