शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में शामिल होने के भारत के सामरिक उद्देश्यों का विश्लेषण कीजिये। इसकी सदस्यता ने क्षेत्रीय भू-राजनीति को कैसे प्रभावित किया है? (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- शंघाई सहयोग संगठन में भारत की सदस्यता पर प्रकाश डालते हुए उत्तर भी भूमिका लिखिये।
- SCO में शामिल होने के भारत के उद्देश्यों और क्षेत्रीय भू-राजनीति पर इसके प्रभावों का विश्लेषण कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
वर्ष 2017 में प्राप्त शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में भारत की सदस्यता एक सामरिक कदम है, जो क्षेत्रीय संपर्क को सुदृढ़ करने और सुरक्षा सहयोग में संवर्द्धन के इसके व्यापक उद्देश्यों को प्रदर्शित करता है।
- मुख्य रूप से चीन और रूस द्वारा संचालित SCO, भारत को बहुध्रुवीय ढाँचे में अपने लक्ष्यों को अग्रेषित करने तथा मध्य एशिया के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में प्रभाव डालने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
मुख्य भाग:
SCO में भारत का सामरिक उद्देश्य और क्षेत्रीय भू-राजनीति पर इसका प्रभाव:
आतंकवाद निरोध और सुरक्षा सहयोग
- उद्देश्य: आतंकवाद, कट्टरपंथ और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे क्षेत्रीय खतरों से निपटने के लिये सुरक्षा पहलों पर सहयोग करना।
- प्रभाव: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर आतंकवाद के प्रत्यक्ष प्रभाव को देखते हुए, विशेष रूप से पाकिस्तान से, भारत खुफिया जानकारी साझा करने और आतंकवाद-रोधी समन्वय के लिये SCO के क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढाँचे (RATS) का उपयोग करता है।
- SCO शिखर सम्मेलन 2024 से पूर्व कराची हवाई अड्डे पर विस्फोट, आतंकवाद के विरूद्ध सुदृढ़ SCO सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और भारत के हितों के लिये एक प्रमुख प्राथमिकता है।
- भारत SCO के "शांति मिशन" संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभ्यास में भाग लेता है, जो व्यावहारिक सुरक्षा सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक एकीकरण
- उद्देश्य: भारत संसाधन संपन्न मध्य एशियाई देशों से ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करना तथा अपने ऊर्जा आयात में विविधता प्राप्त करना चाहता है।
- SCO ऊर्जा समझौतों पर वार्त्ता करने और तापी (तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत) पाइपलाइन जैसी आधारिक संरचना परियोजनाओं में भागीदारी के लिये एक रूपरेखा प्रदान करता है।
- प्रभाव: भारत की SCO सदस्यता से ऊर्जा संसाधनों और क्षेत्रीय आधारिक संरचना तक उसकी अभिगम्यता में सुधार हुआ है।
- भू-राजनीतिक चुनौतियों के कारण तापी जैसे पहल में विलंब होने के बावजूद, SCO बैठकों में भारत की भागीदारी ने वैकल्पिक मार्गों पर चर्चा को सुगम बनाया है।
- चाबहार पत्तन का विस्तार और उसे अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे से जोड़ना जैसे हालिया कार्य भारत की ऊर्जा और व्यापार सुरक्षा को संवर्द्धित करने में SCO की भूमिका को प्रदर्शित करते हैं।
चीन और रूस के साथ प्रभाव संतुलन
- उद्देश्य: भारत का लक्ष्य SCO में चीन और रूस के साथ सामरिक संतुलन बनाए रखना है, विशेष रूप से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से मध्य एशिया में चीन की सुदृढ़ उपस्थिति को देखते हुए।
- प्रभाव: भारत ने क्षेत्रीय अखंडता की वकालत करने के लिये SCO मंच का लाभ उठाया है और SCO के भीतर BRI-संबंधित परियोजनाओं में शामिल होने से परहेज़ किया है, जो इसके क्षेत्रीय सामरिक हितों को सुदृढ़ करते हुए प्रतिस्पर्द्धी दबावों से निपटने के प्रयासों को प्रदर्शित करता है।
अफगानिस्तान के साथ राजनय संलग्नतता और क्षेत्रीय स्थिरता का उद्यापन
- उद्देश्य: अफगानिस्तान से संबंधित क्षेत्रीय अस्थिरता के मद्देनजर, भारत SCO को तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद वार्ता और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये एक प्रमुख मंच के रूप में देखता है।
- भारत पड़ोसी क्षेत्रों के लिये खतरा बने आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और शरणार्थियों के प्रवाह को कम करने के लिये एक स्थिर, समावेशी अफगान सरकार की वकालत करता है।
- प्रभाव: SCO-अफगानिस्तान संपर्क समूह में इसकी सक्रिय भागीदारी क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग की वकालत करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है ।
आर्थिक साझेदारी और व्यापार विस्तार
- उद्देश्य: भारत मध्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार संबंधों का संवर्द्धन तथा निवेश के अवसरों का अन्वेषण करना चाहता है।
- प्रभाव: SCO में भारत की भागीदारी से व्यापार चर्चाएँ संभव हुई हैं, यद्यपि मध्य एशिया में आर्थिक उपस्थिति के मामले में यह अभी भी चीन से पीछे है।
- फिर भी, भारत ने मध्य एशियाई देशों के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सूचना-प्रौद्योगिकी पर समझौतों को औपचारिक बनाने के लिये SCO का लाभ उठाया है।
- सूचना-प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उज्बेकिस्तान के साथ हाल में हुए समझौता ज्ञापन इस बात का उदाहरण हैं कि SCO किस प्रकार विकास परियोजनाओं के माध्यम से आर्थिक सहयोग और सद्भावना के वर्द्धन हेतु एक राजनय शृंखला के रूप में कार्य करता है।
निष्कर्ष:
भारत की SCO में सदस्यता आतंकवाद से लड़ने, ऊर्जा संसाधनों को सुरक्षित करने, क्षेत्रीय शक्ति गतिशीलता को संतुलित करने और मध्य एशिया के साथ संपर्क संवर्द्धन के अपने सामरिक लक्ष्यों के अनुरूप है। SCO के माध्यम से, भारत प्रभावी रूप से मध्य एशिया के भू-राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में एक प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में स्वयं को स्थापित करता है साथ ही एक सहयोगी ढाँचे के अंतर्गत अपने हितों को भी अवलंबित करता है।