भारतीय शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण की रोकथाम हेतु राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की प्रभावशीलता का विश्लेषण कीजिये। प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये कौन-से अतिरिक्त उपाय कार्यान्वित किये जा सकते हैं? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए उत्तर प्रस्तुत कीजिये
- NCAP के सकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डालिये
- इसकी चुनौतियों और सीमाओं पर गहन विचार कीजिये
- सुधार के लिये अतिरिक्त उपाय बताइए
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये
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परिचय:
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा वर्ष 2019 में शुरू किया गया राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 131 शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये भारत का पहला राष्ट्रीय स्तर का ढाँचा है।
- भारत विश्व स्तर पर तीसरा सर्वाधिक प्रदूषित देश है तथा विश्व के 50 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 42 शहर इसकी सीमा के भीतर स्थित हैं (आईक्यूएयर रिपोर्ट 2023), NCAP का लक्ष्य इस महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे का समाधान करना है।
मुख्य भाग:
NCAP की प्रभावशीलता:
सकारात्मक प्रभाव:
- वर्ष 2023 तक, 131 शहरों में से 90 ने वर्ष 2017-18 आधार रेखा की तुलना में वार्षिक PM10 सांद्रता के संदर्भ में वायु गुणवत्ता में सुधार प्रदर्शित किया है।
- राजधानी दिल्ली में वार्षिक PM2.5 सांद्रता में वर्ष 2018 में 128 μg/m³ से वर्ष 2023 में 106 μg/m³ तक 17% की कमी देखी गई है और PM10 के स्तर में 22% की कमी आई है।
- वर्ष 2022 में PM2.5 सांद्रता (26.33 μg/m³) के मामले में श्रीनगर को सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया, जबकि कोहिमा PM10 सांद्रता (26.77 μg/m³) के साथ सबसे स्वच्छ शहर था।
- वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिये वर्ष 2020 में देश भर में BS-VI ईंधन मानकों का कार्यान्वयन।
- पेट्रोल स्टेशनों पर वाष्प पुनर्प्राप्ति प्रणाली (VRS) की स्थापना।
- वायु प्रदूषण की आपात स्थितियों के लिये आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियों का विकास।
चुनौतियाँ और सीमाएँ:
- असमान प्रगति:
- 46 शहरों में से केवल 8 शहर ही PM स्तर में 20-30% कमी लाने का प्रारंभिक लक्ष्य पूरा कर पाए हैं।
- विगत् 5 वर्षों में 22 शहरों में PM10 के स्तर में गिरावट देखी गई है।
- निधियों का कम उपयोग:
- शहरों द्वारा आवंटित धनराशि का केवल 60% ही उपयोग किया गया है।
- 27% शहरों ने अपने निर्धारित बजट का 30% से भी कम व्यय किया है, जबकि विशाखापत्तनम और बेंगलूरु ने अपनी NCAP निधि का 1% से भी कम उपयोग किया है।
- कार्यान्वयन अंतराल:
- यद्यपि अधिकांश शहरों ने स्वच्छ वायु कार्य योजनाएँ (CAAP) प्रस्तुत कर दी हैं, फिर भी प्रभावी कार्यान्वयन एक चुनौती बनी हुई है।
- नौकरशाही बाधाओं और लालफीताशाही ने संसाधनों के कुशल उपयोग में बाधा उत्पन्न की है।
सुधार के लिये अतिरिक्त उपाय:
- उन्नत निगरानी और प्रवर्तन: व्यापक और विश्वसनीय डेटा संग्रह सुनिश्चित करने के लिये वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क का सुदृढ़ीकरण।
- औद्योगिक उत्सर्जन और वाहन प्रदूषण पर मौजूदा नियमों का सख्ती से कार्यान्वयन।
- संवहनीय शहरी नियोजन: महानगरीय क्षेत्रों में पारगमन-उन्मुख विकास और हरित बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देना।
- हरित क्षेत्र में वृद्धि तथा प्राकृतिक वायु शोधक के रूप में कार्य करने के लिये अधिक शहरी वन का निर्माण।
- स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण: विद्युत उत्पादन और औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिये नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर स्थित्यंतरण को तीव्र करना।
- प्रोत्साहन और बुनियादी ढाँचे के विकास के माध्यम से प्रमुख शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार।
- अपशिष्ट प्रबंधन: अपशिष्टों को खुले में दहन को कम करने के लिये उन्नत अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकों का कार्यान्वयन।
- अपशिष्ट भराव क्षेत्र उत्सर्जन को न्यूनतम करने के लिये पृथक्करण और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहन।
- जन जागरूकता और भागीदारी: वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों पर व्यापक जन जागरूकता अभियान का संचालन।
- स्थानीय वायु गुणवत्ता सुधार पहलों में नागरिकों की भागीदारी को प्रोत्साहन।
निष्कर्ष:
यद्यपि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम ने भारत में शहरी वायु प्रदूषण को संबोधित करने में कुछ प्रगति की है, फिर भी महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ बनी हुई हैं। प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये, एक बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें बेहतर निगरानी, स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण (SDG 7), संवहनीय शहरी नियोजन (SDG 11) और बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन शामिल है। यह भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य ( SDG 3) और जलवायु कार्रवाई ( SDG 13 ) के लक्ष्यों के अनुरूप है, ताकि स्वच्छ वायु और बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सके।