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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न: सिंथेटिक बायोलॉजी की अवधारणा को समझाइये। यह चिकित्सा, कृषि और पर्यावरण सुधार हेतु किस तरह आवश्यक परिवर्तन कर सकता है और इससे कौन-सी नैतिक चिंताएँ उत्पन्न होती हैं? (150 शब्द)

    16 Oct, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    दृष्टिकोण: 

    • सिंथेटिक बायोलॉजी की अवधारणा को परिभाषित करते हुए परिचय दीजिये। 
    • चिकित्सा, कृषि और पर्यावरण सुधार में इसके संभावित क्रांतिकारी अनुप्रयोग बताइये। 
    • इससे संबंधित नैतिक चिंताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिये। 
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।  

    परिचय: 

    सिंथेटिक बायोलॉजी एक अंतःविषय क्षेत्र है जो जीव विज्ञान, अभियांत्रिकी, आनुवंशिकी, रसायन विज्ञान और कंप्यूटर विज्ञान के मध्य संबंध स्थापित करता है। इसमें जीवों को नई क्षमताएँ प्रदान करने के लिये उन्हें इंजीनियरिंग के तहत करके उपयोगी उद्देश्यों के लिये पुनः डिज़ाइन करना शामिल है। 

    इसकी मूल अवधारणा यह है कि आनुवंशिक अनुक्रमों को विनिमेय जैविक भागों के रूप में माना जाए, जिन्हें कृत्रिम रूप से डिज़ाइन और संयोजित किया जा सकता है, ताकि नई जैविक प्रणालियों का निर्माण किया जा सके या मौजूदा प्रणालियों को संशोधित किया जा सके।

    मुख्य भाग: 

    संभावित क्रांतिकारी अनुप्रयोग:

    • औषधि:
      • इंजीनियर्ड सेल थेरेपीज़: विशिष्ट रोगों को लक्षित करने के लिये कस्टम-डिज़ाइन की गई कोशिकाएँ।
        • उदाहरण: कैंसर के उपचार के लिये CAR-T सेल थेरेपी एक प्रकार की सेलुलर इम्यूनोथेरेपी है जो मरीज़ की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग करके T-कोशिकाओं में परिवर्तन करती है ताकि कैंसर कोशिकाओं को निरस्त करने में सक्षम हो सकें।
      • सिंथेटिक एंटीबायोटिक्स: एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया से निपटने के लिये नए एंटीबायोटिक्स का डिज़ाइन तैयार करना। 
        • उदाहरण: MIT के शोधकर्त्ताओं ने हैलिसिन नामक एक दवा की पहचान करने के लिये मशीन-लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग किया, जो बैक्टीरिया की कई प्रजातियों को मारता है।
      • व्यक्तिगत चिकित्सा: किसी व्यक्ति की आनुवंशिक संरचना के आधार पर उपचार तैयार करना। 
        • उदाहरण: आनुवंशिक विकार वाले रोगियों के लिये विशिष्ट प्रोटीन या एंज़ाइम का संश्लेषण करना।
    • कृषि:
      • फसल का संवर्द्धन/अनुवांशिक रूपांतरण: अधिक उपज, पोषक तत्त्व या कीटों और पर्यावरणीय तनावों के प्रति प्रतिरोध के लिये फसलों की इंजीनियरिंग। 
        • उदाहरण: गोल्डन राइस, जिसे विकासशील देशों में विटामिन A की कमी को दूर करने के लिये बीटा-कैरोटीन के उत्पादन हेतु आनुवंशिक रूप से संशोधित किया गया है।
      • संधारणीय जैव ईंधन: जैव ईंधन का कुशलतापूर्वक उत्पादन करने के लिये सूक्ष्मजीवों को डिज़ाइन करना। 
        • उदाहरण: रूपांतरित शैवाल या बैक्टीरिया जो सूर्य के प्रकाश और CO2 को सीधे जैव ईंधन में परिवर्तित कर सकते हैं।    
      • परिशुद्ध किण्वन: पशुओं के बिना पशु प्रोटीन का उत्पादन। 
        • उदाहरण: परफेक्ट डे के पशु-मुक्त डेयरी प्रोटीन, जो इंजीनियर्ड यीस्ट द्वारा उत्पादित होते हैं।
    • पर्यावरण सुधार:
      • जैवउपचार (बायोरिमेडिएशन): प्रदूषकों को साफ करने के लिये रूपांतरित सूक्ष्मजीव। 
        • उदाहरण: स्यूडोमोनास एरुगिनोसा जो पारे को गैर विषाक्त रूपों में परिवर्तित कर सकता है।
      • जैवनिम्नीकरणीय सामग्री: रूपांतरित/इंजीनियर्ड बैक्टीरिया का उपयोग करके नए जैवनिम्नीकरणीय प्लास्टिक का विकास करना। 
        • उदाहरण: बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित PHA (पॉलीहाइड्रॉक्सीएल्कानोएट) प्लास्टिक, जो पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है।

    यद्यपि सिंथेटिक बायोलॉजी (संश्लेषित जीवविज्ञान) में अपार संभावनाताएँ हैं, फिर भी यह महत्त्वपूर्ण नैतिक चिंताएँ भी उत्पन्न करता है:

    • जैव सुरक्षा: रूपांतरित जीवों के पर्यावरण में समावेश से और अवांछनीय पारिस्थितिक परिणाम उत्पन्न होने का जोखिम। 
      • उदाहरण: जीन ड्राइव प्रौद्योगिकी के बारे में चिंताएँ जो संभावित रूप से संपूर्ण वन्य आबादी को बदल सकती हैं।
    • जैव सुरक्षा: जैव आतंकवाद या जैविक हथियारों के निर्माण के लिये सिंथेटिक बायोलॉजी का संभावित दुरुपयोग। 
      • उदाहरण: विलुप्त वायरस के पुनर्निर्माण या मौजूदा रोगजनकों की विषाक्तता को बढ़ाने की संभावना।
    • शक्तिशाली निर्माता की भूमिका: मनुष्य द्वारा निर्माता की भूमिका निभाने के संदर्भ में नैतिक और धार्मिक चिंताएँ। 
      • उदाहरण: CRISPR तकनीक का प्रयोग करके मानव भ्रूण को संशोधित करने पर विचार।

    निष्कर्ष: 

    सिंथेटिक बायोलॉजी स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण में वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिये एक प्रभावशाली टूलसेट प्रस्तुत करती है। हालाँकि इसकी परिवर्तनकारी क्षमता के साथ जटिल नैतिक अवधारणाएँ भी जुडी हैं, जिनके लिये सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श और सुदृढ़ नियामक तंत्र की आवश्यकता है।

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