प्रश्न :
राजीव एक प्रतिष्ठित सरकारी अनुसंधान प्रयोगशाला में वरिष्ठ अभियंता हैं, जो संशोधित मौसम पूर्वानुमान और आपदा पूर्वानुमान के लिये अत्याधुनिक उपग्रह प्रौद्योगिकी के विकास का निरीक्षण करते हैं। परियोजना प्रमुख के रूप में, वह घटकों और सामग्रियों के चयन के लिये ज़िम्मेदार हैं। आपूर्तिकर्ता प्रस्तावों की समीक्षा करते समय, राजीव ने देखा कि उनकी बहन के संघर्षरत स्टार्टअप ने अभिनव समाधानों के साथ एक प्रतिस्पर्द्धी बोली प्रस्तुत की है जो उपग्रह के प्रदर्शन को संवर्द्धित कर सकती है।
राजीव को पता है कि अपनी बहन की कंपनी को अनुबंध देने से वह दिवालिया होने से बच सकती है, परंतु इससे स्वजन-पक्षपात का प्रश्न भी उठ सकता हैं और चयन प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा से समझौता हो सकता है। प्रयोगशाला प्रबंधन राजीव पर पूरा विश्वास करता है जो उसके निर्णय का समर्थन करेगा। अब वह अपने पेशेवर दायित्वों और अपनी बहन के व्यवसाय में सहायता करने की इच्छा के बीच दुविधा का सामना कर रहा है, यह जानते हुए कि उसके निर्णय का परियोजना की सफलता, उसके व्यक्तिगत संबंधों और सरकारी अनुबंध के नीतिपरक मानकों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
1. इस स्थिति में कौन-कौन से हितधारक शामिल हैं?
2. इस मामले में नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
3. इस मुद्दे के समाधान हेतु राजीव की क्रियाविधि क्या होनी चाहिये?
04 Oct, 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
उत्तर :
परिचय:
उपग्रह प्रौद्योगिकी विकास के प्रभारी वरिष्ठ अभियंता राजीव को अपनी बहन के संघर्षरत स्टार्टअप को अनुबंध देने के बीच नैतिक दुविधा का सामना करना पड़ रहा है, जो परियोजना को तो संवर्द्धित कर सकता है परंतु स्वजन-पक्षपात संबंधी चिंताएँ बढ़ा सकता है। उसे अपने पेशेवर कर्तव्यों, व्यक्तिगत संबंधों और सरकारी अनुबंध की सत्यनिष्ठता के मध्य संतुलन स्थापित करना होगा।
मुख्य भाग:
1. इस स्थिति में कौन-कौन से हितधारक शामिल हैं?
हितधारक
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परिस्थिति में रुचि/भूमिका
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राजीव (वरिष्ठ अभियंता)
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व्यावसायिक सत्यनिष्ठा को व्यक्तिगत निष्ठा के साथ संतुलन की स्थापना; अनुबंध पर नैतिक निर्णयन का कार्य
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बहन का स्टार्टअप
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एक संघर्षरत कंपनी जो अनुबंध से लाभांवित हो सकती है, जिससे उसका अस्तित्व तो सुनिश्चित हो सकता है, परंतु उसे स्वजन-पक्षपात के दावों का भी सामना करना पड़ सकता है।
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अनुसंधान प्रयोगशाला
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उच्च गुणवत्ता वाले उपग्रह घटकों के लिये पारदर्शी, निष्पक्ष चयन प्रक्रिया सुनिश्चित करने हेतु राजीव पर विश्वास किया जाता है।
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सरकार (निधियन एजेंसी)
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करदाताओं के धन का दक्ष, निष्पक्ष उपयोग तथा सार्वजनिक अधिप्राप्ति में नैतिक दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करना।
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अन्य आपूर्तिकर्ता
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अनुबंध के लिये प्रतिस्पर्द्धा, योग्यता और नवाचार के आधार पर निष्पक्ष मूल्यांकन की अपेक्षा।
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परियोजना टीम/सहकर्मी
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परियोजना की सत्यनिष्ठता और हितों के टकराव के बिना सफल परिणाम सुनिश्चित करने में रुचि।
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सार्वजनिक/करदाता
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सार्वजनिक संसाधनों के नैतिक उपयोग, सरकारी अनुबंधों में पारदर्शिता और उपग्रह परियोजना की सफलता की अपेक्षा।
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राजीव का परिवार
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राजीव से उनकी बहन के स्टार्टअप को सहयोग देने की व्यक्तिगत अपेक्षाएँ हो सकती हैं, जिसका उनके परिवार पर प्रभाव पड़ सकता है।
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अंतिम उपयोगकर्ता (जैसे, आपदा राहत दल, नागरिक)
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जीवन और संपत्ति को खतरे में डालकर सटीक मौसम पूर्वानुमान और आपदा की भविष्यवाणी के लिये उपग्रह पर निर्भर रहना पड़ता है।
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2. इस मामले में नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
- हितों का टकराव बनाम व्यावसायिक कर्तव्य: राजीव को हितों के टकराव की एक पारंपरिक स्थिति का सामना करना पड़ता है, जहाँ उसका व्यक्तिगत संबंध (बहन की कंपनी) उसकी व्यावसायिक ज़िम्मेदारियों के साथ टकराता है।
- निर्णयन में निष्पक्षता का नीतिपरक सिद्धांत दांव पर है। राजीव को अपने परिवार के संभावित लाभों के विरुद्ध सार्वजनिक हित के लिये वस्तुनिष्ठ निर्णयन के अपने कर्तव्य को संतुलित करना होगा।
- स्वजन-पक्षपात बनाम योग्यता आधारित चयन: स्वजन-पक्षपात की दुविधा तब उत्पन्न होती है जब राजीव अपनी बहन की कंपनी को लाभ पहुँचाने पर विचार करता है।
- यह निष्पक्षता के नीतिपरक सिद्धांत और सरकारी अनुबंध में आमतौर पर अपेक्षित योग्यता-आधारित चयन प्रक्रिया के साथ टकरा सकता है।
- राजीव को अपनी बहन की कंपनी द्वारा प्रस्तुत नवोन्मेषी समाधानों के विरुद्ध चयन प्रक्रिया की सत्यनिष्ठता से संभावित समझौता करने के नैतिक निहितार्थों पर विचार करना होगा।
- पारदर्शिता बनाम गोपनीयता: राजीव पारदर्शिता को लेकर दुविधा का सामना कर रहे हैं। सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता के नीतिपरक सिद्धांत का सुझाव है कि उन्हें बोली लगाने वालों में से एक के साथ अपने संबंधों का प्रकट करना चाहिये।
- हालाँकि, यह बोली प्रक्रिया में गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता के साथ टकराव उत्पन्न करता है और इससे उनकी बहन की कंपनी को अनुचित रूप से नुकसान हो सकता है।
- उपयोगितावादी नैतिकता बनाम कर्तव्यपरायण नैतिकता: उपयोगितावादी दृष्टिकोण से, राजीव अपनी बहन की कंपनी को चुनने को उचित ठहरा सकते हैं यदि वह वास्तव में सर्वोत्तम समाधान प्रदान करती है, जिससे संभावित रूप से बेहतर मौसम पूर्वानुमान और आपदा भविष्यवाणी (अधिकतम संख्या के लिये सबसे अधिक लाभ) हो सकती है।
- हालाँकि, कर्तव्य-नैतिकता, परिणामों की परवाह किये बिना नियमों और कर्तव्यों का पालन करने के महत्त्व पर बल देती है और सुझाव देती है कि राजीव को स्वयं को इस निर्णय से पृथक कर लेना चाहिये।
- व्यक्तिगत निष्ठा बनाम व्यावसायिक सत्यनिष्ठता राजीव की अपनी बहन के प्रति निष्ठा और उसके व्यवसाय में सहायता करने की इच्छा, उसकी व्यावसायिक निष्ठा और अपनी भूमिका के प्रति प्रतिबद्धता के साथ टकराती है।
- इससे पारिवारिक निष्ठा के गुण को पेशेवर मानकों के संधारण और सरकारी कार्य में अनुचितता की उपस्थिति से बचने के नीतिपरक सिद्धांत के विरुद्ध खड़ा कर दिया जाता है।
- अल्पकालिक लाभ बनाम दीर्घकालिक परिणाम: अल्पकालिक विचार बनाम दीर्घकालिक परिणाम की दुविधा स्पष्ट है।
- यद्यपि अपनी बहन की कंपनी को अनुबंध देने से तात्कालिक समस्याएँ हल हो सकती हैं (कंपनी को दिवालियापन से बचाया जा सकता है, संभावित रूप से नवीन प्रौद्योगिकी प्राप्त की जा सकती है), परंतु इससे राजीव के करियर, प्रयोगशाला की प्रतिष्ठा और सरकारी अनुबंध प्रक्रियाओं में जनता के विश्वास पर दीर्घकालिक नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
- नैतिक स्वार्थ बनाम सामाजिक उत्तरदायित्व: राजीव नैतिक स्वार्थ पर विचार कर सकते हैं, एक लोक सेवक के रूप में अपने व्यापक सामाजिक उत्तरदायित्व के विरुद्ध अपने स्वयं के हितों (अपनी बहन की सहायता करना, संभवतः उसकी सफलता से लाभ उठाना) को प्राथमिकता देते हैं।
- यह दुविधा व्यक्तिगत लाभ के बिना किसी पूर्वाग्रह के सार्वजनिक हित की सेवा करने के नैतिक दायित्व के विरुद्ध प्रकट करती है।
3. इस मुद्दे के समाधान हेतु राजीव की क्रियाविधि क्या होनी चाहिये?
- तत्काल प्रकटीकरण
- राजीव को तत्काल अपने वरिष्ठ अधिकारियों और प्रयोगशाला के एथिक्स ऑफिसर को हितों के टकराव की बात बतानी चाहिये।
- उन्हें बोली लगाने वाली कंपनी के साथ अपने संबंधों और चयन प्रक्रिया में अपनी भूमिका का विस्तृत लिखित विवरण देना चाहिये।
- यह सरकारी अनुबंध में पारदर्शिता और निष्ठा के सिद्धांतों का अनुरक्षण करता है।
- निर्णयन की प्रक्रिया से पृथक होना
- राजीव को इस विशेष अनुबंध के लिये आपूर्तिकर्ता चयन प्रक्रिया से स्वयं को स्वेच्छा से पृथक कर लेना चाहिये।
- उन्हें अनुरोध करना चाहिये कि एक स्वतंत्र पैनल या कोई अन्य वरिष्ठ अभियंता बोलियों के मूल्यांकन का कार्य अपने नियंत्रण में ले ले, जिसमें उनकी बहन की कंपनी का प्रस्ताव भी शामिल है।
- इस कार्रवाई से चयन प्रक्रिया की सत्यनिष्ठता भी बनी रहती है और किसी भी प्रकार की अनुचितता की आशंका नहीं रहती।
- एक स्वतंत्र मूल्यांकन प्रक्रिया की स्थापना
- अपनी बहन की कंपनी के प्रस्ताव सहित सभी बोलियों का मूल्यांकन करने के लिये एक निष्पक्ष समिति के गठन की सिफारिश की जानी चाहिये।
- निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये प्रारंभिक मूल्यांकन के दौरान कंपनी की पहचान को छुपाने हेतु एक गुप्त समीक्षा प्रक्रिया को कार्यान्वित करने का सुझाव दिया जा सकता है।
- इससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी बोलियों का मूल्यांकन केवल उनकी योग्यता और तकनीकी क्षमता के आधार पर किया जाएगा।
- बिना किसी प्रभाव के प्रविधिक विशेषज्ञता का प्रावधान
- नई चयन समिति के लिये प्रविधिक सलाहकार के रूप में सेवा करने की पेशकश की जानी चाहिये, परंतु केवल अनुरोध किये जाने पर और स्पष्ट सीमाओं के साथ।
- कोई भी निविष्टि आपूर्तिकर्ता चयन के लिये किसी भी सिफारिश के बिना वस्तुनिष्ठ प्रविधिक मूल्यांकन तक सीमित होना चाहिये।
- इससे परियोजना को नीतिपरक मानकों का अनुरक्षण करते हुए राजीव की विशेषज्ञता का लाभ मिल सकेगा।
- सभी क्रियाकलापों और संचारों का दस्तावेज़ीकरण
- इस स्थिति के संबंध में की गई सभी कार्रवाइयों, किये गए संचार और लिये गए निर्णयों का विस्तृत रिकॉर्ड बनाया जा सकता है।
- यह दस्तावेज़ पारदर्शिता प्रदान करता है और बाद में प्रश्न उठने पर नीतिपरक आचरण के साक्ष्य के रूप में कार्य कर सकता है।
- बहन के स्टार्टअप के लिये वैकल्पिक सहायता का अन्वेषण: यद्यपि राजीव अपनी बहन के व्यवसाय के विषय में भी चिंतित है, इसलिये वह उसे सहायता प्रदान करने के लिये वैकल्पिक तरीकों का अन्वेषण कर सकता है, जैसे परामर्श देना, नेटवर्किंग करना, या अन्य स्रोतों से धन संगृहीत करना।
- इन विकल्पों से किसी भी प्रकार के हितों के टकराव से बचा जा सकेगा तथा यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि चयन प्रक्रिया निष्पक्ष बनी रहे।
निष्कर्ष:
उपरोक्त चरणों का अनुपालन करके, राजीव पेशेवर सत्यनिष्ठता का अनुरक्षण करते हुए, निष्पक्ष चयन प्रक्रिया सुनिश्चित करते हुए और सरकारी अनुबंध में पारदर्शिता बनाए रखते हुए इस नैतिक दुविधा को दूर कर सकते हैं। यह उपागम उनकी पेशेवर ज़िम्मेदारियों को नीतिपरक विचारों के साथ संतुलित करता है तथा उनकी और प्रयोगशाला की प्रतिष्ठा दोनों का रक्षण करता है।