वर्ष 1917 की रूसी क्रांति का भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। इसने भारतीय राजनीतिक चिंतन को किस प्रकार प्रभावित किया? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- रूसी क्रांति का उल्लेख करते हुए उत्तर की भूमिका लिखिये
- राजनीतिक विचार पर अधिक बल देते हुए भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन पर वर्ष 1917 की रूसी क्रांति के प्रभाव का वर्णन कीजिये
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये
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परिचय:
वर्ष 1917 की रूसी क्रांति, जो वैश्विक इतिहास की एक निर्णायक परिघटना थी, का भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
- ज़ारवादी शासन का तख्तापलट और समाजवादी राज्य की स्थापना ने भारतीय राष्ट्रवादियों को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को चुनौती देने के लिये नए विचार, प्रेरणा और कार्यनीति प्रदान की।
मुख्य भाग:
वर्ष 1917 की रूसी क्रांति का भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन पर प्रभाव:
- साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष के लिये प्रेरणा: रूसी क्रांति ने यह प्रदर्शित किया कि एक दमनकारी शासन को उखाड़ फेंकना संभव है तथा इसने भारतीय राष्ट्रवादियों को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध संघर्ष के लिये प्रेरित किया।
- जैसा कि जवाहरलाल नेहरू ने कहा था: "सोवियत क्रांति ने मानव समाज को एक बड़े लंघन से अग्रेषित किया था और एक उज्ज्वल लौ को प्रज्वलित किया जिसे बुझाया नहीं जा सकता था एवं इसने एक नई सभ्यता की नींव रखी थी जिसकी ओर विश्व आगे बढ़ सकता था "
- समाजवादी और साम्यवादी विचारों का परिचय: क्रांति ने भारतीय राजनीतिक विमर्श में समाजवादी और साम्यवादी विचारधाराओं को प्रस्तुत किया, जिसने स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा को प्रभावित किया।
- वर्ष 1920 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया गया। भारतीय क्रांतिकारी एम.एन. रॉय ने इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- श्रमिकों और किसानों के अधिकार: इस क्रांति ने श्रमिकों और किसानों के अधिकारों के महत्त्व को प्रकट किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इन समूहों पर अधिक ध्यान दिया गया।
- वर्ष 1920 में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन काॅन्ग्रेस (AITUC) का गठन किया गया।
- किसान आंदोलनों पर अधिक बल दिया गया, जैसे वर्ष 1917 में गांधीजी के नेतृत्व में चंपारण सत्याग्रह।
- पूंजीवादी और सामंती प्रणालियों को चुनौती: क्रांति ने मौजूदा आर्थिक और सामाजिक संरचनाओं पर प्रश्न उठाया, जिससे भारतीय नेताओं को स्वतंत्र भारत के लिये वैकल्पिक प्रणालियों की परिकल्पना करने हेतु प्रोत्साहित किया गया।
- वर्ष 1929 में भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस द्वारा "पूर्ण स्वराज" की अवधारणा को अंगीकृत किया गया, जो कि डोमिनियन दर्जे की पूर्व मांग से आगे बढ़ गया।
- क्रांतिकारी आंदोलनों पर प्रभाव: बोल्शेविकों की सफलता ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के भीतर अधिक उग्र, क्रांतिकारी दृष्टिकोण को उत्प्रेरित किया।
- अंतर्राष्ट्रीय संघीभाव: इस क्रांति ने शोषित और उत्पीड़ित लोगों के बीच अंतर्राष्ट्रीय संघीभाव के विचार को प्रोत्साहित किया, जिससे भारतीय राष्ट्रवादियों को राष्ट्रीय सीमाओं से परे समर्थन प्राप्त करने के लिये प्रभावित किया गया।
- वर्ष 1927 में ब्रुसेल्स में स्थापित लीग अगेंस्ट इम्पीरियलिज्म में भारतीय राष्ट्रवादियों की भागीदारी।
- सामाजिक संरचनाओं की पुनर्कल्पना: समानता पर क्रांति के प्रेरणस्थान ने भारतीय विचारकों को जाति व्यवस्था सहित पारंपरिक सामाजिक पदानुक्रमों को चुनौती देने के लिये प्रेरित किया।
- बी.आर. अंबेडकर द्वारा दलित अधिकारों और सामाजिक सुधार के लिये वकालत।
निष्कर्ष:
वर्ष 1917 की रूसी क्रांति का भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन और राजनीतिक विचार पर गहरा एवं बहुआयामी प्रभाव पड़ा। इसने नई विचारधाराओं को प्रस्तुत किया, मौजूदा व्यवस्थाओं को चुनौती दी, क्रांतिकारी उत्साह को प्रेरित किया तथा आर्थिक और सामाजिक विचार को प्रभावित किया।