लोक सेवाओं में विशेषज्ञों की लेटरल एंट्री को शासन में नए दृष्टिकोण और विशेषज्ञता लाने के तरीके के रूप में देखा जाता है। इस दृष्टिकोण के गुण और दोष पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- लेटरल एंट्री क्या है, इसका उल्लेख करते हुए उत्तर की भूमिका लिखिये
- लेटरल एंट्री के गुण और दोष पर विचार कीजिये
- द्वितीय ARC को उद्धृत करते हुए संतुलित तरीके से निष्कर्ष लिखिये
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परिचय:
लेटरल एंट्री, मध्य-स्तर और वरिष्ठ पदों को भरने के लिये सिविल सेवा के बाहर से विशेषज्ञों को नियुक्त करने की प्राविधि, तेज़ी से परिवर्तित होते विश्व में शासन की चुनौतियों का एक संभावित समाधान प्रस्तुत करती है।
यद्यपि इससे नए दृष्टिकोण और विशेष ज्ञान प्राप्त हो सकता है, परंतु इससे नौकरशाही पदानुक्रम में व्यवधान उत्पन्न होने की चिंता भी उत्पन्न होती है।
मुख्य भाग:
लेटरल एंट्री के गुण:
- विशिष्ट विशेषज्ञता: लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश पाने वाले लोक सेवक क्षेत्र-विशिष्ट ज्ञान और कौशल को प्रस्तुत करते हैं, जिनकी मौजूदा लोक सेवकों में भारी कमी है।
- यह विशेष रूप से प्रौद्योगिकी, वित्त और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में मूल्यवान हो सकता है, जहाँ तीव्र प्रगति के लिये विशेष विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
- वर्ष 2002 में आर.वी. शाही की विद्युत सचिव के रूप में नियुक्ति से महत्त्वपूर्ण विद्युत सुधार हुए।
- विद्युत उत्पादन में निजी क्षेत्र का उनका अनुभव जटिल क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने में अमूल्य सिद्ध हुआ।
- नवीन उपागम: बाह्य विशेषज्ञ नीतिगत मुद्दों पर भिन्न उपागमों को प्रस्तुत कर सकते हैं, यथास्थिति को चुनौती दे सकते हैं तथा नवाचार को संवर्द्धित कर सकते हैं।
- राजकोषीय सुधारों में विजय केलकर के अनुभव ने महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला।
- अप्रत्यक्ष कर सुधारों पर केलकर टास्क फोर्स ने राष्ट्रीय स्तर पर GST को कार्यान्वित करने का सुझाव दिया था, जिसे लागू कर दिया गया है।
- दक्षता में वृद्धि: लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश पाने वाले लोक सेवक परिणाम-उन्मुख वातावरण में कार्य करने के अधिक अभ्यस्त होते है, जिससे सरकारी विभागों में दक्षता और निर्णयन में सुधार करने में सहायता मिल सकती है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश पाने वाले लोक सेवकों द्वारा एआई कार्यान्वयन या साइबर सुरक्षा उपायों पर अंतर्दृष्टि लाई जा सकती है, जो वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हैं, जिससे संभावित रूप से प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और दक्षता में सुधार करने में सहायता मिलेगी।
- शीर्ष प्रतिभा को आकर्षित करना: लेटरल एंट्री उच्च योग्यता वाले व्यक्तियों को आकर्षित करने का एक तरीका हो सकता है, जो अन्यथा लोक सेवा में करियर पर विचार नहीं करते हैं।
- इससे शासन की गुणवत्ता को संवर्द्धित करने और सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार करने में सहायता मिल सकती है।
- अगस्त 2024 तक, विगत् 5 वर्षों में लेटरल एंट्री के माध्यम से कुल 63 नियुक्तियाँ की गई हैं, जिनमें 57 लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश पाने वाले लोक सेवक सक्रिय रूप से सेवारत हैं।
लेटरल एंट्री के दोष:
- नौकरशाही पदानुक्रम में व्यवधान: लोक सेवा के मध्य और वरिष्ठ पदों पर बाह्य विशेषज्ञों को सम्मिलित करने से विद्यमान पदानुक्रम में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है तथा पारंपरिक लोकसेवकों और लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश पाने वाले लोक सेवकों के बीच तनाव पैदा हो सकता है।
- पारंपरिक लोक सेवकों का प्रतिरोध, जो लेटरल एंट्री को अपने कैरियर की प्रगति के लिये खतरा मानते हैं, विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकता है, जिसमें असहयोग से लेकर लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश पाने वाले लोक सेवकों द्वारा संचालित पहलों में सक्रिय अभिध्वंस तक शामिल है।
- सांस्कृतिक बेमेल: लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश पाने वाले लोक सेवकों को नौकरशाही संस्कृति और प्रक्रियाओं के अनुकूल होने में कठिनाई हो सकती है, जिसके कारण अकुशलता और संघर्ष हो सकता है।
- त्वरित निर्णयन के अभ्यस्त एक लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश पाने वाले लोक सेवक को सरकार में आमतौर पर अपनाई जाने वाली बहुस्तरीय अनुमोदन प्रक्रियाओं से जूझना पड़ सकता है।
- इस सांस्कृतिक बेमेल के परिणामस्वरूप लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश पाने वाले लोक सेवकों के बीच निराशा, प्रभावशीलता में कमी और संभावित रूप से उच्च आवर्तन दरें हो सकती हैं ।
- हितों के गलत संरेखण की संभावना: बाह्य विशेषज्ञों के अपने व्यक्तिगत या व्यावसायिक हित हो सकते हैं जो उनके निर्णयन को प्रभावित कर सकते हैं।
- इससे हितों संघर्ष हो सकता है और जनता का विश्वास कम हो सकता है।
- समेकन में चुनौतियाँ: मौजूदा टीमों और परियोजनाओं में लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश पाने वाले लोक सेवकों को समेकित करना कठिन हो सकता है, जिसके लिये सावधानीपूर्वक योजना और प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष:
जैसा कि द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने सुझाव दिया है, लोक सेवाओं में लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश पाने वाले लोक सेवकों को प्रोत्साहित करने के अतिरिक्त, नौकरशाही के भीतर विशेषज्ञता विकसित करने के लिये एक केंद्रित प्रयास होना चाहिये। इसमें प्रौद्योगिकी, वित्त और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों के लिये विशेष कैडर का निर्माण, दस वर्ष की सेवा के बाद अनिवार्य क्षेत्र विशेषज्ञता शुरू करना और लोक सेवकों के निरंतर पेशेवर विकास के लिये अग्रणी विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी करना शामिल हो सकता है।