कृषि 4.0 की अवधारणा की व्याख्या कीजिये तथा भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसकी संभावित भूमिका पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- कृषि 4.0 को परिभाषित करके उत्तर की भूमिका लिखिये
- भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसकी संभावित भूमिका पर प्रकाश डालिये
- चुनौतियाँ और आगे की राह बताइए
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये
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परिचय:
कृषि 4.0 कृषि पद्धतियों में चौथी बड़ी क्रांति का प्रतिनिधित्व करता है। यह इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), बिग डेटा एनालिटिक्स और परिशुद्ध खेती की तकनीकों जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को पारंपरिक कृषि पद्धतियों में समेकित करता है।
मुख्य भाग:
भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में संभावित भूमिका:
- फसल उत्पादन में वृद्धि : राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के एक अध्ययन से पता चलता है कि परिशुद्ध खेती की तकनीकों को व्यापक रूप से अंगीकृत करने से भारत के खाद्यान्न उत्पादन में 10-15% की वृद्धि हो सकती है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने पूसा-कृषि नामक एक एंड्रॉइड ऐप विकसित किया है, जो मौसम पूर्वानुमान और मृदा स्वास्थ्य डेटा के आधार पर खेत-स्तरीय परामर्श प्रदान करता है।
- फसलोपरांत होने वाली हानि का न्यूनीकरण: IoT-सक्षम आपूर्ति शृंखला प्रबंधन और ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी फसलोपरांत होने वाली हानि को न्यूनीकृत कर सकती है, जो वर्तमान में भारत की कृषि उपज का 40% है।
- ई- नाम (इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाज़ार) मंच, जो देश भर में किसानों को खरीदारों से जोड़ने के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ उठाता है।
- जलवायु समुत्थानशीलता: कृत्रिम बुद्धिमत्ता-संचालित पूर्वानुमान मॉडल किसानों को परिवर्तित होते जलवायु प्रारूप के अनुकूल होने में सहायता कर सकते हैं, जिससे पर्यावरणीय चुनौतियों के बावजूद खाद्य उत्पादन की निरंतरता सुनिश्चित हो सके।
- CRIDA का 'मेघदूत' ऐप स्थान, फसल और पशुधन-विशिष्ट मौसम-आधारित कृषि-परामर्श प्रदान करता है।
- संसाधन दक्षता: स्मार्ट सिंचाई प्रणाली और निविष्टि के सटीक अनुप्रयोग से जल संरक्षण और रासायनिक उपयोग में कमी लाई जा सकती है, जिससे सतत् खाद्य उत्पादन सुनिश्चित हो सकता है।
- तमिलनाडु परिशुद्ध कृषि परियोजना से 40-50% जल की बचत हुई।
- भारत के कृषि रोबोट बाज़ार में 20.99% की CAGR का अनुमान है और वर्ष 2028 तक 555.22 मिलियन अमरीकी डालर का राजस्व दर्ज़ करने का अनुमान है।
- पोषण सुरक्षा में सुधार: परंपरागत कृषि पद्धतियों की तुलना में ऊर्ध्वाधर खेती से प्रति इकाई क्षेत्र में 10 गुना अधिक फसल उपज प्राप्त की जा सकती है।
- मुंबई में, खेती की "ग्रीनहाउस-इन-ए-बॉक्स" तकनीक ने छोटे किसानों को 80-90% कम जल का उपयोग करते हुए उपज में 50-60% वृद्धि करने में सहायता की है।
चुनौतियाँ और आगे की राह:
अपनी क्षमता के बावजूद, भारत में कृषि 4.0 के कार्यान्वयन में सीमित डिजिटल बुनियादी ढाँचे, छोटी जोत और किसानों के बीच कम डिजिटल साक्षरता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिये निम्न की आवश्यकता है:
- ग्रामीण डिजिटल बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी
- प्रौद्योगिकियों को सामूहिक रूप से अंगीकृत करने के लिये कृषक उत्पादक संगठनों (FPO) को प्रोत्साहन
- किसानों के लिये अनुकूलित वित्तीय उत्पाद और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम
- कृषि डेटा का मानकीकरण और खुले डेटा प्लेटफॉर्म का निर्माण
- कृषि 4.0 अवधारणाओं का कृषि शिक्षा और विस्तार सेवाओं में समेकन
निष्कर्ष:
कृषि 4.0 भारत के लिये खाद्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने हेतु एक परिवर्तनकारी अवसर प्रस्तुत करता है। यद्यपि, इस क्षमता को साकार करने के लिये सरकार, निजी क्षेत्र और कृषक समुदायों को विद्यमान बाधाओं को दूर करने और स्मार्ट खेती प्रथाओं को व्यापक रूप से अंगीकृत करने के लिये एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करने हेतु एक ठोस प्रयास की आवश्यकता है।