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प्रश्न :
प्रश्न: अपक्षय की प्रक्रिया की अवधारणा का वर्णन कीजिये। विभिन्न अपक्षय प्रक्रियाएँ विविध भूदृश्यों और मृदा प्रकारों के निर्माण में किस प्रकार योगदान करती हैं? (250 शब्द)
21 Oct, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
दृष्टिकोण:
- अपक्षय को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
- प्रमुख अपक्षय प्रक्रियाओं को बताइये।
- भू-दृश्य निर्माण पर अपक्षय के प्रभाव की गहनता बताइये।
- मृदा निर्माण में प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
अपक्षय भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाओं के माध्यम से भू-पर्पटी पर या उसके समीप शैल/चट्टानों तथा खनिजों के विखंडन एवं वियोजन है। यह चट्टानों के न्यूनीकरण चक्र का एक महत्त्वपूर्ण घटक है जो भू-परिदृश्यों को आकार देने और मिट्टी निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मुख्य भाग:
प्रमुख अपक्षय प्रक्रियाएँ:
- भौतिक (यांत्रिक) अपक्षय: भौतिक अपक्षय में शैलों की संरचना में परिवर्तन किये बिना उनका विखंडन होता है।
- प्रमुख प्रक्रियाओं में तुषार वेजिंग (शैलों के रंध्रों एवं दरारों में बार-बार हिमकरण एवं पिघलन), तापीय विस्तारण (गर्म होना और ठंडा होना), लवण अपक्षय (नमक क्रिस्टल दबाव) और अपशल्कन (जलयोजन के कारण खनिजों के आयतन में परिवर्तन/ परतों का हटना) शामिल हैं।
- उदाहरण: योसेमाइट नेशनल पार्क, संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे स्थानों में एक्सफोलियेशन डोम
- रासायनिक अपक्षय: रासायनिक अपक्षय से शैल के खनिज परिवर्तित हो जाते हैं, जिसमें आमतौर पर जल शामिल होता है।
- प्रमुख प्रक्रियाओं में हाइड्रोलिसिस/जलअपघटन (जल अणु आयनों को प्रतिस्थापित करता है), ऑक्सीकरण (ऑक्सीज़न द्वारा अवयवों का अपक्षय), कार्बोनीकरण (कार्बोनिक अम्ल द्वारा खनिजों, विशेष रूप से चूना पत्थर के साथ अभिक्रिया, विलयन) और जलयोजन (खनिज जल को अवशोषित कर विस्तारित हो जाते हैं) शामिल हैं।
- उदाहरण: तीव्र ऑक्सीकरण के कारण उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली लाल लैटेराइट मिट्टी
- जैविक अपक्षय: जैविक अपक्षय में जीवों द्वारा शैलों का विखंडन शामिल है। मुख्य प्रक्रियाओं में जड़ द्वारा अपक्षय क्रिया (पौधों की जड़ें दरारों को चौड़ा करती हैं), कार्बनिक अम्ल (सड़ने वाले पौधों एवं जीवों के कारण खनिजों का क्षरण, घुलन) और लाइकेन/मॉस वृद्धि (शैल सतह का विखंडन) शामिल हैं।
- उदाहरण: समशीतोष्ण और आर्कटिक क्षेत्रों में लाइकेन से आच्छादित चट्टानें
भू-दृश्य निर्माण पर प्रभाव:
- विभेदक अपक्षय: कठोर चट्टानें अपक्षय का प्रतिरोध करती हैं तथा कटक या शिखर का निर्माण करती हैं।
- नरम चट्टानें तेज़ी से अपक्षयित होती हैं, जिससे घाटियाँ या खड्ड बनते हैं।
- कार्स्ट स्थलाकृति: चूना पत्थर जैसी घुलनशील शैलों के रासायनिक अपक्षय से निर्मित।
- इसमें सिंकहोल, गुफाएँ और भूमिगत जल निकासी तंत्र शामिल हैं। (थाईलैंड में थाम लुआंग गुफा तंत्र)
- मरुभूमि परिदृश्य: अत्यधिक तापमान परिवर्तन के कारण भौतिक अपक्षय से प्रभावित।
- मशरूम चट्टानें और पेडेस्टल चट्टानें जैसी संरचनाएँ विभिन्न अपक्षय के कारण बनती हैं।
- तटीय भू-आकृतियाँ: अपक्षय के साथ मिलकर लहरों की क्रिया समुद्री गुंबद और ढेरों जैसी आकृतियाँ बनाती है। (ग्रेट ओशन रोड के समीप ट्वेल्व अपोज़ल्स, ऑस्ट्रेलिया)
मृदा निर्माण पर प्रभाव:
- अवशिष्ट मृदा: मृदा निर्माण में मूल शैल एक निष्क्रिय नियंत्रक कारक है। मूल शैल कोई भी स्वस्थाने या उसी स्थान पर अपक्षयित शैल मलवा (अवशिष्ट मृदा) हो सकती है। विशेषताएँ- मूल चट्टान और स्थानीय जलवायु पर निर्भर करती हैं। (टेरा रोसा मिट्टी)
- स्थानांतरित मिट्टी: पवन, जल या बर्फ द्वारा लाए गए निक्षेप (परिवहनकृत मृदा) से निर्मित।
- मृदा संस्तर: अपक्षय की तीव्रता मृदा परतों (संस्तरों) के विकास को प्रभावित करती है।
- अधिक तीव्र अपक्षय के कारण मृदा की संरचना अधिक जटिल एवं अधिक विकसित हो जाती है।
- मृदा गठन और संरचना: भौतिक अपक्षय मृदा कण आकार को प्रभावित करता है।
- रासायनिक अपक्षय से खनिज संरचना और पोषक तत्त्वों की उपलब्धता प्रभावित होती है। (तीव्र रासायनिक अपक्षय के कारण आर्द्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मिट्टी समृद्ध होती है)
निष्कर्ष:
अपक्षय प्रक्रियाएँ भू-पर्पटी को आकार देने और विविध भू-परिदृश्य एवं मृदा के प्रकार के गठन में मौलिक हैं। विश्व भर में पाए जाने वाले भू-आकृतियों और मृदा संसाधनों की विशाल शृंखला, स्थलाकृतिक विशेषताओं, जलवायवीय एवं समय के साथ भौतिक, रासायनिक व जैविक अपक्षय की अंतःक्रिया का परिणाम है।
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