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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    आप एक घाटे में जा रही सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के नवनियुक्त कार्यकारी अधिकारी हैं, जिसे उद्यम के कायाकल्प की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। कंपनी की अक्षमता अत्यधिक कर्मचारियों और पुरानी कार्यपद्धतियों के कारण उपजी है। आपका विश्लेषण प्रदर्शित करता है कि 30% कर्मचारियों की छंटनी और आधुनिक प्रबंधन तकनीकों को कार्यान्वित करने से कंपनी को दो वर्ष के भीतर लाभदायक बनाया जा सकता है। यद्यपि, इससे पहले से ही उच्च बेरोज़गारी का सामना कर रहे क्षेत्र में कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिये काफी कठिनाई होगी।

    सरकार ने आधिकारिक तौर पर सुधारों का समर्थन करते हुए निजी तौर पर संकेत दिया है कि वे आगामी चुनावों से पहले छंटनी से बचना चाहते हैं। आपको यह पता है कि छंटनी की प्रक्रिया अल्पकालिक सामाजिक और राजनीतिक परिणामों के मूल्य पर कंपनी की दीर्घकालिक व्यवहार्यता के लिये सबसे उपयुक्त मार्ग है। इस तथ्य से भलीभांति अवगत हुए आपको यह तय करना है कि कंपनी को छंटनी और सुधारों के साथ आगे बढ़ना है या नहीं। यह मामला एक ऐसे नौकरशाही प्रारूप में पेशेवर नीतिपरकता, राजनीतिक दबाव और व्यक्तिगत नैतिक मूल्यों के बीच तनाव को प्रकट करता है जहाँ पारंपरिक पदानुक्रम और नियम कम मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

    1. इस मामले में कौन-कौन से हितधारक शामिल हैं?
    2. यह निर्णय लेते समय आपको किन नीतिपरक दुविधाओं का सामना करना पड़ेगा?
    3. प्रतिस्पर्द्धी हितों में संतुलन बनाते हुए आप इस स्थिति से निपटने के लिये क्या कदम उठाएंगे?

    20 Sep, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    परिचय:

    एक घाटे में जा रही सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के नवनियुक्त कार्यकारी अधिकारी के रूप में , आपके सामने आधुनिक प्रबंधन पद्धतियों को कार्यान्वित करते हुए, 30% कार्यबल की संभावित छंटनी के माध्यम से दक्षता में सुधार लाने की चुनौती है।

    • यद्यपि यह योजना दीर्घकालिक लाभप्रदता के लिये आवश्यक है, परंतु इससे पहले से ही उच्च बेरोज़गारी वाले क्षेत्र में कर्मचारियों के लिये भारी कठिनाई उत्पन्न होने का खतरा है।
    • सरकार सुधारों का समर्थन करती है, परंतु आगामी चुनावों से पहले छंटनी से बचना चाहती है, जिससे पेशेवर नीतिपरकता, राजनीतिक दबाव और व्यक्तिगत मूल्यों के बीच तनाव उत्पन्न हो सकता है।
      • सफल कायाकल्प के लिये इन प्रतिस्पर्द्धी हितों में संतुलन बनाए रखना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

    मुख्य भाग:

    1. इस मामले में कौन-कौन से हितधारक शामिल हैं?

    हितधारक

    भूमिका/रुचि

    कार्यकारी अधिकारी

    कंपनी के कायाकल्प के लिये कार्यनीतिक निर्णयन और नीतिपरकता तथा व्यवहार्यता के बीच संतुलन बनाने के लिये ज़िम्मेदार।

    कर्मचारी

    संभावित छंटनी से वे सीधे प्रभावित होंगे; उनकी नौकरी की सुरक्षा और आजीविका दांव पर होगी।

    कर्मचारियों के परिवार

    छंटनी से प्रभावित; क्षेत्र में आर्थिक कठिनाइयों और बढ़ती बेरोज़गारी का सामना करना पड़ रहा है।

    सरकार

    आगामी चुनावों के कारण रोज़गार के स्तर को बनाए रखने में रुचि; सुधारों का समर्थन कर सकते हैं लेकिन छंटनी का विरोध कर सकते हैं।

    संघ प्रतिनिधि

    कर्मचारियों के अधिकारों और नौकरी की सुरक्षा की वकालत करना; छंटनी का विरोध करना और वैकल्पिक समाधानों पर बल देना।

    स्थानीय समुदाय

    कंपनी के परिचालन और छंटनी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव से प्रभावित; स्थानीय रोजगार में रुचि।

    निवेशक/शेयरधारक

    एक लाभदायक और संवहनीय व्यवसाय मॉडल की तलाश; यदि इससे दीर्घकालिक लाभ मिलता है तो छंटनी का समर्थन किया जा सकता है।

    प्रबंधन टीम

    परिवर्तनों को कार्यान्वित करने के लिये ज़िम्मेदार; कर्मचारियों और कर्मचारी संघों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है।

    परामर्शदाता/सलाहकार

    कायाकल्प के लिये सर्वोत्तम प्रथाओं पर विश्लेषण और सिफारिशें प्रदान करें; परामर्श देने में नीतिपरक दुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

    मिडिया

    सार्वजनिक धारणा में भूमिका निभाता है तथा कंपनी और सरकार की कार्रवाइयों पर जनता की राय को प्रभावित कर सकता है।

    2. इससे संबंधित निर्णयन के समय आपको किन नीतिपरक दुविधाओं का सामना करना पड़ा?

    • अल्पकालिक बनाम दीर्घकालिक परिणाम: छंटनी से कर्मचारियों और उनके परिवारों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा, जिससे सामाजिक अशांति और राजनीतिक प्रतिक्रिया की संभावना बढ़ जाएगी।
      • सुधारों को कार्यान्वित करने में विफल रहने से कंपनी का पतन हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पूरे कार्यबल की नौकरियाँ चली जाएंगी और क्षेत्र पर नकारात्मक आर्थिक प्रभाव पड़ेगा।
    • व्यक्तिगत बनाम संगठनात्मक नैतिकता: कार्यकारी अधिकारी के व्यक्तिगत नैतिक मूल्य कंपनी के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिये संगठनात्मक अनिवार्यता के साथ संघर्ष कर सकते हैं।
      • कंपनी को अपने शेयरधारकों और हितधारकों के प्रति अपने कर्तव्य के लिये दीर्घकालिक व्यवहार्यता प्राप्त करने हेतु छंटनी जैसे कठिन निर्णय लेने पड़ सकते हैं।
    • पारदर्शिता और उत्तरदायित्व: कार्यकारी अधिकारी को यह निर्णय लेना होगा कि संभावित छंटनी और सुधारों के बारे में कर्मचारियों, सरकार और जनता को कितनी जानकारी देनी है।
      • कार्यकारी अधिकारी को कंपनी के प्रदर्शन तथा सामाजिक एवं राजनीतिक प्रभाव दोनों के संदर्भ में अपने निर्णय के परिणामों के लिये उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
    • राजनीतिक दबाव बनाम व्यावसायिक उत्तरदायित्व: कार्यकारी अधिकारी को छंटनी से बचने की सरकार की इच्छा और कंपनी के सर्वोत्तम हित में निर्णयन के अपने व्यावसायिक दायित्व के बीच संतुलन बनाना होगा।
      • कार्यकारी अधिकारी का प्राथमिक कर्तव्य कंपनी और उसके शेयरधारकों के प्रति है, भले ही इसके लिये कठिन निर्णय लेने पड़ें, जिनके अल्पकालिक नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।

    3. प्रतिस्पर्द्धी हितों में संतुलन बनाते हुए आप इस स्थिति से निपटने के लिये क्या कदम उठाएंगे?

    • हितधारक परामर्श
      • कर्मचारियों के साथ संपर्क: स्थिति को पारदर्शी तरीके से समझाने के लिये कर्मचारियों के साथ बैठकों का आयोजन किया जा सकता है, जिसमें उनकी चिंताओं और छंटनी के संभावित प्रभावों को स्वीकार किया जा सकता है।
      • सरकारी अधिकारियों के साथ संवाद: सुधारों की तात्कालिकता पर सरकारी प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की जा सकती है, ताकि उनका रुख समझा जा सके और संभावित समझौतों का पता लगाया जा सके।
    • छंटनी के विकल्प का अन्वेषण
      • स्वैच्छिक पृथक्करण पैकेज: अनिवार्य छंटनी के बिना कार्यबल की संख्या को कम करने के लिये आकर्षक स्वैच्छिक निकास पैकेज की पेशकश की जा सकती है।
      • पुनः कौशलीकरण और पुनः नियोजन: कंपनी के भीतर या अन्य क्षेत्रों में विभिन्न भूमिकाओं के लिये कर्मचारियों को पुनः कौशल प्रदान करने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम कार्यान्वित किया जा सकता है, जिससे उन्हें नौकरी गवाँए बिना परिवर्तन करने में सहायता मिले।
    • आधुनिक प्रबंधन तकनीकों का कार्यान्वयन
      • संचालन कार्यक्रम: आधुनिक प्रबंधन प्रथाओं का परीक्षण करने के लिये लघु पैमाने की संचालन परियोजनाओं से शुरुआत की जा सकती है तथा तत्काल छंटनी के बिना उनकी प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया जा सकता है।
      • प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणालियाँ: खराब प्रदर्शन करने वाली भूमिकाओं की पहचान करने के लिये प्रदर्शन-आधारित मूल्यांकन शुरू की जा सकती है तथा छंटनी पर विचार करने से पहले सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
    • अभिदृष्टि का संप्रेषण
      • कार्यनीतिक संचार योजना: कंपनी के लिये दीर्घकालिक अभिदृष्टि को रेखांकित करते हुए एक स्पष्ट संचार कार्यनीति विकसित की जा सकती है, जिसमें संवहनीयता और नौकरी की सुरक्षा के लिये सुधारों के लाभों पर बल दिया जा सकता है।
      • नियमित अद्यतन: विश्वास और पारदर्शिता बनाने के लिये सभी हितधारकों को प्रगति, चुनौतियों और कार्यनीति में बदलाव के बारे में सूचित रखें।
    • क्रमिक कार्यान्वयन
      • चरणबद्ध दृष्टिकोण: छंटनी (यदि यह अंतिम उपाय है) और सुधारों के चरणबद्ध कार्यान्वयन पर विचार किया जा सकता है, जिससे समायोजन के लिये समय मिल सके और कार्यबल पर तत्काल प्रभाव कम हो सके।
      • निगरानी और मूल्यांकन: सुधारों और कर्मचारी भावना के प्रभाव का निरंतर मूल्यांकन किया जा सकता है तथा आवश्यकतानुसार कार्यनीतियों को समायोजित करने के लिये तत्परता का प्रदशन किया जा सकता है।
    • सहायता नेटवर्क का निर्माण
      • सामुदायिक सहभागिता: प्रभावित परिवारों को नौकरी दिलाने वाली सेवाएँ या वित्तीय परामर्श जैसी सहायता प्रदान करने के लिये स्थानीय सरकारों और सामुदायिक संगठनों के साथ सहयोग किया जा सकता है।
      • संघ की भागीदारी: आवश्यक परिवर्तनों के लिये सहयोग और समर्थन को बढ़ावा देने हेतु चर्चा में श्रमिक संघों को शामिल किया जा सकता है।
    • नैतिक विचारों को प्राथमिकता
      • नीतिशास्त्रीय ढाँचा: निर्णयन की प्रक्रियाओं का मार्गदर्शन करने वाला एक नीतिशास्त्रीय ढाँचा स्थापित किया जा सकता है, जो यह सुनिश्चित करें कि व्यावसायिक आवश्यकताओं के साथ-साथ कर्मचारी कल्याण पर भी विचार किया जाए।
      • प्रतिपुष्टि प्रणाली: कर्मचारियों के लिये परिवर्तनों के संबंध में अपनी चिंताओं और सुझावों को व्यक्त करने के लिये एक चैनल का निर्माण किया जा सकता है, जिससे स्वामित्व और भागीदारी की भावना को बढ़ावा मिले।

    इन उपायों को अंगीकृत करके, मेरा लक्ष्य संगठनात्मक दक्षता की आवश्यकता को कर्मचारियों और समुदाय के प्रति सामाजिक ज़िम्मेदारी के साथ संतुलित करना है, जिससे अंततः उद्यम के लिये एक स्थायी कायाकल्प का संवर्द्धन हो सके।

    निष्कर्ष:

    घाटे में जा रही सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के कायाकल्प में चुनौतियों का सामना करने के लिये वित्तीय व्यवहार्यता और नीतिपरक ज़िम्मेदारी के बीच एक नाजुक संतुलन की आवश्यकता होती है। हितधारकों को शामिल करके, छंटनी के विकल्प तलाश कर और आधुनिक प्रबंधन तकनीकों को कार्यान्वित करके, कार्यकारी अधिकारी पारदर्शिता और सहयोग की संस्कृति को संवर्द्धित कर सकता है। अंततः, एक विचारशील और समावेशी दृष्टिकोण एक स्थायी कायाकल्प का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, जिससे कंपनी और उसके व्यापक समुदाय दोनों को लाभ होगा।

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